'इस्तीफे के बाद हुड्डा गुलाम नबी के घर क्यों गए...', कुमारी शैलजा ने उठाए सवाल, सोनिया को लिखी चिट्ठी
'इस्तीफे के बाद हुड्डा गुलाम नबी के घर क्यों गए...', कुमारी शैलजा ने उठाए सवाल, सोनिया को लिखी चिट्ठी
नई दिल्ली, 02 सितंबर: गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस पार्टी से इस्तीफे के तुरंत बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा, आनंद शर्मा और पृथ्वीराज चव्हाण उनके आवास पर उनसे मिलने गए थे। ये तीनों नेता कांग्रेस के बागी समूह जी-23 का हिस्सा रह चुके हैं, जबकि आनंद शर्मा पहले ही हिमाचल कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं। जिसके बाद ये अटकलें तेज हो गईं कि क्या गुलाम नबी आजाद के बाहर निकलने के बाद पार्टी के और कई दिग्गज नेता इस्तीफा दे सकते हैं। इस्तीफे के बाद गुलाम नबी आजाद से मिलने भूपेंद्र सिंह हुड्डा उनके घर क्यों गए, इस सवाल को लेकर कांग्रेस अंदर बयानबाजी शुरू हो गई है। बात सोनिया गांधी तक पहुंच गई। कुमारी शैलजा ने हुड्डा की गुलाम नबी आजाद से मुलाकात पर सवाल उठाए हैं।
'गुलाम नबी के घर जाने का क्या मतलब था...'
कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की गुलाम नबी आजाद से मुलाकात पर सवाल उठाने के साथ ही कांग्रेस बैठक में भी ये मुद्दा उठाया है। कुमारी शैलजा ने कहा, '''गुलाम नबी आजाद ने अपना रास्ता चुना और पार्टी छोड़ दी। लेकिन एक बार जब वह कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं, वह व्यक्ति पार्टी छोड़ चुका है और अपनी पार्टी बनाने की घोषणा कर चुका है, ऐसे में हुड्डा का आजाद के घर जाने का क्या मतलब है?'' इस बात को लेकर कुमारी शैलजा ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र भी लिखा है।
कांग्रेस के अन्य नेता भी नाराज
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण पहले से ही टेलीविजन साक्षात्कारों में राहुल गांधी के खिलाफ बोलने के लिए पार्टी के रडार पर हैं। कांग्रेस नेता, जो इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के सचिव भी हैं, वीरेंद्र वशिष्ठ ने पृथ्वीराज चव्हाण के खिलाफ टीवी पर बहस के दौरान राहुल गांधी के खिलाफ बोलने के लिए शिकायत की। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बारे में टीवी चैनल पर ऐसी बातें करना उचित नहीं है। बता दें कि आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश कांग्रेस इकाई का पद छोड़ दिया है, हालांकि उन्होंने कहा कि वह पार्टी के लिए प्रचार करेंगे।
हुड्डा ने बताया क्यों गए थे गुलाम नबी के घर
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि उन्होंने गुलाम नबी आजाद से मुलाकात की और उनसे ऐसी बातें कहने से बचने का आग्रह किया जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं में कड़वाहट पैदा हो। हुड्डा ने कहा कि गुलाम नबी आजाद और उनके बीच इस्तीफे पर पहले कभी चर्चा नहीं हुई।
हुड्डा ने कहा, "हमने आजाद से कहा कि चूंकि उन्होंने इतने लंबे समय तक पार्टी में रहने के बाद अब पार्टी छोड़ने का फैसला किया है, इसलिए उन्हें ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए जिससे पार्टी के लोगों में कड़वाहट पैदा हो।"
'आजाद के इस्तीफे पर कभी चर्चा नहीं की...'
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आगे कहा, ''हमने संगठनात्मक चुनाव कराने की मांग उठाई थी, जो अब हो रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने हमारी मांग पर सहमति व्यक्त की है। इसके बावजूद आजाद साहब ने पार्टी छोड़ने का फैसला किया, लेकिन उन्होंने हमारे साथ अपने इस्तीफे पर कभी चर्चा नहीं की। हमने केवल पूछा उन्हें बताया कि ऐसा क्या हुआ कि मांगें मान लिए जाने के बाद भी उन्हें ऐसा फैसला लेना पड़ा।" हुड्डा ने कहा कि गुलाम नबी आजाद ने उनसे कहा कि उनके बीच दुश्मनी की कोई भावना नहीं है क्योंकि वे लंबे समय से पार्टी के साथ हैं।