निर्भया केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोली दिल्ली पुलिस -जो वादा किया था, उसे निभाया
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्भया केस में दोषियों की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए फांसी की सजा बरकरार रखी थी। निर्भया गैंगरेप केस में चार में से तीन दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया। बता दें कि मौत की सजा पाए चौथे आरोपी अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर नहीं की थी। वहीं, इस फैसले के बाद दिल्ली पुलिस की उस टीम के चेहरे पर भी सुकून के भाव देखे जा सकते थे जिन्होंने इस केस को अंजाम तक पहुंचाने के लिए दिन-रात एक कर काम किया था।
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'दिल्ली पुलिस ने किया था वादा'
वहीं, 16 दिसंबर, 2012 के गैंगरेप के मामले की जांच करने वाले दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का भी बयान आया है। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि वो अब पीड़िता के माता-पिता से नजरें मिला सकते हैं। 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा के साथ गैंगरेप और मौत के मामले में सजा दिलाने का जो वादा किया था, उसे पूरा किया है।
'सुप्रीम कोर्ट ने भी जांच को सराहा था'
तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस छाया शर्मा, जिन्होंने इस केस को लीड किया था, उन्होंने कहा कि यह पीड़िता की ताकत और दृढ़ विश्वास था जिसके कारण मामला इस अंजाम तक पहुंचा। छाया शर्मा अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में डीआईजी के पद पर कार्यरत हैं। छाया शर्मा ने कहा, 'प्रत्येक जांच हमनें पूरी तरह से सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर की। सुप्रीम कोर्ट ने भी जांच में हमारी भूमिका की सराहना की थी और आज हमें लगता है कि हमारी टीम की कड़ी मेहनत का परिणाम मिल गया है, ये एक टीम वर्क था।'
'पुलिस और न्यायपालिका में विश्वास कायम'
मामले की जांच करने वाले अधिकारियों में से एक अनिल शर्मा कहते हैं, "निर्भया के माता-पिता की आंखों में अलग ही चमक थी। ये पुलिस और न्यायपालिका में उनके विश्वास को बता रही थी। हमने एक साथ लंबी लड़ाई लड़ी और कोर्ट के फैसले ने साबित कर दिया है कि पुलिस ने इस केस में काफी गहन और विस्तृत जांच की थी।
17 दिसंबर को इस केस में पहली सफलता मिली थी
वसंत विहार पुलिस स्टेशन के तत्कालीन SHO ने बताया, 'इस केस में पहली सफलता 17 दिसंबर को मिली थी जब महिपालपुर के एक होटल से सीसीटीवी फुटेज में संदिग्ध वाहन पर 'यादव' का पता चला था। इसके आधार पर, दर्जनों बसों को स्कैन करने के बाद हमें राम सिंह द्वारा चलाई जाने वाली बस का पता चला जिसके अंदर अपराध हुआ था। उन्होंने कहा कि जांच में पांच बातें - फिजिकली मौजूद सबूत, फोरेंसिक, इलेक्ट्रॉनिक, डीएनए प्रोफाइलिंग और सबसे महत्वपूर्ण ऑर्थोडोंटिक टेस्ट अहम थीं।
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