NIA संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित, पक्ष में 278 और विपक्ष में पड़े 6 वोट
नई दिल्ली: लोकसभा में सोमवार को एनआईए संशोधन विधेयक पारित हो गया। इस विधेयक के पक्ष में 278 और विपक्ष में मात्र 6 वोट पड़े। विधेयक पर लाए गए सभी संशोधन प्रस्तावों को नामंजूर कर दिया गया। संशोधित बिल में राष्ट्रीय जांच एजेंसी को ज्यादा अधिकार देने के प्रावधान किए गए हैं। इस बिल के पास होने से पहले सदन में इस बिल पर चर्चा हुई। गौरतलब है कि साल 2008 में हुए 26/11 मुंबई आतंकी हमले के बाद साल 2009 में एनआईए का गठन किया गया था। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे।
एनआईए विधेयक में मौजूदा संशोधन के बाद गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून की अनुसूची चार में संशोधन से एनआईए उस व्यक्ति को आतंकवादी घोषित कर पाएगी जिसका आतंक से संबंध होने का शक हो। अमित शाह ने कहा कि इस बिल पर सदन में वोटिंग होनी चाहिए ताकि देश को पता चल सके कि कौन -कौन आतंकवाद के पक्ष में है और कौन इसके खिलाफ है।
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— Lok Sabha TV (@loksabhatv) July 15, 2019
गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि पोटा को हटाना नहीं जाना चाहिए था। इसी वजह से साल 2004 से साल 2008 तक देश में आतंकवाद लगातार बढ़ा और फिर यूपीए को ही एनआईए का गठन करना पड़ा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अगर देश में पोटा होता तो शायद मुंबई में 26/11 नहीं होता, जिसके बाद तत्कालीन सरकार को एनआईए को लेकर आना पड़ा था। अमित शाह ने कहा कि कार्रवाई करते वक्त किसी का धर्म नहीं देखा जाता और न देखना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हमें आतंकवाद के खिलाफ एक साथ खड़े होकर लड़ना चाहिए और यह कानून एजेंसी को ताकत देने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि लंका और बांग्लादेश में हमारे लोग मारे गए लेकिन हमारे पर वहां जाकर जांच करने का अधिकार नहीं है।
असदुद्दीन ओवैसी ने जताया ऐतराज
वहीं इस बिल पर चर्चा करते हुए एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि विदेशों में कोई भी मुल्क भारतीय जांच करने की इजाजत कैसे दे सकता है। ओवैसी ने कहा कि कई मामलों में एनआईए सबूत तक कोर्ट में नहीं पेश कर सकी। सरकार क्यों अजमेर, समझौता धमाकों में अपील नहीं करती है। उन्होंने कहा कि धारणा यह है कि पीड़ित अगर मुस्लिम है और आरोपी गैर मुस्लिम है तो सरकार कुछ नहीं करेगी।
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