जाट आरक्षण पर जारी रहेगी रोक, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
नई दिल्ली। हरियाणा सरकार के जाटों को बीसी(सी) कैटेगिरी के तहत दिए गए आरक्षण पर रोक जारी रहेगी। हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट ने इस संबंध में अपना फैसला सुनाते हुए शुक्रवार को ये आदेश दिया है। कोर्ट ने इस बाबत नेशनल बैकवर्ड कमीशन से भी अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। कोर्ट ने मार्च 2018 तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपने को कहा है।

इससे पहले हाईकोर्ट ने 6 मार्च को जाट समुदाय समेत छह जातियों को आरक्षण के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बीते साल जाट आरक्षण को लेकर हरियाणा में जबरदस्त हिंसा हुई थी। इसके बाद हरियाणा सरकार ने जाटों के साथ-साथ जट सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी और मुस्लिम जाट को आरक्षण देने के लिए पिछड़ी जातियों का शेड्यूल 3 जारी किया था। इसके तहत इन जातियों को ब्लॉक सी, बीसी(सी) कैटेगरी में आरक्षण का लाभ दिया गया था।
जाट आरक्षण को लेकर हरियाणा विधानसभा ने 29 मार्च 2016 को बिल पास किया था। आरक्षण के इस प्रावधान के तहत जाटों सहित इन छह जातियों को तीसरी और चौथी कैटिगरी की नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण दिया गया था, वहीं पहली और दूसरी कैटिगरी की नौकरियों में इन जातियों को 6 फीसदी आरक्षण दिया गया।
आरक्षण के खिलाफ दायर की गई है याचिका
जाट आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में भिवानी के मुरारी लाल गुप्ता ने याचिका दायर करते हुए राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कोर्ट को बताया है कि अलग-अलग पदों पर जाटों का प्रतिनिधित्व 30 से 56 फीसदी तक है। हालांकि हरियाणा सरकार ने इस आंकड़े को कोर्ट में नकार दिया। याचिकाकर्ता ने कहा है कि जाटों का सरकारी नौकरियों में वर्चस्व है और उनकी आर्थिक स्थिति भी काफी बेहतर है, ऐसे में उन्हें पिछड़े नहीं माना जा सकता है।
जस्टिस सारों ने सुनाया अपना आखिरी फैसला
जाट आरक्षण पर फैसला जस्टिस एसएस सारों और जस्टिस लीजा गिल की बेंच ने सुनाया। जस्टिस एसएस सारों 3 सितंबर को रिटायर होने जा रहे हैं। ऐसे में शुक्रवार को उनका कोर्ट में आखिरी दिन है और जाट आरक्षण पर फैसला उनके करियर का आखिरी फैसला है।
सरकार की होगी परीक्षा
हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की सरकार बनने के बाद से तीन साल में तीन बार हरियाणा में जबरदस्त हिंसा हो चुकी है। हाल ही में राम रहीम को रेप का दोषी करार दिए जाने के बाद राज्य में भयंकर हिंसा हुई है। बीते साल जाट आरक्षण को लेकर हरियाणा जला था। ऐसे में खट्टर सरकार के सामने इस बात की भी चुनौती है कि जाट आरक्षण पर कोर्ट के फैसले को लेकर कोई तनाव की स्थिति ना पैदा हो।
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