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प्रसव के लिए अब अपनाई जा रही "वॉटर बर्थ" तकनीक, 45 फीसदी कम होता है दर्द

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मुंबई। अभिनेत्री ब्रूना अब्दुल्लाह ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर बताया है कि उन्होंने वॉटर बर्थ के जरिए बच्चे को जन्म दिया है। उनका कहना है कि वह हमेशा से बच्चे को जन्म देने के लिए एक ऐसा माहौल चाहती थीं, जहां उन्हें कम से कम दर्द हो। ब्रूना का कहना है कि वे ये नहीं चाहती थीं कि उन्हें दी जाने वाली जवाओं का असर उनके बच्चे पर हो।

आज के समय में वॉटर बर्थ का चलन काफी बढ़ गया है। माना जाता है कि इस तरीके से मां को 45 फीसदी तक कम दर्द होता है। चलिए आपको बताते हैं कि क्या होता है वॉटर बर्थ।

Bruna

नॉर्मल डिलीवरी की नई तकनीक

नॉर्मल डिलीवरी की नई तकनीक

वॉटर बर्थ प्रसव कराने का एक प्रकार है, बिल्कुल वैसे ही जैसे सिजेरियन या फिर नॉर्मल डिलीवरी इसके प्रकार हैं। इसे नॉर्मल डिलीवरी की नई तकनीक भी कहा जाता है। डॉक्टरों का मानना है कि इस तकनीक में लेबर पेन कम होता है और साथ ही बच्चे को पैदा करने की प्रक्रिया भी आसान हो जाती है।

ऐसा इसलिए क्योंकि पानी में होने के कारण महिला के शरीर से एंड्रोफिन हार्मोन अधिक मात्रा में रिलीज होता है। जिसके कारण दर्द कम होता है। वहीं अगर गर्म पानी में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाए तो महिला को दर्द निवारत दवा देने की जरूरत 50 फीसदी तक कम हो जाती है।

कम दर्द होता है

कम दर्द होता है

डॉक्टरों का कहना है कि नॉर्मल डिलीवरी के मुकाबले इस तकनीक में महिला का तनाव 60 फीसदी तक कम हो जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि जब बच्चे का जन्म नॉर्मल डिलीवरी के माध्यम से होता है तो योनि में बहुत खिंचाव होता है।

लेकिन वॉटर बर्थ के दौरान पानी के कारण टिश्यू काफी सॉफ्ट हो जाते हैं। यही वजह है कि इससे महिला को दर्द कम होता है, जिससे उसे तनाव भी कम होता है।

बच्चे के जन्म में कम समय लगता है

बच्चे के जन्म में कम समय लगता है

इस तरीके से प्रसव कराने के लिए बार्थिंग पूल बनाया जाता है, जिसमें गुनगुना पानी होता है। पानी की मात्रा 300 से 500 लीटर तक होती है। पूल का तापमान एक जैसा रहे, इसके लिए इसमें वॉटर प्रूफ उपकरण लगा दिए जाते हैं। ऐसा खासतौर पर इन्फेक्शन को रोकने के लिए किया जाता है। पूल की लंबाई ढाई से तीन फीट तक होती है।

इसे महिला के शरीर के अनुसार एडजस्ट किया जाता है। इसमें महिला को तब लाया जाता है, जब लेबर पेन को तीन से चार घंटे हो जाते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अगर सही तरीका अपनाया जाए तो इससे बच्चे के जन्म में ना केवल समय कम लगता है बल्कि ये एक सही विकल्प भी है।

बीपी नियंत्रित रहता है

बीपी नियंत्रित रहता है

इस तकनीक से मां और बच्चे को इन्फेक्शन का खतरा 80 फीसदी तक कम हो जाता है। इस तरीके में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे मां और बच्चे दोनों को इन्फेक्शन नहीं होता। इसमें पानी में रहने के कारण महिला तनाव में नहीं होती है। साथ ही बीपी भी नियंत्रण में रहता है।

एक आसान प्रक्रिया

एक आसान प्रक्रिया

डॉक्टर बताते हैं कि ये तकनीक अन्य तकनीकों से बेहतर है। पानी में जन्म लेने के कारण बच्चे के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है, जिससे प्रक्रिया आसान हो जाती है। इस तकनीक में बच्चे को ऐसा महसूस होता है जैसे वह मां के पेट में है। इसमें गर्भनाल और बच्चे का गलत मूवमेंट जैसी परेशानी काफी हद तक कम हो जाती है।

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English summary
Know all about water birth and its advantage over normal delivery
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