Nagaland:नागा-विद्रोहियों की खुली चुनौती, 'बहाए गए खून का बदला लिया जाएगा.....'
कोहिमा, 7 दिसंबर: नागालैंड में 4 दिसंबर को हुई वारदात के खिलाफ एक नागा-विद्रोही गुट ने खुलेआम बदले का ऐलान कर दिया है। नागा आर्मी नाम के एक ऐसे ही विद्रोही गुट नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन) की ओर से बयान जारी कर निर्दोष नागरिकों के मारे जाने की निंदा की गई है और इसका देर-सबेर बदला लेने का ऐलान किया गया है। इस बयान में कहा गया है कि हमें उम्मीद है कि हमारे लोग हमारी ओर से उठाए गए कदमों को समझेंगे। बता दें कि इस बेहद दुखद घटना में 14 बेगुनाह नागरिकों समेत एक जवान की मौत हो गई थी। (तस्वीर-हॉर्नबिल महोत्सव के मौके पर मारे गए लोगों के प्रति सहानुभूति जताने के लिए काले झंडे फहराने की)
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नागा-विद्रोहियों
की
खुली
चुनौती
उग्रवादी
संगठन
नेशनल
सोशलिस्ट
काउंसिल
ऑफ
नागालैंड
(एनएससीएन)
ने
नागालैंड
के
मोन
जिले
में
हुई
घटना
को
लेकर
बेहद
ही
भड़काऊ
बयान
जारी
किया
है।
इसमें
दावा
किया
गया
है
कि
इस
संगठन
ने
अब
तक
खुद
को
'हमारे
लोगों
की
इच्छाओं
को
ध्यान
में
रखते
हुए
जो
शांतिपूर्ण
माहौल
की
खोज
में
हैं....'
'भारतीय
सेना
के
दुखदायी
कब्जों'
को
लेकर
इसके
खिलाफ
अभियान
चलाने
से
रोका
है।
इसमें
कहा
गया
है
कि
'लेकिन
हमारे
लोगों
को
हमारे
लक्ष्य
को
शांतिपूर्ण
तरीके
से
हासिल
करने
की
कोशिश
करने
के
लिए
बेशर्म
ठेकेदारों
से
क्या
मिला
है?
कुछ
नहीं।
सिर्फ
अत्याचार,
रेप,
हत्या
और
समय-समय
पर
सामने
आई
अनकही
पीड़ा।
'
'बहाए
गए
खून
का
बदला
लिया
जाएगा.....'
इस
बयान
में
4
दिसंबर
की
घटना
की
निंदा
करते
हुए
पीड़ित
नागरिकों
के
परिवारों
के
प्रति
संवेदना
जाहिर
की
गई
है।
इसके
बाद
धमकी
भरे
अंदाज
में
कहा
गया
है,
'इसीलिए
यह
सबको
पता
होना
चाहिए
कि
बेगुनाहों
के
बहाए
गए
खून
का
नागा
आर्मी
की
ओर
से
देर
या
सबेर
बदला
लिया
जाएगा
और
हमें
भरोसा
है
कि
जब
हम
इस
तरह
की
कार्रवाई
करेंगे
तो
हमारे
लोग
समझ
जाएंगे।'
एनएससीएन
ने
दी
खूनी
खेल
की
धमकी
यह
बयान
कथित
'गवर्नमेंट
ऑफ
पीपुल्स
रिपब्लिक
ऑफ
नागालैंड
(जीपीआरएन)'
के
'नागा
आर्मी'
की
ओर
से
जारी
किया
गया
है,
जो
कि
नागा-विद्रोही
संगठन
एनएससीएन
की
ओर
से
स्थापित
एक
कथित
विस्थापित
सरकार
है।
इसी
जीपीआरएन
के
कथित
सूचना
और
प्रचार
मंत्रालय
की
ओर
से
अलग
से
भी
एक
बयान
जारी
किया
गया
है,
जिसके
मुताबिक,
'तथ्य
यह
है
कि
भारतीय
सुरक्षा
बलों
का
नगालिम
में
यह
खूनी
खेल
कोई
नई
बात
नहीं
है,
बल्कि
वैध
नागा
राजनीतिक
आंदोलन
को
दबाने
के
लिए
अतीत
की
पुनरावृत्ति
है।'
इसे भी पढ़ें- नागालैंड हिंसा: राज्य कैबिनेट ने की केंद्र से मांग, हटाया जाए AFSPA
14
नागरिकों
और
एक
सैनिक
की
हुई
थी
मौत
उधर
नेशनलिस्ट
सोशिलिस्ट
वुमेंस
ऑर्गेनाइजेशन
ऑफ
नागालिज्म
ने
एक
बयान
में
कहा
है
कि
'यह
नागा-विरोधी
दुश्मनी
की
वजह
से
किया
गया
एक
पूर्व-नियोजित
नरसंहार
प्रतीत
होता
है।'
बता
दें
कि
शनिवार
शाम
को
नागालैंड
के
मोन
जिले
में
हुई
फायरिंग
की
एक
घटना
में
14
नागरिकों
और
एक
सैनिक
की
मौत
हो
गई
थी।
जानकारी
के
मुताबिक
ओटिंग
गांव
के
कुछ
दिहाड़ी
मजदूर
एक
कोयले
के
खदान
से
पिकअप
वैन
में
लौट
रहे
थे,
तभी
कथित
तौर
पर
सुरक्षा
बलों
ने
उनपर
फायरिंग
कर
दी।
सुरक्षा
बलों
का
दावा
है
कि
उन्होंने
ठोस
खुफिया
सूचना
के
आधार
पर
एक
उग्रवादी-विरोधी
योजना
बनाई
थी।
इस
घटना
को
गलत
पहचान
का
केस
बताया
जा
रहा
है।
लेकिन,
अब
इसमें
उग्रवादी
संगठनों
ने
आग
में
घी
डालने
का
खेल
शुरू
कर
दिया
है।