मोदी की विनती का भी बाबुओं पर कोई असर नहीं
नई
दिल्ली।
कहते
हैं
कि
आदतें
अगर
न
बदली
जाएं
तो
वह
बीमारी
बन
जाती
हैं
और
यही
हाल
भारत
में
सरकारी
बाबुओं
का
हैं।
एक
ओर
तो
हमारे
प्रधानमंत्री
हैं
जो
दिन
में
सिर्फ
कुछ
ही
घंटे
की
नींद
लेते
हैं
लेकिन
फिर
भी
समय
पर
ऑफिस
पहुंचते
हैं।
दूसरी
ओर
वह
सरकारी
बाबू
हैं
जिन्होंने
शायद
कसम
खा
ली
है
कि
वह
कभी
भी
समय
पर
ऑफिस
नहीं
पहुंचेंगे
फिर
चाहे
प्रधानमंत्री
ही
हर
बड़े
मंच
और
हर
बड़े
कार्यक्रम
के
माध्यम
से
उनसे
इस
बात
की
विनती
करते
रहें।
मोदी की अपील का भी कोई असर नहीं
मोदी की लाख अपील के बावजूद सिर्फ 20 से 25 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी ही ऐसे हैं जो नौ बजे या इससे पहले अपने ऑफिस पहुंच जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के बाद सभी सरकारी कर्मचारियों के वर्कस्टेशन
पर बायोमीट्रिक अटेंडेंस सिस्टम इंस्टॉल किया गया था। इसी सिस्टम की मदद से ही यह जानकारी मिल सकी है कि आखिर सरकारी बाबुओं को सही रास्ते पर लाने वाले मोदी की मुहिम कितना सफल हो सकी है।
ऑफिस छोड़ने में वक्त के पाबंद
मोदी ने अक्टूबर में http://attendance.gov.in/ इस नाम से एक वेबसाइट की शुरुआत की थी। इस वेबसाइट को हर सरकारी ऑफिस में इंस्टॉल बायोमिट्रिक अटेंडेंस सिस्टम से जोड़ दिया गया था। इस वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक करीब 25 प्रतिशत कर्मचारी ही ऐसे हैं जो नौ बजे आफिस पहुंचते हैं। हैरानी की बात है कि यही कर्मचारी आफिस से निकलने में जरा भी देर नहीं लगते हैं।
केंद्र सरकार के अधीन आने वाले ऑफिसों का कामकाज नौ बजे से शाम 5:30 बजे तक चलता है जिसमें एक घंटे का ब्रेक भी शामिल होता है। अगर आठ घंटे का हिसाब लगाया जाए तो एक माह में एक कर्मचारी को करीब 176 घंटे काम करना चाहिए।
बाकी
का
रवैया
इस
वेबसाइट
में
जो
आंकड़ें
दिए
गए
हैं
उनके
मुताबिक
9
बजे
से
पहले
आने
वाले
कर्मचारी
21
.4%
9
से
10
बजे
के
बीच
आने
वाले
65
.3%
10
से
11
बजे
के
बीच
आने
वाले
10
.2%
11
बजे
के
बाद
आने
वाले
3
.1%4%
70 के दशक से जारी है कोशिश
लेकिन यह सिस्टम कुछ अलग ही कहानी कहता है। सरकारी कर्मचारी एक माह में 165 घंटे से ज्यादा काम नहीं करते हैं। अंग्रेजी डेली हिंदुस्तान टाइम्स ने एक सरकारी अधिकारी के हवाले से छापा है कि कर्मचारियों को वक्त का पाबंद बनाने की यह मुहिम कोई आज की नहीं है लेकिन 70 के दशक से चल रही है और इसके बाद भी कोई सुधार होता नजर नहीं आया है।
हां अब कर्मियों की लेटलतीफी को ऑनलाइन ट्रैक किया जा सकता है। सरकार से जुड़े सूत्रों की मानें तो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को इन डाटा पर गौर देना होगा और कर्मचारियों को अब खुद को समय का पाबंद बनाने की आदत डालनी होगी।
नियमों के तहत ऐसे कर्मचारी जो सुबह 9:30 बजे के बाद आफिस आते हैं उनका हाफ डे माना जाता है लेकिन सभी विभाग के प्रमुखों को इस बात पर ध्यान देना होगा कि वह अपनी आदत में सुधार करें।