पिज्जा ऑर्डर करने से पहले अब सोचना पड़ेगा, AAAR ने बढ़ाई स्वाद की उलझन
मुंबई, 15 मार्च: पिज्जा के ऊपर लगने वाली टॉपिंग पिज्जा का हिस्सा नहीं है। हरियाणा अपीलेट अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग के इस फैसले से आने वाले दिनों में पिज्जा के दीवानों के जायके की उलझन बढ़ सकती है। इसने पिज्जा टॉपिंग पर 18% गूड्स एंड सर्विस टैक्स के पक्ष में फैसला दिया है। टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि जीएसटी कानून में पहले से ही कई तरह की पेचीदगियां रही हैं और हो सकता है कि आने वाले दिनों में रेस्टोरेंट, होटलों या होम डिलवरी के दौरान टैक्स का यह लफड़ा कई विवादों की वजह बन सकता है।
पिज्जा टॉपिंग, पिज्जा नहीं है-एएएआर
हरियाणा अपीलेट अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (एएएआर) के एक फैसले ने पिज्जा खाने और बेचने वालों की उलझनें बढ़ा दी हैं। अथॉरिटी ने फैसला दिया है कि पिज्जा की टॉपिंग पिज्जा नहीं है, इसलिए इसपर 18% जीएसटी लगनी चाहिए। टैक्स एक्सपर्ट का मानना है कि इस फैसले से पिज्जा ब्रांड के सामने टैक्स की उलझनें बढ़ गई हैं। पिज्जा रेस्टोरेंट या होटल के भीतर भी बेचे जाते हैं और होम डिलीवरी में तो इसका कोई तोड़ ही नहीं है और कई ब्रांड सिर्फ इसी के भरोसे चांदी काट रहे हैं।
'पिज्जा टॉपिंग पर 18% जीएसटी लगे'
पिज्जा पर जीएसटी के अलग-अलग दर उसे तैयार करने और बेचने के तरीके पर निर्भर है। रेस्टोरेंट के अंदर यदि पिज्जा बेचा और खाया जाता है तो उसपर 5% जीएसटी लगती है। पिज्जा बेस अलग से खरीदने पर 12% जीएसटी का प्रवाधान है, जबकि अगर घर पर पिज्जा डिलीवरी की जाती है तो 18% जीएसटी लगती है। लेकिन, हरियाणा एएएआर ने बीते 10 मार्च को जो फैसला दिया है उसके मुताबिक पिज्जा की टॉपिंग पर 18% जीएसटी लगनी चाहिए, क्योंकि इसे तैयार करने का तरीका पिज्जा बनाने से अलग है।
'पिज्जा टॉपिंग में बड़ी मात्रा में वेजिटेबल फैट'
अथॉरिटी टॉपिंग में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्रियों पर विचार करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचा कि अगर 'चीज टॉपिंग' कहकर बेचा जाता है, तो भी वास्तव में यह चीज नहीं होता, इसलिए ज्यादा टैक्स लगना चाहिए। अथॉरिटी का मानना है कि पिज्जा टॉपिंग में बड़ी मात्रा में 'वेजिटेबल फैट' होता, जो कि सामग्री का 22% हिस्सा होता है, इसलिए इसे 'प्रॉसेस्ड चीज' की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। इसके मुताबिक पिज्जा टॉपिंग को 'फूड प्रेपरेशन' की श्रेणी में रखना ज्यादा सही है और इसलिए ज्यादा जीएसटी की दरकार है।
कंपनियों को 18% जीएसटी एडजस्ट करने की चुनौती
यानि अथॉरिटी के फैसले से पिज्जा बेचना और उसे खरीदना दोनों बहुत ही उलझाऊ प्रक्रिया बन सकती है। केपीएमजी इंडिया के पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा है कि यह एक जटिल प्रक्रिया है। जीएसटी को लेकर दुकानों, रेस्टोरेंट और होम डिलिवरी को लेकर एक टैक्स विवाद अलग से चल रहा है। टैक्स एक्सपर्ट का मानना है कि भविष्य में रेस्टोरेंट, कियोस्क और यहां तक कि पिज्जा कंपनियों को भी इस 18% जीएसटी को एडजस्ट करना पड़ेगा, जो ये टॉपिंग इस्तेमाल करते हैं।
जीएसटी पहले भी रहा है उलझाऊ विषय
हालांकि, एक्सपर्ट यह भी मानकर चल रहे हैं कि इस फैसले से कुछ पिज्जा कंपनियों के मार्जिन पर असर पड़ सकता है, लेकिन वे उपभोक्ताओं को होटलों-रेस्टोरेंट में 5% जीएसटी पर ही बेच पाएंगे। जीएसटी के तहत प्रोडक्ट का वर्गीकरण पहले ही एक उलझाऊ विषय रहा है। जैसे कि लस्सी और दूध पर जीएसटी नहीं लगती। लेकिन, फ्लेवर्ड मिल्क पर 12% जीएसटी लिया जाता है और फ्लेवर्ड लस्सी टैक्स के दायरे से बाहर है। इसी तरह नान और समोसा काउंटर पर खाया जा रहा है या बाहर रखे कुर्सी पर बैठकर, इसके लिए टैक्स की अलग-अलग व्यवस्था है। (तस्वीरें-सांकेतिक)