किसको मिलेंगे दिल्ली के अधिकार, कल सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला
नई दिल्ली। केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच बुधवार को फैसला करेगी। दिल्ली में राज्य सरकार या फिर केंद्र सरकार, किसके पास अधिक प्रशासनिक शक्तियां होनी चाहिए यह अब सुप्रीम कोर्ट के हाथ में है। बता दें कि, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाल (एलजी) ही दिल्ली के एडमिनिस्ट्रेटिव हेड हैं और कोई भी फैसला उनकी मंजूरी के बिना नहीं लिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने 6 दिसंबर 2017 को फैसला सुरक्षित रख लिया था
साल 2 नवंबर से सुनवाई शुरू हुई थी और एक महीने की लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 दिसंबर 2017 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। ऐसे में संवैधानिक बेंच अपने फैसले में कई संवैधानिक सवालों का जवाब देगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामला महत्वपूर्ण संवैधानिक व कानूनी पहलू से जुड़ा हुआ है, जिसे संवैधानिक बेंच जांच करेगी।
दोनों पक्षों ने दी ये दलीलें
केजरीवाल ने सर्वोच्च अदालत में दायर अपनी याचिका में कहा था कि, केंद्र सरकार दिल्ली में संवैधानिक रूप से चुनी गई सरकार के अधिकारों का हनन करती है। उपराज्यपाल अनिल बैजल केंद्र सरकार के इशारों पर काम करते हैं। इस वजह से दिल्ली के विकास कार्य प्रभावित होते हैं। केंद्र और उपराज्यपाल की ओर से दलील दी गई थी कि दिल्ली एक राज्य नहीं है, इसलिए उपराज्यपाल को यहां विशेष अधिकार मिले हैं।
पांच जजों की बेंच करेगी फैसला
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.के. सिकरी, जस्टिस ए.एम. खानविलकर, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की संवैधानिक बेंच इस मामले में फैसला देगी। केजरीवाल सरकार ने कोर्ट मे दी गई दलीलों में कहा था कि, संविधान के अनुच्छेद-239 एए के तहत पब्लिक ट्रस्ट का प्रावधान है। यानी दिल्ली में चुनी हुई सरकार होगी और वह जनता के प्रति जवाबदेह होगी। लेकिन केंद्र सरकार की दखलअंदाजी के चलते सरकार असहाय है।