उन्नाव केस: कुलदीप सेंगर दोषी करार, जानिए मामले में कब क्या हुआ
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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के उन्नाव मामले में दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट का फैसला आ गया है। कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को अपहरण और बलात्कार के मामले में दोषी करार दिया है। अब सेंगर की सजा पर 17 दिसंबर को बहस होगी, उसके बाद कोर्ट फैसला सुनाएगा। कुलदीप सेंगर पहले भाजपा का विधायक था, जिसे बाद में पार्टी ने निष्कासित कर दिया।
कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को भी फटकार लगाई है। कोर्ट ने चार्जशीट दाखिल करने में देरी पर नाराजगी जताई है।हालांकि मामले में सह अभियुक्त शशि सिंह को बरी कर दिया गया है। कोर्ट ने 10 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
ढाई साल पुराना है मामला
भाजपा से निष्कासित सेंगर और उसके साथियों ने 2017 में नाबालिग लड़की को अगवा कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। करीब ढाई साल के इस समय के दौरान पीड़िता दिल्ली के एम्स में भी भर्ती रही। अभी तक उसके पिता-चाची-मौसी की मौत हो चुकी है, जबकि चाचा जेल में हैं।
कुलदीप सेंगर पर कोर्ट ने आपराधिक षड्यंत्र, अपहरण, दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत आरोप तय किए थे। वह फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। वहीं मामले में सह आरोपी शशि सिंह के खिलाफ भी आरोप तय किए हैं। वह लड़की को सेंगर के पास लेकर गई थी।
चलिए अब जानते हैं कि मामले में कब क्या हुआ-
04 जून 2017- एक नाबालिग लड़की का गांव के दो युवकों ने अपहरण कर लिया था। इन दो युवकों का नाम शुभम और अवधेश था।
11
जून
2017-
दोनों
युवकों
के
खिलाफ
पीड़ित
परिवार
की
शिकायत
पर
एफआईआर
दर्ज
हुई।
21
जून,
2017-
पुलिस
को
10
दिनों
बाद
नाबालिग
के
बारे
में
पता
चला
और
उसे
बरामद
करने
के
बाद
उसके
परिवार
को
सौंपा
गया।
22
जून
2017-
पीड़िता
ने
मजिस्ट्रेट
के
सामने
बयान
दिया
और
तीन
लोगों
पर
सामूहिक
दुष्कर्म
करने
का
आरोप
लगाया।
01 जुलाई 2017- पुलिस ने पीड़िता के बयान के आधार पर सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज किया और कोर्ट में चार्टशीट दायर की।
22
जुलाई
2017-
पीड़िता
ने
प्रधानमंत्री
और
मुख्यमंत्री
को
पत्र
लिखा,
जिसमें
उसने
अपने
लिए
इंसाफ
की
मांग
की।
इस
पत्र
में
उसने
बताया
कि
विधायक
सेंगर
ने
उसके
साथ
दुष्कर्म
किया
था।
30
अक्टूबर
2017-
बाद
में
सेंगर
ने
पीड़िता
और
उसके
परिवार
के
खिलाफ
मांखी
थाने
में
मानहानि
का
केस
दर्ज
करवाया।
22
फरवरी
2018-
पीड़िता
ने
जिला
अदालत
से
मांग
की
कि
सेंगर
को
दुष्कर्म
के
मामले
में
दोषी
बनाया
जाए।
03
अप्रैल
2018-
सेंगर
के
भाई
अतुल
सिंह
सेंगर
ने
अपने
साथियों
के
साथ
मिलकर
पीड़ित
लड़की
के
पिता
के
साथ
मारपीटी
कर
उनपर
जानलेवा
हमला
कर
दिया।
पीड़िता के पिता की जेल में मौत हो गई
04
अप्रैल
2018-
इस
मामले
में
पुलिस
ने
सेंगर
के
दबाव
में
आकर
उलटा
पीड़िता
के
पिता
के
खिलाफ
ही
शिकायत
दर्ज
कर
उन्हें
जेल
में
डाल
दिया।
09
अप्रैल
2018-
वहां
पीड़िता
के
पिता
की
लगातार
हालत
खराब
होती
गई
और
जेल
में
ही
उनकी
मौत
हो
गई।
13
अप्रैल
2018-
इसके
बाद
सीबीआई
ने
सेंगर
को
दुष्कर्म
मामले
में
हिरासत
में
लिया
और
लंबी
पूछताछ
की।
फिर
शाम
को
गिरफ्तार
कर
लिया।
17
मई
2018-
पीड़िता
के
पिता
की
जेल
में
मौत
मामले
में
दो
पुलिसकर्मी
गिरफ्तार
हुए।
11
जुलाई
2018-
सीबीआई
ने
कुलदीप
सेंगर
को
आरोपी
मानते
हुए
दुष्कर्म
मामले
में
चार्जशीट
दायर
की।
13
जुलाई
2018-
अब
सीबीआई
ने
एक
और
चार्जशीट
दायर
की।
इसमें
दोषी
सेंगर
के
साथ
साथ
उसके
भाई
अतुल
सिंह
और
तीन
पुलिसकर्मियों
समेत
पांच
अन्य
लोगों
को
आरोपी
बनाया।
18
अगस्त
2018-
मामले
में
मुख्य
गवाह
यूनुस
की
संदिग्ध
हालत
में
मौत
हो
गई।
04
जुलाई
2019-
पीड़ित
लड़की
के
चाचा
को
19
साल
पुराने
किसी
मामले
में
10
साल
की
जेल
की
सजा
सुनाई
गई।
ये
केस
भी
सेंगर
के
भाई
अतुल
सिंह
सेंगर
ने
ही
दर्ज
कराया
था।
12
जुलाई
2019-
अब
पीड़िता
ने
तत्कालीन
सीजेआई
रंजन
गोगोई
को
पत्र
लिखा।
जिसमें
उसने
कहा
कि
सेंगर
और
उसके
साथियों
से
उसके
(पीड़िता)
परिवार
को
जान
का
खतरा
है।
28
जुलाई
2019-
अब
रायबरेली
में
पीड़िता
की
कार
को
एक
ट्रक
ने
टक्कर
मार
दी।
इस
दुर्घटना
में
उसकी
चाची
और
मौसी
की
मौत
हो
गई।
जबकि
पीड़िता
और
गाड़ी
चला
रहे
उसके
वकील
गंभीर
रूप
से
घायल
हो
गए।
29
जुलाई
2019-
इस
सड़क
दुर्घटना
के
मामले
में
रायबरेली
के
थाने
में
कुलदीप
सिंह
सेंगर
और
उसके
भाई
समेत
कुल
15
से
20
अज्ञात
लोगों
को
आरोपी
मानते
हुए
मामला
दर्ज
हुआ।
31
जुलाई
2019-
सीजेआई
ने
पीड़िता
के
पत्र
पर
संज्ञान
लिया
और
सुप्रीम
कोर्ट
के
सेक्रेट्री
जनरल
को
पत्र
के
बेंच
के
समक्ष
प्रस्तुत
होने
में
हुई
देरी
की
जांच
कर
रिपोर्ट
देने
का
आदेश
दिया।
01
अगस्त
2019-
सुप्रीम
कोर्ट
ने
दुष्कर्म
के
सभी
पांच
मामलों
को
दिल्ली
में
ट्रांसफर
कर
दिया।
साथ
ही
तीस
हजारी
कोर्ट
के
जज
दिनेश
शर्मा
को
रोजाना
केस
की
सुनवाई
करने
का
आदेश
दिया।
कहा
गया
कि
इस
केस
की
सुनवाई
45
दिन
के
भीतर
पूरी
करनी
होगी।
भाजपा
ने
विधायक
सेंगर
को
पार्टी
से
निकाल
दिया।
02
अगस्त
2019-
पीड़िता
के
चाचा
को
सुप्रीम
कोर्ट
ने
रायबरेली
की
जेल
से
दिल्ली
की
तिहाड़
जेल
में
शिफ्ट
करने
का
आदेश
दिया।
साथ
ही
आरोपी
विधायक
के
शस्त्र
लाइसेंस
निरस्त
किए
गए।
05
अगस्त
2019-
कोर्ट
ने
सुप्रीम
कोर्ट
के
आदेश
पर
रोजाना
सुनवाई
शुरू
कर
दी।
16
अगस्त
2019-
इस
पूरी
प्रक्रिया
की
वीडियोग्राफी
हुई
और
बंद
कमरे
में
सुनवाई
हुई।
10
दिसंबर
2019-
तीस
हजारी
कोर्ट
ने
कुलदीप
सिंह
सेंगर
के
खिलाफ
अपना
फैसला
सुरक्षित
रख
लिया।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची कमल हासन ही पार्टी