हमें सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदलने की उम्मीद, नहीं बदला तो लाएंगे अध्यादेश- राम विलास पासवान
नई दिल्ली। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 में बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया, अगर वो इस पर ही कायम रहे तो सरकार अध्यादेश लाएगी। यह बात दो केंद्रीय मंत्रियों ने कही। अंग्रेजी अखबार Hindustan Times के मुताबिक जनलोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष और उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान के अनुसा सरकार को उम्मीद है कि शीर्ष अदालत अपने फैसले को रद्द कर देगा। "एससी / एसटी अधिनियम एक विशेष अधिनियम है। हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस तथ्य को ध्यान में रखेगा कि एससी / एसटी अधिनियम एक विशेष कानून है। हम कानून की स्थिति बनाए रखने के लिए निर्धारित हैं क्योंकि यह अधिनियमित किया गया था। यदि अध्यादेश लाने की स्थिति होगी तो वो भी लाया जाएगा।
राजनाथ की अध्यक्षता में हुई थी बैठक
रिपोर्ट के अनुसार एक अन्य वरिष्ठ मंत्री ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि इस संबंध में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। मंत्री ने कहा, हमें लग रहा है कि सरकार के वकील अदालत के सामने इस बारे में केंद्र के विचारों को प्रभावी ढंग से और स्पष्ट रूप से नहीं रख पा रहे हैं। एक सरकारी स्रोत के मुताबिक बुधवार को वरिष्ठ मंत्रियों और अफसरों से इस मुद्दे पर चर्चा हुई जिसकी अध्यक्षता गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने की।
एक दर्जन लोग मारे गए थे
सर्वोच्च न्यायालय की ओर से समीक्षा याचिका के संज्ञान लेने के बाद ही सभी कानूनी विकल्पों का पता लगाया जाएगा। बता दें कि 2 अप्रैल को अदालत के फैसले के खिलाफ दलितों द्वारा बुलाई गई आम हड़ताल का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबल समेत बीच कम से कम एक दर्जन लोग मारे गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने जारी की थी गाइडलाइन
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989 के दुरुपयोग को रोकने को लेकर गाइडलाइन जारी की थीं। यह सुनवाई महाराष्ट्र के एक मामले में हुई थी। ये गाइडलाइंस फौरन लागू हो गई थीं।
आदेश में कहा गया था कि...
आदेश में कहा गया था कि जिसमें सरकारी कर्मी की तुरंत गिरफ्तारी नहीं होगी। सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत से होगी। आम लोगों के लिए एक्ट के तहत आरोपी सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, तो उनकी गिरफ्तारी एसएसपी की इजाजत से होगी। अदालतों के लिए अग्रिम जमानत पर मजिस्ट्रेट विचार करेंगे और अपने विवेक से जमानत मंजूर या नामंजूर करेंगे।
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