Mahalaya Amavasya 2021: 'महालया अमावस्या' आज, PM मोदी ने दी शुभकामनाएं, जानें महत्व
नई दिल्ली, 06 अक्टूबर। आज 'महालया अमावस्या' है, आज के दिन पितृ विसर्जन का समापन होता है तो वहीं दूसरी ओर आज के अगले दिन शारदीय नवरात्र शुरू होते हैं। इसी वजह से आज का दिन बड़ा पावन है। पीएम मोदी ने इस खास मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।
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उन्होंने ट्वीट किया है कि 'शुभ महालया! हम मां दुर्गा के सामने शीश झुकाते हैं और पूरी पृथ्वी के लोगों को स्वस्थ रखने की प्रार्थना करते हुए अपने नागरिकों के कल्याण के लिए उनसे आशीर्वाद मांगते हैं, मैं सभी के खुशहाल और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं।'
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महालया अमावस्या को नार्थ के लोग सर्वपितु अमावस्या कहते हैं। आज के दिन जिन पितरों की मृत्यु की तिथि पता नहीं होती है उनका भी श्राद्ध किया जाता है। आज के दिन को पितृ विसर्जन कहा जाता है और आज के बाद पितृपक्ष का महीना खत्म होता है। ' महालया अमावस्या' बंगाल में काफी धूम-धूम से मनाया जाता है क्योंकि आज से यहां दुर्गा पूजा की शुरुआत होती है। दक्षिण राज्यों में भी इस दिन का बड़ा मान है। कर्नाटक में तो आज के दिन स्कूल-कॉलेज और दुकानें बंद रहती हैं।
Shubho Mahalaya!
We bow to Maa Durga and seek her blessings for the well-being of our planet and the welfare of our citizens. May everyone be happy as well as healthy in the times to come.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 6, 2021
मान्यता है कि आज से श्राद्ध का महीना खत्म होता है इसलिए मां दुर्गा धरती पर विराजती हैं और अगले 9 दिनों तक वो पृथ्वी पर निवास करती हैं। इसलिए बंगाल में आज मां दुर्गा के स्वागत का दिन माना जाता है इसलिए बंगाली गण इस दिन को काफी धूम-धाम और आस्था से मनाते हैं। आज घरों में पकवान बनते हैं। जहां पंडाल सजने होते हैं, वहां पर मां की मूर्तियां लाई जाती हैं, हालांकि उनकी आंखें षष्ठी-सप्तमी के दिन खोली जाती हैं। तो वहीं कर्नाटक के लोग आज मां की विशेष पूजा करते हैं और उनको चावल से बना प्रसाद भोग लगाते हैं।
आज के दिन पितृ विसर्जन के रूप में मनाते हैं
जबकि उत्तर भारत को लोग आज के दिन पितृ विसर्जन के रूप में मनाते हैं। लोग आज गंगा स्नान करते हैं और पितरों की विशेष पूजा करते हैं। आज घरों में पूर्वजों के मन का भोजन बनाया जाता है और ब्राह्मणों को खिलाया जाता है। आज के दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है, ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से पूर्वज खुश होते हैं और वो घरवालों को आशीष देते हैं और लोगों के कष्टों का समापन होता है।