साझीदार ही नहीं, महाराष्ट्र की सत्ता में बैठने का मौका भी गंवा देगी शिवसेना!
बेंगलुरू। महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर चला आ रहा गतिरोध आज खत्म हो सकता है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजों को आए हुए 15 हो चुके हैं, लेकिन बीजेपी और शिवसेना के बीच सत्ता बंटवारे को लेकर जारी घमासान थमने का नाम ही नहीं ले रहा है और अगर आज दोनों दलों के बीच कोई समझौता नहीं हुआ तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की संभावना बढ़ जाएगी।
हालांकि बीजेपी के चाणक्य राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की नेतृत्व में इसकी संभावना कम ही नजर आती है। शायद यही कारण है कि शिवसेना को अपने उन विधायकों का डर सताने लगा है, जो इस बार नए-नए चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं। शिवसेना को डर है कि बीजेपी उनके नए विधायकों को तोड़कर महाराष्ट्र में अकेले सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है।
गौरतलब है आज चंद्रकांत पाटिल के नेतृत्व में बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलने जा रहा है। माना जा रहा है कि बीजेपी प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से सीएम देवेंद्र फडणवीस द्वारा मंजूर संदेश के साथ मिलेगा। हालांकि अभी तक इसका खुलासा नहीं हो पाया है कि सीएम फडणवीस द्वारा मंजूर किया गया वह संदेश क्या है, जो अपने साथ लेकर बीजेपी प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मुलाकात करेगा।
शिवसेना की आशंका को बल महाराष्ट्र सरकार में वित्त मंत्री सुधीर मनगंटीवार द्वारा बुधवार को दिए गए वह बयान है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जल्दी ही लोगों को खुशखबरी सुनने को मिलेगा। हालांकि तब भी मुंनगंटीवार ने न ही खुशखबरी की वजह बताई और न ऐसा कोई संदर्भ दिया, जिससे महाराष्ट्र में सरकार बनाने की राह आसान हुई हो।
चूंकि महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए आज-आज का वक्त शेष है और इतने कम समय में शिवसेना और बीजेपी के बीच कोई रणनीतिक साझेदारी विकसित नहीं हुई तो शाम तक बीजेपी कुछ ऐसा कर सकती है, जिसकी आशंका शिवसेना मुखपत्र सामना में कर चुकी है।
सामना में शिवसेना ने कहा है कि कुछ लोग उसके नवनिर्वाचित विधायकों से संपर्क कर थैली की भाषा बोल रहे हैं। सामना में छपे लेख के जरिए शिवसेना ने आगाह किया है कि वह राज्य में मूल्यविहीन राजनीति को नहीं चलने देगी, जिसको नेस्तनाबूद करने के लिए उसके शिवसैनिक तलवार लिए खड़े हैं।
शिवसेना के तेवर को देखते हुए लगता नहीं है कि शिवसेना अभी भी बीजेपी के साथ समझौते के मूड में है। अब चूंकि वक्त बेहद कम वक्त रह गया है, तो महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त ही एक रास्ता है, जिसके जरिए कोई भी सरकार गठन के बारे में सोच सकता है। शायद यही कारण है कि शिवसेना डर गई है कि कहीं उसके विधायकों को तोड़ने की कोशिश न की जा रही है।
यही वजह है कि गुरूवार दोपहर 12 बजे शिवसेना ने विधायक दलों की बैठक बुलाई है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजों में 56 सीटें जीतने वाली शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार में शामिल होने की शर्त को एक बार फिर दोहराया है कि मुख्यमंत्री शिवसेना का ही बनेगा।
उल्लेखनीय है शिवसेना के रवैये में पिछले 15 दिनों में कोई बदलाव नहीं आया है। एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने की शिवसेना की कवायद को उस वक्त धक्का लग गया जब एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने सीधे लब्जों में विपक्ष में बैठने की घोषणा कर दी। शिवसेना एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना सकती थी।
क्योंकि ऐसी अटकलें थी कि 44 सीटों पर विजयी रही कांग्रेस दोनों दलों के गठबंधन को बाहर से समर्थन दे सकती है, लेकिन यह फार्मूला परवान नहीं चढ़ सका, जिससे शिवसेना को सरकार में शामिल होने के लिए बीजेपी के अलावा कोई और विकल्प नहीं रह गया है।
वैसे, महाराष्ट्र में सरकार के गठन के लिए बीजेपी और शिवसेना के बीच लगातार बातचीत हो रही है, लेकिन किसी बात किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। सूत्र कहते हैं कि बीजेपी ने शिवसेना को डिप्टी सीएम के साथ-साथ 16 मलाईदार मंत्रालय देने की पेशकश कर चुकी थी, लेकिन शिवसेना मुख्यमंत्री पद को लेकर जिद पर अब भी अड़ी है।
संभव है कि शिवसेना की जिद महाराष्ट्र में उसको बीजेपी जैसा पार्टनर ही नहीं, महाराष्ट्र की सत्ता हस्तांतरण के मौकों से भी दूर कर सकता है, क्योंकि शिवसेना की आशंका में जरा भी सच्चाई हुई तो बीजेपी अकेले दम पर बीजेपी में सरकार बनाने में नहीं चूकेगी।
फिलहाल, शिवसेना और बीजेपी गठबंधन को जनादेश देने वाले महाराष्ट्र की जनता चुपचाप तमाशा देख रही है, क्योंकि बीजेपी और शिवसेना अथवा बीजेपी अकेले दम पर महाराष्ट्र में सरकार गठन में कामयाब नहीं हुई तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगना तय माना जा रहा है और अगले कुछ महीन में जनता को दोबारा चुनाव में जाना पड़ सकता है।
अगर ऐसा होता है तो बीजेपी और शिवसेना दोनों को नुकसान उठाना पड़ सकता है और एनसीपी को इसका फायदा मिल सकता है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 से पूर्व मंझधार में फंसी एनसीपी ने महाराष्ट्र में जैसा कमबैक किया है, उससे बड़ी संभावना है कि अगर जनता को दोबारा मतदान करना पड़ा तो वह बीजेपी और शिवसेना के बजाय एनसीपी और कांग्रेस को चुनेगी।
पूरी संभावना है कि अगर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा तो अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी अकेले दम पर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उतरेगी। चूंकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजे और आंकड़े इस बात की गवाह हैं कि महाराष्ट्र में हर बीजेपी की ही बह रही थी इसलिए अगले चुनाव में फायदा बीजेपी को पहुंच सकता है। संभव है बीजेपी अकेले दम पर सरकार गठन लायक आंकड़े ले आए। ऐसी स्थिति में शिवसेना को एक महत्वपूर्व साझीदार ही नहीं, बल्कि भविष्य में सत्ता में बैठने का ख्वाब भी धूमिल पड़ सकता है।
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राज्यपाल से आज मिलेगा बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल
चंद्रकांत पाटिल के नेतृत्व में बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल आज राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करेंगे। बीजेपी नेता राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। बुधवार को बीजेपी कोर कमिटी की बैठक के बाद राज्य के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा था कि चंद्रकांत पाटील के नेतृत्व में बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल सीएम देवेंद्र फड़णवीस द्वारा मंजूर संदेश के साथ राज्यपाल से मुलाकात करेगा और जल्द ही खुशखबरी देने की बात भी कही थी। यह अलग बात यह है कि उन्होंने खुशखबरी का निचोड़ नहीं दिया था।
दोपहर 12 बजे शिवसेना विधायकों की बैठक
बीजेपी प्रतिनिधिमंडल के राज्यपाल से मिलने खबर ने शिवसेना की भौंहे सिकोड़ दी है, जिससे परेशान शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने दोपहर 12 बजे पार्टी के विधायकों की बैठक बुलाई है। दरअसल, शिवसेना को अपने विधायकों के टूटने का डर सता रहा है। शिवसेना द्वारा दोपहर में शिवसेना के विधायकों की बैठक बुलाने का मकसद एकजुटता दिखाना है। माना जा रहा है आसन्न टूट से घबराई शिवसेना अपने विधायकों को किसी फाइव स्टार होटल में ठहरा सकती है।
टारगेट पर हैं महाराष्ट्र में जीतकर आए नवनिर्वाचित विधायक
शिवसेना को पूरी आशंका है कि बीजेपी उसके विधायकों को तोड़कर महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दावा कर सकती है। यह अलग बात है कि विधायक एनसीपी और कांग्रेस के भी टूटकर बीजेपी में जा सकते हैं। शिवसेना का डर उसके मुख पत्र सामना में दिखा, जहां उसने बाकायदा लिखा है कि कुछ लोग नए विधायकों से संपर्क कर 'थैली' की भाषा बोल रहे हैं और ऐसी शिकायतें बढ़ रही है। शिवसेना ने कहा है कि पिछली सत्ता का उपयोग अगली सत्ता के लिए ‘थैलियां' बांटने में हो रहा है।
इसलिए राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है महाराष्ट्र
बीजेपी और शिवसेना अथवा बीजेपी अकेले दम पर महाराष्ट्र में सरकार गठन में कामयाब नहीं हुई तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगना तय है और अगले कुछ महीने में ही महाराष्ट्र की जनता को दोबारा चुनाव में जाना पड़ सकता है। अगर ऐसा हुआ है तो बीजेपी और शिवसेना दोनों दलों को अगले विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है और इसका सीधा फायदा एनसीपी और कांग्रेस को मिल सकता है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 से पूर्व मंझधार में फंसी एनसीपी ने 54 सीट जीतकर कमबैक किया है और कांग्रेस ने भी पिछले विधानसभा चुनाव से 2 सीट अधिक जीती हैं।