BJP की मतलबी सियासत में सिर्फ इन दोनों से इस्तीफा क्यों?
लखनऊ(हिमांशु तिवारी आत्मीय ) हो सकता है कि आप हमारे कहने के आशय को न समझ पाएं हों। लेकिन खबर बड़ी है तो सस्पेंस भी बनता है। दरअसल मंत्रीमंडल में 75 साल की उम्र होने के बाद मंत्री मंडल से छुट्टी नीति के अंतर्गत है। जिसके तहत नजमा हेपतुल्ला से इस्तीफा ले लिया गया। पीएम मोदी ने जीएम सिद्धेश्वर की भी छुट्टी कर दी।
न खुश थे प्रधानमंत्री मोदी !
जानकारी की मानें तो अल्पसंख्यक मंत्रालय में सुस्त कामकाज को लेकर पीएम मोदी खुश भी नहीं थे। जबकि सरकार द्वारा दलील यह दी जा रही है कि पांच जुलाई को कैबिनेट विस्तार के दिन वे विदेश में थीं, इसलिए उनका इस्तीफा नहीं हो सका था। हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव सिर पर है, ऐसे में शायद ही नजमा को बिना किसी किरदार के रखा जाए। चर्चा है कि नजमा हेपतुल्ला को राज्यपाल बनाया जा सकता है जिससे अल्पसंख्यकों का भी मोहभंग न हो और महिला सशक्तिकरण की दिशा में इसे एक और उपलब्धि के रूप में गिना जा सके।
75 के कलराज भी, पर इस्तीफा क्यों नहीं ?
1 जुलाई 1941 को जन्में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम मंत्री कलराज मिश्रा भी 75 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं लेकिन उनसे इस्तीफा क्यों नहीं ? जबकि ये नीति के विपरीत है। जी हां इन सवालों की सुगबुगाहट सत्ता के गलियारों के साथ-साथ आम लोगों के जहन में भी है।
इसलिए नहीं लिया गया ''इस्तीफा''
यूपी में 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं। और भाजपा किसी भी किस्म की गलती नहीं करना चाहती। कलराज मिश्रा से मंत्री पद से इस्तीफा न लेने के पीछे एक वजह के तौर पर यूपी चुनाव की मजबूरी को बताया जा रहा है। वहीं दूसरी वजह ये भी है कि कुछ दिनों पूर्व भाजपा के अंदरूनी खेमे ने वन इंडिया से नाम न खोलने की शर्त पर बताया था कि भाजपा जातिगत राजनीति के दांवपेंचों में इस हद तक उलझ चुकी है कि उसने अंबेडकर को अपना बताने की होड़ में पारंपरिक माने जाने वाले सवर्ण वोट बैंक को नजरंदाज करना शुरू कर दिया। जिससे कई सवर्ण वरिष्ठ भाजपा नेताओं में नाराजगी व्याप्त है। ऊपरी दबाव के चक्कर में न तो इस को बता सकते हैं लेकिन भला ये छिपे भी तो कैसे ? इस कारण भी कलराज मिश्रा से इस्तीफा नहीं लिया गया।