ओडिशा के आदिवासी परिवार किचन गार्डन के जरिए लड़ रहे कुपोषण से लड़ाई
भुवनेश्वर: ओडिशा के आदिवासी परिवार कुपोषण के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। कंधमाल में ऐसे कई परिवार थे, जो बिना हरी सब्जी के साथ चावल खाते थे, लेकिन अब अपने घर के पीछे उन्होंने बगीच बना लिया, जहां वो फलों के साथ सब्जियां भी उगाते हैं। इन्हीं में से एक हैं, 35 वर्षीय लीमा मांझी, जिन्होंने कंधमाल के सुशाभाटा गांव में अपने 300 वर्ग फीट के गार्डन में 14 प्रकार के फल और सब्जियां उगाई है, जिसमें करेला, चुकंदर, ककड़ी, कद्दू, सहजन, टमाटर, धनिया, मूली, लौकी, बैगन और मिर्च है।
कोंढ जनजाति से ताल्लुक रखने वाली मांझी ने बताया कि मैंने अमरूद, केला और पपीते के पेड़ भी लगाए हैं। यह ना केवल हमें अधिक पोषण देता है, बल्कि हम सब्जियों पर भी पैसा बचाते हैं। तुमुदीबांधा प्रखंड में मांझी जैसे कई ग्रामीण फलों और हरी सब्जियों के पोषण मूल्य से अनजान थे। वे अक्सर बिना किसी हरी सब्जी के अपने मुख्य चावल खाते थे। कंधमाल के पहाड़ी इलाके में सहजन के पेड़ों की अच्छी संख्या है, लेकिन आदिवासियों को यह नहीं पता था कि इसके पत्ते और फल पकाया जा सकता है।
कंधमाल में काम कर रहे लोगों के सामूहिक जीविका सुरक्षा मंच के स्वयंसेवकों ने ग्रामीणों को हरी सब्जियां और फल खाने के स्वास्थ्य लाभ और किचन गार्डन बनाने के महत्व के बारे में शिक्षित करने के बाद 2017 में मांझी ने सब्जियां और फल लगाना शुरू किया। नोएडा स्थित एनजीओ, आत्मशक्ति ट्रस्ट के अतिरिक्त समर्थन के साथ पोषण रसोई उद्यान पहल, कंधमाल जिले के कोटागडा और तुमुदीबंधा ब्लॉक के 267 गांवों में ग्रामीण समुदायों को घर पर सब्जियां उगाने में मदद कर रही है। अब तक उन्होंने 2,120 से अधिक किचन गार्डन को बनाने में सहायता की है, प्रत्येक में लगभग 13 से 17 प्रकार की सब्जियां उगाई जा रही हैं।
30 साल की रश्मिता पटमाझी का वजन दो साल पहले महज 45 किलो था। हीमोग्लोबिन कम होने के कारण वह हर समय थकान महसूस करती थी। उन्होंने बताया कि मैंने एक किचन गार्डन बनाया और फल और सब्जियां खाना भी शुरू किया। मेरा वजन अभी 49 किलो है और अब मुझे पौष्टिक आहार का महत्व पता चल गया है।
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बता दें कि 2018 में ओडिशा सरकार के आधिकारिक आंकड़ों में पिछले पांच वर्षों में कंधमाल में लगभग 3,500 कुपोषण से हुई मौतों को सूचीबद्ध किया गया है। जिले में 53 प्रतिशत से अधिक आदिवासी आबादी है, जो राज्य में कुपोषण की उच्च घटनाओं की रिपोर्ट करने वाले शीर्ष समुदायों में से एक है। ओडिशा चैप्टर के संयोजक समीत पांडा ने कहा कि अन्य समुदायों की तुलना में आदिवासियों में अल्पपोषण अधिक प्रचलित है। ओडिशा में जहां इसकी 37.26 प्रतिशत आबादी पौष्टिक भोजन से वंचित है, किचन गार्डन बनाने की अधिक आवश्यकता है, जो उनके परिवारों के लिए पोषण की स्थिति को सुरक्षित करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करेगा।