इको फ्रेंडली: अब पहनें हल्दी और नीम के गुणों वाला अंडरवेअर
नई दिल्ली। आज कल लोगों के अंदर नेचुरल चीजों को लेकर क्रेज बढ़ा है और इसलिए उनकी कोशिश रहती है कि वो ऐसी ही चीजों या सामानों को महत्व दें जो कि इको फेंडली हों। रोज मर्रा के लिए प्रयोग होने वाली चीजों में जागरूक लोग अब कोशिश कर रहे हैं वो ऐसे सामानों को प्रयोग करें, जो कि नेचुरल चीजों से बने हों।
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इनरवेयर भी इको-फ्रेंडली हो सकते हैं?
लेकिन क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आपके इनरवेयर भी इको-फ्रेंडली हो सकते हैं, सुनकर आपको अचरज हुआ ना, लेकिन आप अचरज में ना पड़िए क्योंकि ऐसा अब संभव है, दक्षिण भारत में इसकी शुरूआत हो चुकी है, अफसोस इस बात का है कि इस बात का पता भारतीयों को जापान से चला है।
सचिको बेतसुमेई की आयुर्वेदिक 'हारामकी'
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक इन दिनों जापान में सचिको बेतसुमेई की आयुर्वेदिक 'हारामकी' (एक तरह का अंडरवेअर) लोगों के बीच में तेजी से पॉप्युलर हो रहा है। इस इनरवेयर को बनाने में एक खास तरह के आयुर्वेदिक कपड़े का इस्तेमाल हुआ है, जिसकी खोज अरोमाथेरपिस्ट ने साल 2014 में केरल में कोवलम की एक कपड़े की दुकान में की थी।
ऑनलाइन स्टोर लॉन्च किया
जिसके बाद उन्होंने इससे मेल और फीमेल के अंडरगार्मेट बनाए और इसका एक ऑनलाइन स्टोर लॉन्च कर दिया। बेतसुमेई ने कहा, 'सभी प्रॉडक्ट (मोजे, पैंटी और ब्रा) जैविक कॉटन के बने हैं जिसे सप्पन वुड, तुलसी, त्रिफला जैसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में डुबो कर रखा गया है।' उन्होंने अलग-अलग प्रदर्शनियों में इन्हें बेचा जिसके बाद उन्हें पता चला कि इसकी काफी मांग है।
आयुर्वेदिक लान्जरी और कपड़े काफी लोकप्रिय
आयुर्वेदिक लान्जरी और कपड़े पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रहे हैं। साल 2006 में केरल के डायरेक्टरेट ऑफ हैंडलूम और गवर्नमेंट आयुर्वेद कॉलेज ने मिलकर 'आयुर्वस्त्र' लॉन्च किया था। अब कई विदेशी कंपनियां इस कपड़े को केरल के बलरामपुरम के कैराली एक्सपोर्ट से खरीद रहे हैं।
इन कपड़ों में नीम और हल्दी के गुण
यह हैंडलूम फर्म पहले आयुर्वस्त्र प्रॉजेक्ट में कपड़े रंगने का काम करती थी। अब वह इरोड और तिरुपुर में खुद कपड़ा तैयार कर रहे हैं। इन कपड़ों में नीम और हल्दी की शाखाओं का प्रयोग होता है और ये दोनों ही त्वचा के लिए अच्छे होते हैं।