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तो झूठी है नेहरु की एटली को नेताजी के बारे में लिखी गई वह चिट्ठी!

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नई दिल्‍ली। शनिवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्‍यु से जुड़े रहस्‍य को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार के पास मौजूउ 100 फाइलों को सार्वजनिक किया गया। फाइलें सार्वजनिक होती इससे पहले ही एक खबर ने पूरे देश में सनसनी फैलाने का काम किया था।

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खबर थी कि 26 दिसंबर 1945 को उस समय के भारतीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की ओर से तत्‍कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्‍लेमेंट एटली को नेताजी से संबंधित एक चिट्ठी लिखी गई थी।

फाइलें सार्वजनिक होने के बाद नेताजी पर सात अहम खुलासे

कांग्रेस ने जहां इस चिट्ठी को पूरी तरह से झूठा करार दिया है तो वहीं रिसर्चर्स भी इस चिट्ठी की वैधानिकता पर आशंका जता रहे हैं।नेताजी से जुड़े विषयों पर रिसर्च कर रहे लीडिंग रिसर्चर अनुज धर ने इस चिट्ठी को सच मानने से इंकार कर दिया है।

क्‍या कहते हैं अनुज धर

इस चिट्ठी में नेताजी को एक वॉर क्रिमिनल बताया गया है और लिखा है कि रूस के जनरल जोसेफ स्‍टालिन ने इस 'वॉर अपराधी' को अपने यहां पर शरण दे रखी है। चिट्ठी के मुताबिक रूस ने ऐसा करके भारतीयों क‍े विश्‍वास को चोट पहुंचाई है।

इस चिट्ठी के साथ ही नेताजी के स्‍टेनोग्राफर रहे श्‍यामलाल जैन की ओर भी सबका ध्‍यान गया। जैन ने खोसला कमीशन के सामने अपना बयान दर्ज कराया था।

बोस की कुछ अनदेखी तस्वीरें

उन्‍होंने नेताजी की मौत के रहस्‍य के लिए बनाए गए इस कमीशन के सामने कहा था कि नेहरु ने स्‍टालिन को वर्ष 1945 को जो चिट्ठी लिखी थी, उसे उन्‍होंने ही टाइप किया था। जैन के मुताबिक यह वही चिट्ठी थी जिसमें नेहरु ने नेताजी के बंधक होने की बात लिखी थी।

नेताजी से जुड़े विषयों पर रिसर्च कर रहे लीडिंग रिसर्चर अनुज धर शनिवार को फाइल्‍स के सार्वजनिक होने वाले कार्यक्रम में मौजूद थे। इस चिट्ठी के बारे में उनका कहना है कि इस चिट्ठी से पहले जैन ने खोसला कमीशन के सामने जो कुछ भी कहा था, उसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।

जो चिट्ठी नेहरु ने एटली को लिखी थी, वह पिछले कुछ समय से लोगों के बीच में है साथ ही इस बात के कोई भी सुबूत नहीं हैं जो चिट्ठी को वैधानिक करार दें।

मौत से पहले नेताजी मांग रहे थे पानी

धर की मानें तो उन्‍होंने अब तक जितनी भी रिसर्च की है उनमें उन्‍होंने इस तरह के किसी भी चिट्ठी को प्रयोग नहीं किया है। ऐसे में वह इस चिट्ठी की वैधानिकता को सही नहीं करार दे सकते हैं।

ब्रिटिश पीएमओ ने कर दिया इंकार

पूरे देश में जहां इस बात पर बहस जारी है कि क्‍या नेताजी वर्ष 1945 या इसके बाद तक जिंदा थे या नहीं, तो ऐसे में इस चिट्ठी का सामने आना अपने आपमें काफी अहम है। अनुज धर ने कहा कि उनकी ओर से ब्रिटिश प्राइम मिनिस्‍टर के

कार्यालय को इस चिट्ठी के बाबत काफी लिखा गया लेकिन पीएमओ की ओर से ऐसी किसी चिट्ठी के बारे में साफ इंकार कर दिया गया। धर की मानें तो कोई भी गंभीर व्‍यक्ति जो इस विषय में रिसर्च कर रहा है वह ऐसी किसी चिट्ठी पर यकीन करता है।

नेताजी से जुड़ी 40 अहम बातें

उन्‍होंने कहा कि कई ऐसे संवाद मौजूद हैं जो वर्ष 1945 के बाद भी नेताजी के जिंदा होने की ओर इशारा करते हैं लेकिन उन्‍हें इस बात पर शक है कि इस सूचना को कभी किसी देश के विदेश मंत्रालयों साथ कभी साझा किया गया होगा।

अनुज धर ने आगे जानकारी दी और बताया कि जैन की ओर से दर्ज कराया गया बयान इस बात की ओर से इशारा जरूर करता है कि नेहरु को यह बात मालूम थी कि नेताजी जिंदा हैं।

जैन ने शपथ के साथ अपना बयान दर्ज कराया था। कमीशन की ओर से इस बात को न तो इंकार किया गया है और न ही इससे सह‍मति जताई गई है।

Comments
English summary
A letter dated 26th December 1945 said to be written by Jawaharlal Nehru to then British Prime Minister Clement Attlee regarding Netaji Subhas Chandra Bose has been in circulation.
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