मेजर गोगोई को मिली सजा, छह माह की सीनियॉरिटी के साथ कम हुई पेंशन
श्रीनगर। सेना ने मेजर लीतुल गोगोई पर सजा का ऐलान कर दिया है। मेजर लीतुल गोगोई की वरिष्ठता छह माह कम कर दी गई है और उनकी पेंशन भी कम हो गई है। मेजर गोगोई को पिछले वर्ष श्रीनगर के एक होटल में स्थानीय महिला के साथ पाया गया था। मेजर गोगोई के खिलाफ कोर्ट मार्शल मार्च में पूरा हो गया था।
प्रमोशन पर नहीं पड़ेगा कोई असर
कोर्ट मार्शल पूरा होने के बाद ही इस बात के संकेत मिल गए थे कि मेजर गोगोई की वरिष्ठता कम की जा सकती है और उनकी पेंशन पर भी असर पड़ सकता है। लेकिन उस समय इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी थी। मेजर गोगोई को अपनी ड्यूटी छोड़कर श्रीनगर के एक स्थानीय होटल में लोकल महिला के साथ दोस्ती के नाते मुलाकात करने का दोषी पाया गया था। सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक मेजर गोगोई की सजा के तहत वरिष्ठता का नुकसान सिर्फ उनकी पेंशन तक ही सीमित है और उनके आने वाले प्रमोशंस पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। वरिष्ठता के नुकसान का मतलब यह नहीं होगा कि वह अपने बैच के बाकी लोगों की तरह प्रमोशन के अधिकारी नहीं होंगे और उनकी आने वाली सर्विस पर इसका कोई असर पड़ेगा। सेना के सूत्रों की ओर से कहा गया है कि उन्हें छह माह की सीनियॉरिटी और इतनी ही पेंशन का नुकसान उठाना होगा।
क्या होंगे मेजर गोगोई की सजा के मायने
सरल शब्दों में जब वह सेना से रिटायर हो जाएंगे तो छह माह तक उन्हें पेंशन नहीं मिलेगी। मेजर गोगोई को अब कश्मीर घाटी से बाहर पोस्ट कर दिया गया है। राष्ट्रीय राइफल्स के साथ उनका कार्यकाल खत्म हो गया था। सेना सूत्रों की ओर से हालांकि इस बारे में कहा गया है कि इसे एक सजा या फिर अनुशासनात्मक कार्रवाई के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि यह एक साधारण प्रक्रिया है। मार्च 2016 से गोगोई राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) के साथ पोस्टेड थे। अक्टूबर 2018 तक उन्हें इनक्वॉयरी और दूसरी जरूरी कार्रवाई की वजह से यूनिट के साथ अटैच रखा गया था। आर्मी अथॉरिटीज की ओर से जानकारी दी गई है कि गोगोई की पोस्टिंग उनकी ड्यूटी का एक साधारण हिस्सा है। दो से ढाई वर्ष तक उन्हें आरआर के साथ तैनात रहना था। मार्च में कोर्ट मार्शल पूरा होने के बाद ही उनकी सीनियॉरिटी कम करने का प्रस्ताव दिया गया था। सेना ने अब इसकी पुष्टि की है। मेजर गोगोई साल 2017 में उस समय खबरों में आए थे जब उन्होंने पत्थरबाजी से यूनिट को बचाने के लिए घाटी के स्थानीय युवक को जीप पर बांध लिया था। इसके बाद उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित भी किया गया था।
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