राज्यसभा चुनाव: उत्तर प्रदेश में विपक्ष की एकता का पहला बड़ा टेस्ट
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने ऐलान किया है कि इसी साल अप्रैल-मई 2018 में रिटायर हो रहे सदस्यों की सीटों पर राज्यसभा के चुनाव कराए जाएंगे। 16 राज्यों में 58 राज्यसभा सीटों के चुनाव के लिए 23 मार्च को मतदान होगा। बता दें कि अप्रैल में उत्तर प्रदेश में 9 राज्यसभा सीटें खाली होंगी। इस बीच उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव को लेकर चर्चा चल रही है कि क्या समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस अपने मतभेदों को दूर कर, इस चुनाव में अपने कॉमन कैंडिडेट उतारेंगे।
उत्तर प्रदेश से 31 राज्यसभा सासंद में से 9 नए सदस्य अप्रैल में चुनकर संसद के उपरी सदन में पहुंचेंगे। वहीं, बीएसपी चीफ मायावाती ने पिछले साल जुलाई में राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था, उस हिसाब से अब राज्य से उपरी सदन के लिए 10 सीट खाली हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में 312 सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद, भाजपा राज्यसभा चुनाव में आठ सीटें जीतने के लिए एक मजबूत स्थिति में है। Scroll में अनिता काट्याल लिखती है कि अगर विपक्षी पार्टियां अपने आम उम्मीदवार के लिए अतिरिक्त वोटों को भरने का फैसला करते हैं, तो विपक्ष 10वीं सीट को जीत सकता है।
राज्यसभा चुनाव उत्तर प्रदेश के विपक्षी पार्टियों के लिए एक चुनौती की तरह है। वहीं, तीन मुख्य विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि यह चुनाव के लिए एकजुट मोर्चा बनाने की संभावना पर चर्चा करने के लिए अभी बहुत जल्दी है। समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि बीएसपी अपने उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए सहमत हैं, तो उनकी पार्टी खुश होगी, जबकि बीएसपी नेता सतीश शर्मा ने कहा कि पार्टी प्रमुख मायावती ने अभी तक इस मामले पर विचार नहीं किया है। हालांकि, कांग्रेस उत्तर प्रदेश सीट के लिए इतनी सीरियस नहीं दिखाई दे रही है।
हालांकि, तीन मुख्य विपक्षी खिलाड़ियों ने इस मुद्दे पर द्विपक्षीयता दिखाई है, लेकिन उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने स्वीकार किया कि यदि सभी विपक्षी दलों ने राज्यसभा चुनाव में आम उम्मीदवार खड़ा करती है, तो इसका असर ना केवल गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव पर पड़ेगा, बल्कि 2019 के आम चुनावों में आगे बढ़ने वाली बड़ी और महत्वपूर्ण लड़ाई के लिए मंच तैयार करने किया जा सकता है।