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प्रणब मुखर्जी के संस्मरण में मोदी और कांग्रेस दोनों निशाने पर

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन इसी साल 31 अगस्त को हुआ था. निधन के बाद उनका संस्मरण आने वाला है.

By BBC News हिन्दी
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प्रणब मुखर्जी
Getty Images
प्रणब मुखर्जी

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, दिवंगत प्रणब मुखर्जी का मानना था कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कांग्रेस ने पॉलिटिकल फोकस खो दिया था और मनमोहन सिंह यूपीए गठबंधन को बचाने के बारे में सोचते रहे जिसका असर शासन-व्यवस्था पर पड़ा.

ये दावा किया गया है दिवंगत प्रणब मुखर्जी के आगामी संस्मरणों में, जिसके अंश रूपा पब्लिकेशंस ने जारी किए हैं.

संस्मरणों के अनुसार, प्रणब मुखर्जी मानते थे कि नरेंद्र मोदी की शैली 'निरंकुशता' वाली है.

इसमें प्रणब मुखर्जी के हवाले से कहा गया है कि ''कांग्रेस के कुछ नेता मानते थे कि साल 2004 वो यदि प्रधानमंत्री बन गए होते, तो साल 2014 की बड़ी पराजय से बचा जा सकता था. हालांकि मैं इससे सहमत नहीं हूं. मेरा मानना है कि जब मैं राष्ट्रपति बना तो कांग्रेस नेतृत्व ने अपना पॉलिटिकल फोकस खो दिया. सोनिया गांधी पार्टी के मामलों को संभालने में सक्षम नहीं थीं और सदन में डॉक्टर सिंह की लंबी ग़ैर-मौजूदगी ने अन्य सांसदों के साथ व्यक्तिगत संपर्क को ख़त्म कर दिया.''

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का इस साल 31 अगस्त को निधन हुआ था. वे 84 वर्ष के थे.

संस्मरणों के अंशों में कहा गया है, ''मेरा मानना है कि शासन का नैतिक अधिकार प्रधानमंत्री के पास होता है. प्रधानमंत्री और उनके प्रशासन के काम करने के तौर-तरीक़े, देश की समग्र दशा में प्रदर्शित होते हैं.''

इसमें आगे कहा गया है, डॉक्टर सिंह गठबंधन को बचाने के बारे में सोचते रहे, जिसका असर शासन-व्यवस्था पर हुआ. मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान निरंकुश तरीके से शासन किया, जिससे सरकार, विधायिका और न्यायपालिका के बीच संबंधों में कटुता आई. केवल समय ही बता सकेगा कि इन मामलों पर इस सरकार के दूसरे कार्यकाल में क्या कोई बेहतर तालमेल हुआ है.

नरेंद्र मोदी की सरकार ने ही प्रणब मुखर्जी को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' दिया था. पीएम मोदी कांग्रेस की आलोचना करते वक़्त हमेशा प्रणब मुर्खजी की तारीफ़ करते थे.

मार्क वॉर्नर

भारत ने चरमपंथी हमलों के बाद बहुत संयम बरता: मार्क वॉर्नर

हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के अनुसार, अमरीका के अग्रणी डेमोक्रेटिक वकील और भारत मामलों पर पार्टी के अहम पदाधिकारी मार्क वॉर्नर का कहना है कि भारत ने चरमपंथी हमलों के बाद बहुत संयम बरता है और अब उसे 'चीन-प्रायोजित एकाधिकारवादी पूंजीवाद' से निपटने के लिए अमरीका और अन्य लोकतंत्रों के साथ 'गठबंधन करने पर विचार' करना चाहिए.

अमरीकी सीनेट की इंटेलीजेंस पर सिलेक्ट कमिटी के उपाध्यक्ष मार्क वॉर्नर ने हिंदुस्तान टाइम्स के लीडरशिप समिट में कहा कि हाल के महीनों में चीन की आक्रामक सैन्य कार्रवाई और हथियारबंद टकराव के बाद भारत को चीन से निपटने के लिए ऐसा रुख़ अख़्तियार करने की ज़रूरत है जिसमें सैन्य, आर्थिक और तकनीकी सारे पहलू शामिल हों.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार को अमरीका और दुनिया को ये दिखाने की ज़रूरत है कि 'लोकतंत्र के लिए उसकी प्रतिबद्धता भारत के लिए भी है.'

उन्होंने कहा कि बीते साल जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे में किए गए बदलाव और नागरिकता संशोधन क़ानून के मामले में भारत को और अधिक आक्रामक तरीक़े से समझाने की ज़रूरत है.

मार्क वॉर्नर ने ये भी कहा कि भारत चीन को नाराज़ करने से बचता है और मध्य मार्ग अपनाता है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में चीन ने अपनी आक्रामक सैन्य कार्रवाई से इसे चुनौती दी है.

दिल्ली-जयपुर हाईवे जाम करने की तैयारी

दिल्ली-जयपुर हाईवे जाम करने की तैयारी

द हिंदू की ख़बर के मुताबिक, 12 जनवरी को दिल्ली-जयपुर हाईवे जाम करने के किसानों के एलान के मद्देनज़र टोल-प्लाज़ा की सुरक्षा के लिए भारी संख्या में पुलिस की तैनाती की गई है ताकि यातायात बाधित ना हो.

ख़बर में कहा गया है कि नए कृषि क़ानूनों के विरोध में प्रदर्शनकारी किसानों का साथ देने के लिए शुक्रवार को और अधिक किसानों ने दिल्ली की ओर रुख़ किया, जिनका इरादा दिल्ली-जयपुर हाईवे को जाम करना है.

पिछले दो हफ्तों से हज़ारों किसान दिल्ली से लगने वाली हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा पर डटे हैं.

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने एक बयान में कहा है कि ''सिंघु, टिकरी, ग़ाजीपुर और पलवल सीमा पर धरने की जगहों पर और अधिक किसान पहुंच चुके हैं. तमिलनाडु से भी किसानों का समूह आ पहुंचा है. दिल्ली के प्रदर्शन में भारत के लगभग हर राज्य से किसान जल्द ही पहुंच रहे हैं.''

दिल्ली से लगती उत्तर प्रदेश की सीमा पर भारतीय किसान यूनियन के टिकैट धड़े ने टोल प्लाज़ा पर क़ब्ज़ा करने की योजना बनाई है.

द हिंदू के मुताबिक, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा है, हम टोल प्लाज़ा पर काम नहीं होने देंगे ताकि राजस्व की वसूली ना हो सके. हम सड़क बंद नहीं करेंगे और गाड़ियों को बिना पर्ची कटाए एक दिन मुफ्त में जाने देंगे.

ख़बर में कहा गया है कि हरियाणा से लगने वाली दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा के लिए 5,000 से ज़्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.

वामपंथी, माओवादी तत्वों ने किसानों के प्रदर्शन में घुसपैठ की: पीयूष गोयल

 पीयूष गोयल

टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के मुताबिक, केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि किसानों के आंदोलन में वामपंथी, माओवादी तत्वों ने घुसपैठ की है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि सरकार किसानों की चिंताओं पर बात करने के लिए तैयार है, लेकिन सुधार पूरे देश के हितों को ध्यान में रखकर किए गए हैं.

उन्होंने कहा कि यदि वाक़ई किसान नेता, किसानों का नेतृत्व कर रहे हैं तो सरकार उनसे बातचीत करने के लिए तैयार है और उनकी चिंताओं के प्रति सहानुभूति रखती है.

समाधान का एकमात्र रास्ता संवाद है, लेकिन दुख की बात है कि आश्वासन दिए जाने के बावजूद और उनकी चिंताओं पर बात करने के बाद भी ऐसा कोई कारण नहीं है जिस पर वे आंदोलन कर रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वामपंथी और माओवादी तत्वों ने इस आंदोलन में अपनी घुसपैठ की है, संभवत: वो ये चाहते हैं कि आंदोलन को बाधित किया जाए और अव्यवस्था फैलाई जाए.

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English summary
Modi and Congress targeted both in Pranab Mukherjee's memoir
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