धंधा करवाने और गुलाम बनाने के लिये सस्ते दामों में खरीदी जाती हैं बड़ी उम्र की महिलाएं
महिला आयोग की रिपोर्ट की मानें तो पश्चिम बंगाल में 40 से 45 साल की अविवाहित महिलाओं को काम देने के बहाने बहलाया फुसलाया जाता है और उनकी तस्करी कर उन्हें बिहारी मजदूरों को लगभग 20 से 25 हजार रुपये में बेच दिया जाता है। महिलाओं को खरीदने के बाद उन्हें घरों में कैद रखा जाता है। कुछ महिलाओं से तो देह व्यापार तक करवाया जाता है। अगर कभी कोई महिला कैद से भागने में कामयाब होती है और पुलिस को इस संबंध में जानकारी देती है तो पुलिस इस गंभीरता से नहीं लेती।
महिला आयोग ने अपने रिपोर्ट में खासकर इस बात का जिक्र किया है कि देह व्यापार के लिए तस्करी की जाने वाली ज्यादातर महिलाएं, लड़कियां गरीब होने के साथ-साथ अनुसूचित जाति और जनजाति की होती हैं। कभी-कभार जब ऐसे मामले पकड़े भी जाते हैं तो पुलिस दोषियों के खिलाफ एससी-एसटी प्रीवेंशन ऑफ एट्रोसिटी एक्ट 1989 के तहत मामला दर्ज नहीं करती जिससे दोषी आसानी से छूट जाते हैं। देह व्यापार के लिए लड़कियों की तस्करी को रोकने के लिए आयोग ने अपनी सिफारिशों में इमॉरल ट्रैफिकिंग प्रीवेंशन एक्ट 1956 को और ज्यादा सख्त बनाने की बात की है।
साथ ही ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में लड़कियों को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू करने को कहा है. आयोग का ये भी कहना है कि घर के बड़े सदस्यों को भी जागरूक करने के लिए ट्रेनिंग देने की जरूरत है जिससे वो भी अपनी लड़कियों को हर किसी के साथ जाने की अनुमति ना दें। साथ ही आयोग ने पुलिस को ऐसे मामलों में संवेदनशीलता के साथ पेश आने की भी सिफारिश की है।