S-400 Triumf missile: मोदी-पुतिन के दस्तखत से लाहौर से होने वाला हर हमला कुछ सेकेंड्स में होगा फेल
नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच पांच बिलियन डॉलर वाली एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डील लगभग फाइनल हो चुकी है। न्यूज एजेंसी एएनआई की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बीच हुई मुलाकात में भारत ने इस डील के लिए हामी भर दी है। इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम को अमेरिका के थाड मिसाइल डिफेंस से भी ताकतवर माना जाता है। इसलिए ही इस दुनिया में सबसे खतरनाक सिस्टम करार दिया जाता है। ऐसे में समय में जब देश की पश्चिमी सीमा पर जो पाकिस्तान से सटी है, वहां लगातार तनाव बढ़ रहा है तो इस डील को एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने भी इस सिस्टम को सेनाओं के लिए काफी ताकतवर करार दिया है। आइए आपको बताते हैं कि क्या है यह सिस्टम और कैसे काम करता है। ये भी पढ़ें-एस-400 की डील के बाद कौन से प्रतिबंध लगा सकता है अमेरिका
साल 2015 से ऑपरेशनल
इस मिसाइल सिस्टम को रूस की अल्माज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरों की ओर से वर्ष 1990 से डेवलप किया जा रहा है और 2007 में यह सिस्टम ऑपरेशनल हुआ था। साल 2015 में जब टर्की ने रूस के फाइटर जेट को मार गिराया था तो रूस ने सीरिया बॉर्डर पर अपनी सबसे ताकतवर मिसाइल एस-400 को तैनात करने का ऐलान किया है। हालांकि बाद में रूस ने इन बातों से इनकार कर दिया था। ट्राइम्फ सिस्टम किसी भी बैलेस्टिक मिसाइल के हमले के खिलाफ किसी रक्षा कवच का काम करती है। रूस की एस-400 को जिसे ट्राइम्फ कहते हैं, नाटो ने एसए-21 ग्रोवलर नाम दिया है। इसे अभी तक जमीन से हवा तक हमला करने वाले दुनिया में सबसे खतरनाक सिस्टम के तौर पर माना जाता है। यह मिसाइल सिस्टम अमेरिका के टर्मिनल हाई ऑल्टीट्यूट एरिया डिफेंस सिस्टम यानी थाड से भी कहीं ज्यादा खतरनाक है।
एफ-35 तक को कर सकता है तबाह
यह सिस्टम 400 किलोमीटर की दूरी से आने वाले हर तरह के एयरक्राफ्ट, यूएवी के अलावा बैलिस्टक और क्रूज मिसाइल को पहचान कर उन्हें ध्वस्त कर सकता है। आपको बता दें कि दिल्ली से लाहौर की दूरी 400 किलोमीटर से कुछ ही ज्यादा यानी 412 किलोमीटर है। एंटी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम एस-400 खरीदने के बाद भारत, चीन या पाकिस्तान की ओर से किसी मिसाइल हमले की स्थिति में मुंहतोड़ जवाब दे सकेगा। यह रडार की पकड़ न आने वाली अमेरिकन एफ-35 फाइटर जेट को भी मार गिरा सकता है। रूस की एस-400 रक्षा प्रणाली में अलग-अलग क्षमता की तीन तरह की मिसाइलें मौजूद हैं। यह मिसाइल सिस्टम सीरिया बॉर्डर पर तैनात है। हाल ही में चीन ने भी यही मिसाइल सिस्टम रूस से खरीदा है और इसकी वजह से उस पर अमेरिकी प्रतिबंध भी लगा दिए गए हैं। सिर्फ इतना ही नहीं यह सिस्टम 40 किलोमीटर की दूर से आ रही किसी भी क्रूज मिसाइल को उनके लो लेवल की वजह से डिटेक्ट करके उसे तबाह कर सकता है। ये भी पढ़ें-'अंकल सैम' की परवाह किए बिना रूस के लिए अपना प्यार जताएगा भारत
एक साथ 386 मिसाइल हैंडल करने में सक्षम
यह मिसाइल सिस्टम एक सेकेंड में 18,500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सफर करता है। एक मिसाइल सिस्टम को अगर आठ बटालियन में तैनात किया जाए तो सिर्फ एक सिस्टम 72 लॉन्चर्स को कंट्रोल कर सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं यह सिस्टम एक साथ ज्यादा से ज्यादा 384 मिसाइलों को भी हैंडल करने में सक्षम है। यह एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम बैलेस्टिक मिसाइल और हाइपर सोनिक टारगेट्स को भी सेकेंड्स में गिरा सकता है।एस-400 मिसाइल सिस्टम में तीन तरह की मिसाइलें लॉन्च करने की ताकत है। यह रूस के पास मौजूद सबसे आधुनिक और सबसे एडवांस्ड मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम है। यह मिसाइल अपने पिछले वर्जन एस-300 से 2.5 गुना ज्यादा तेज है।इसके अलावा सिस्टम -70 डिग्री से लेकर 100 डिग्री तक के तापमान पर काम कर लेता है।