सारी एहतियात और वैक्सीन लेने के बाद भी मुझे कोरोना हुआ और मैंने उसे हराया
नई दिल्ली, 29 मई: मैं उन लोगों को शुक्रिया कहकर शुरू करूंगा जिनकी वजह से मैं कोरोना संक्रमण से उबर पाया। डॉक्टरों और सभी स्वास्थ्यकर्मियों को मैं सलाम करता हूं। अब मैं बताऊंगा कि क्यों मैं अपनी कहानी यहां बता रहा हूं। आपको बता दूं कि मैं कोरोना होने से पहले एकदम स्वस्थ था, कोई बीमारी नहीं थी। सभी जरूरी एहतियात भी बरत रहा था। हाथ धोना, मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रख रहा था। कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड की दोनों खुराक ले चुका था लेकिन फिर भी मुझे कोविड हुआ और इसने मुझे पर जोरदार हमला किया और काफी ज्यादा मुझे प्रभावित किया।
सबसे पहले मुझे बुखार, कंपकंपी, नाक में जकड़न जैसी परेशानियां शुरू हुईं। करीब 4 दिनों तक ये रहा तो मैंने टेस्ट कराया। 26 अप्रैल को मेरा आरटी-पीसीआर टेस्ट पॉजिटिव आया। जिसके बाद डॉक्टरों की सलाह से मैंने दवा ली। इस सबके बीच कमजोरी बढ़ती जा रही थी। वहीं स्वाद और बू आना एकदम खत्म हो गया था। तीन मई को सांस में तकलीफ बहत बढ़ गई तो मुझे सेंट मार्थ अस्पताल ले जाया गया। सीटी स्कैन और कई टेस्ट किए गए। मुझे हल्का क्रेस्केंडो सर्ज आया। मेन थेरेपी के साथ कॉर्टिको स्टेरॉयड दिए गए और ब्लड क्सॉट्स को रोकने के लिए क्लेक्सेन दिया गया। तो साथ ही सेफेलो स्पोरिन्स के साथ संक्रमण रोकने की कोशिश की गई। बेहतर देखभाल और समर्थन के लिए आईसीयू क्षेत्र में लाया गया। 15 लीटर/मिनट तक ऑक्सीजन की आवश्यकता एक फेस क्लैपिंग शराउड के जरिए दी गई।
आईसीयू का मुश्किल वक्त
छाती में लगातार घुटन और दम घुट रहा था। ऑक्सीजन की लगातार जरूरत थी, आईसीयू का एकांत भी मुश्किल था। सायरन ब्लू कोड, वेंटीलेटर की रोशनी, आस पास दिखते बिस्तर ये सब बहुत भयानक था। रह रहकर मन में मौत के ख्याल आते थे। कभी कब्रिस्तान तो कभी श्मशान के धुएं का सा अहसास होता था।
मुझे नहीं पता कैसे लेकिन तीन दिन बाद एक शक्ति का सा अहसास होता है। मैं महसूस करता हूं कि अब साँस लेना आसान हो गया है। ऑक्सीजन की आवश्यकता कम हो जाती है। मन भी शांत और स्थिर होने लगता है। इलाज में लगे डॉक्टरों के चहरे पर भी आत्मविश्वास की एक मुस्कुराहट दिखती है। जिसके बाद मुझे दूसरे बेड पर शिफ्ट कर दिया जाता है। अब मेरा शरीर कोविड को हरा रहा होता है।
वक्त पर इलाज और मजबूत इच्छा शक्ति के दम पर किया कोरोना को परास्त
वैक्सीन ने कोविड से उबारा
चिकित्सा टीमों का आत्मविश्वासी समर्थन, बच्चों और जीवनसाथी के प्यार, परिजनों, रिश्तेदारों और दोस्तों की अनगिनत प्रार्थनाओं की मदद से 11 दिनों में मेरी हालत अब घर लौटने की हो गई थी। मेरी हालत में सुधार था तो मुझे छुट्टी मिल गई। इस दौर को मैं देखता हूं तो लगता है कि वैक्सीन लेना मेरे ठीक होने की बड़ी वजह रहा। इसी ने मुझे वेंटिलेशन की जरूरत से बचाया। मैं कहूंगा कि सभी वैक्सीन जरूर लें। ताकि इस मुश्कल दौर में हम सब सुरक्षित रह सकें।