ओआरओपी से नाराज पूर्व सैनिकों ने लौटाए अपने मेडल
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से जारी 'वन रैंक वन पेंशन'(ओआरओपी) योजना की अधिसूचना के विरोध में करीब 100 पूर्व सैनिकों ने मंगलवार को अपने युद्ध और बाकी वीरता मेडल लौटा दिए। चंडीगढ़ में पूर्व सैनिकों ने केंद्र सरकार की ओर से जारी वन रैंक वन पेंशन अधिसूचना के विरोध में पंचकूला के उपायुक्त को अपने मेडल लौटाए।
सैनिकों ने कहा मनाएंगे काली दिवाली
पंजाब के जालंधर, अमृतसर, पटियाला और हरियाणा के रोहतक, हिसार व अंबाला में भी पूर्व सैनिकों द्वारा मेडल लौटाए जाने की खबर है। पूर्व सैनिकों ने कहा है कि उन्होंने नरेंद्र मोदी की सरकार की ओर से शनिवार को जारी की गई अधिसूचना को ठुकरा दिया है।
पूर्व सैनिकों ने सरकार की अधिसूचना को खारिज करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की इस बयान के लिए निंदा की कि सारी मांगों को पूरा नहीं किया जा सकता।
इंडियन एक्स-सर्विसमेन मूवमेंट (आईईएसएम) के महासचिव ग्रुप कैप्टन वीके गांधी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हमारी केवल एक मांग है जो ओआरओपी की है। सरकार ने प्रावधान जोड़कर मुद्दे को जटिल कर दिया। हम परिभाषा के अनुसार ओआरओपी चाहते हैं।
पूर्व सैनिकों का बर्ताव सैनिकों की तरह नहीं
वहीं इस पूरे मुद्दे पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि विरोध करने वाले पूर्व सैन्य कर्मियों का आचरण ‘सैनिकों जैसा नहीं है।' उनका कहना है कि उन्हें गुमराह कर दिया गया है।
पर्रिकर ने ओआरओपी के फैसले को बीते एक साल में अपनी बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि इस कदम को अंतिम रूप भाजपा सरकार ने दिया।
उन्होंने कहा कि यह सैनिकों जैसा आचरण नहीं है। घोषणा के बावजूद जो लोग अब तक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं उन्हें गुमराह किया जा रहा है।
पर्रिकर ने कहा कि अगर कोई शिकायत है तो पूर्व सैन्य कर्मी न्यायिक आयोग के समक्ष अपना मामला रख सकते हैं जिसका गठन इसी उद्देश्य से किया जाएगा।
रक्षा मंत्री ने सोमवार को कहा था कि लोकतंत्र में सभी को मांग उठाने का अधिकार है, लेकिन सारी मांगों को पूरा नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों की अधिकतर मांगों को पूरा कर लिया गया है। सरकार जो न्यायिक आयोग बनाने वाली है वह पूर्व सैनिकों की समस्याओं पर विचार करेगा।