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झारखंडः रघुवर दास के सामने सरयू राय और गौरभ वल्लभ कितने दमदार

वीरेंद्र सिंह सुबह-सुबह अपनी सूमो गाड़ी में बैठ जमशेदपुर के चर्चित बाज़ार साकची चौक पर अख़बार पढ़ रहे हैं. वो यहीं गाड़ी चलाते हैं और उन्हें इंतज़ार है कि आज कोई काम मिले तो कमाई हो. 48 साल के वीरेंद्र जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा के मतदाता हैं. उनका घर इस विधानसभा क्षेत्र के सोनारी में है. यहाँ से झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास और बीजेपी से 

By रजनीश कुमार
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गौरभ वल्लभ
Facebook/Prof. Gourav Vallabh
गौरभ वल्लभ

वीरेंद्र सिंह सुबह-सुबह अपनी सूमो गाड़ी में बैठ जमशेदपुर के चर्चित बाज़ार साकची चौक पर अख़बार पढ़ रहे हैं. वो यहीं गाड़ी चलाते हैं और उन्हें इंतज़ार है कि आज कोई काम मिले तो कमाई हो.

48 साल के वीरेंद्र जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा के मतदाता हैं. उनका घर इस विधानसभा क्षेत्र के सोनारी में है. यहाँ से झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास और बीजेपी से बाग़ी बने और दास कैबिनेट में मंत्री रहे सरयू राय आमने-सामने हैं.

कांग्रेस और जेएमएम गठबंधन के उम्मीदवार और कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ भी यहाँ से मैदान में हैं.

क्या रघुवर दास त्रिकोणीय मुक़ाबले में हैं?

वीरेंद्र सिंह कहते हैं, "कोई त्रिकोणीय मुक़ाबला नहीं है. जीतेंगे तो रघुवर दास ही. हालाँकि वो इसलिए नहीं जीतेंगे कि उन्होंने अच्छा काम किया है. वो बीजेपी के उम्मीदवार हैं इसलिए जीत जाएँगे."

"सरयू राय भी अच्छे उम्मीदवार हैं और उन्हें भी लोग वोट करेंगे. वो इसलिए यहाँ से नहीं जीतेंगे क्योंकि यहाँ बस्तियाँ नहीं हैं. यहाँ शहरी मतदाता हैं. सरयू राय झुग्गी-झोपड़ी वालों के बीच ज़्यादा लोकप्रिय हैं. यहाँ तो सब बीजेपी के नाम पर रघुवर दास को ही वोट करेगा. टक्कर सरयू राय और रघुवर दास में ही है."

वीरेंद्र सिंह इस बात को मानते हैं कि महंगाई और बेरोज़गारी जैसी समस्याएँ हैं लेकिन यह चुनावी मुद्दा नहीं है.

प्रह्लाद चौधरी
BBC
प्रह्लाद चौधरी

सिदगोड़ा के सब्ज़ी मार्केट में प्रह्लाद चौधरी दशकों से सब्ज़ी बेच रहे हैं. उन्हें लगता है कि जिसकी सरकार केंद्र में हो उसी की सरकार राज्य में रहे तो ज़्यादा अच्छा रहता है.

हालाँकि वो ये नहीं बता पाए कि पिछले पाँच सालों से झारखंड में ऐसा ही है लेकिन इससे झारखंड को क्या फ़ायदा मिला.

प्रह्लाद चौधरी के बग़ल में सोनेराम की सब्ज़ी की दुकान है और वो कहते हैं कि सरयू राय के पास जाना और कोई काम करवाना ज़्यादा आसान है.

सिदगोड़ा सब्ज़ी मार्केट के पास में ही एक पार्क है. रात के नौ बजे हैं और यहाँ युवाओं का एक समूह आपस में बात कर रहा है. उनसे चुनाव को लेकर बात शुरू की तो सभी ने पर्याप्त दिलचस्पी दिखाई.

संदीप नाम के एक युवा ने इसी बीच झट से मोबाइल निकाला और एक वीडियो दिखाया.

उस वीडियो में रघुवर दास कह रहे हैं, "झारखंड को हम भ्रष्टाचार मुक्त, अपराध मुक्त और शिक्षा मुक्त बनाएँगे."

संदीप कहते हैं कि शिक्षा मुक्त बनाने वाला सीएम तो नहीं चाहिए. वो कहते हैं कि सरयू राय रघुवर दास को कड़ी टक्कर दे रहे हैं.

जशेदपुर पश्चिम में जितने लोगों से मिला सबने कहा कि टक्कर रघुवर दास और सरयू राय में है. हालाँकि कांग्रेस प्रत्याशी गौरव वल्लभ का नाम भी लोग जानते हैं. उनका नाम लेते ही यहाँ के लोग ट्रिलियिन वाले भैया कहने लगते हैं.

लेकिन लोग ऐसा नहीं कहते हैं कि वो रेस में हैं. सरयू राय से गौरव वल्लभ के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि ट्रिलियन वाला का तो जेएमएम भी समर्थन नहीं कर रहा है तो उसकी बात क्या करें.

रघुवर दास
Facebook/Raghubar Das
रघुवर दास

सरयू राय करेंगे रघुवर की राह मुश्किल?

तो क्या इस बार रघुवर दास की राह सरयू राय के कारण मुश्किल हो गई है?

जमशेदपुर में प्रभात ख़बर के स्थानीय संपादक अनुराग कश्यप कहते हैं, "सरयू राय को टिकट नहीं मिलने से यहाँ के लोगों में उनके प्रति सहानुभूति तो है लेकिन यह वोट में कितना तब्दील हो पाएगा अहम सवाल यह है. पिछले 25 सालो से रघुवर दास जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव जीत रहे हैं."

"2014 के विधानसभा चुनाव में कोल्हान प्रमंडल में रघुवर दास एकलौते प्रत्याशी थे जो 70 हज़ार वोट से जीते थे. इस प्रमंडल में झारखंड की 14 सीटें हैं और इनमें रघुवर दास ही एकमात्र उम्मीदवार थे, जिन्हें एक लाख से ज़्यादा वोट मिले थे. संभव है कि इस बार जीत का अंतर 70 के बदले 30 हो जाए लेकिन उन्हें हाराना आसान नहीं है."

अनुराग कश्यप कहते हैं, "ज़ाहिर है सरयू राय बीजेपी के वोट में ही सेंधमारी करेंगे. उनके पक्ष में सहानुभूति भी है और रघुवर दास के ख़िलाफ़ 25 सालो की सत्ता विरोधी लहर भी, लेकिन इन तमाम उलट परिस्थितियों की तुलना में उनके पक्ष में ज़्यादा चीज़ें हैं."

"वो यही पले-बढ़े हैं. यहाँ के स्कूल में पढ़े हैं. हर गली मोहल्ले के लोग उन्हें जानते हैं. उनके साथ संगठन है. बूथ मैनमेजमेंट है. और यह इलाक़ा ऐसा है जहां कोई जातीय समीकरण नहीं है. यहाँ पंजाबी, तमिल, तेलुगू, मलयाली, बंगाली और बिहारी, सभी हैं. रघुवर दास ख़ुद भी बाहरी ही हैं. ऐसे में इनके बीच रघुवर दास को लेकर एक क़िस्म का सुरक्षा भाव भी रहता है. पिछले 25 सालों से रघुवर दास इन सभी बाहरियों के बीच अपने जैसे रहे हैं."

सरयू राय
Facebook/Saryu Roy
सरयू राय

सरयू राय भी इस बात को मानते हैं कि रघुवरा दास के पक्ष में कई चीज़ें हैं.

वो कहते हैं, "उनके साथ पार्टी का संगठन है. सत्ता है. पैसा है और बूथ मैनेजमेंट हैं. मेरे साथ ये नहीं है, लेकिन मुझे जनता के प्यार पर भरोसा है. पिछले पाँच सालों में रघुवर दास की सरकार में कई भ्रष्टाचार हुए हैं और मैंने इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई उसी वजह से टिकट नहीं मिला."

"मैंने रघुवर दास से कहा था कि आप जिस रास्ते पर हैं वो मधु कोड़ा तक ले जाता है, इसलिए संभल जाइए. मैंने अपनी बात राजनाथ सिंह और रविशंकर प्रसाद से भी कह दी थी. लेकिन इसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ. मैंने यहाँ तक कहा था कि यह मेरा आख़िरी चुनाव है. इस बार बीजेपी 15 से ज़्यादा सीटें नहीं जीत पाएगी."

वरिष्ठ पत्रकार अनुराग कश्यप को लगता है कि लड़ाई रघुवर दास और सरयू राय के बीच में ही है.

वो कहते हैं, "अगर रघुवर दास के सामने केवल सरयू राय होते तो स्थिति दूसरी होती. गौरव वल्लभ और जेवीएम के अभय सिंह नहीं होते तो रघुवर दास की जीत इतनी आसान नहीं होती. अभय सिंह और सरयू राय दोनों राजपूत हैं. अभय सिंह को अगर 20 हज़ार वोट भी मिलता है तो सरयू राय का ही नुक़सान होगा."

प्रोफेसर गौरव वल्लभ
Facebook/Prof. Gourav Vallabh
प्रोफेसर गौरव वल्लभ

सरयू को मैदान में उतारना क्या बीजेपी की रणनीति है?

हालाँकि गौरव वल्लभ को लगता है कि सरयू राय और रघुवर दास की उम्मीदवारी बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है. वो कहते हैं, "इस बार बीजेपी को पता था कि रघुवर दास चुनाव नहीं जीतने जा रहे हैं इसलिए उन्होंने रणनीति के तहत सरयू राय को यहाँ से उतार दिया है. पहले सरयू राय ने कहा कि वो जमशेदपूर पश्चिमी और पूर्वी दोनों से चुनाव लड़ेंगे लेकिन अचानक कहा कि नहीं केवल पूर्वी से ही लड़ेंगे."

"सरयू राय को जो भी वोट मिलेगा वो बीजेपी विरोधी वोट मिलेगा. बीजेपी की रणनीति थी कि वो बीजेपी विरोधी वोटों को बाँट दे. ज़ाहिर है सरयू राय ना होते तो बीजेपी विरोधी सारा वोट मुझे मिलता."

जमशेदपुर के बीजेपी ज़िला अध्यक्ष दिनेश कुमार नहीं मानते हैं कि सरयू राय कोई चुनौती हैं लेकिन वो ये बात कहते हैं कि नंबर दो पर सरयू राय ही रहेंगे.

दिनेश कहते हैं, "पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो इसके ठोस कारण हैं. शहर में पार्टी अध्यक्ष आए तो सरयू राय ने उस कार्यक्रम का ही बहिष्कार कर दिया. इसके अलावा वो सरकार में रहकर सरकार के ख़िलाफ़ बोलते रहे. इन सबके बावजूद वो उम्मीद कर रहे थे कि उन्हें टिकट मिले. सरयू राय की वजह से लोग बीजेपी को नहीं जानते हैं, लोग बीजेपी की वजह से सरयू राय को जानते थे. इस चुनावी नतीजे में उन्हें भी मुकम्मल तरीक़े से इसका अहसास हो जाएगा."

सात दिसंबर को जमशेदपुर में मतदान है. यहाँ पूर्वी और पश्चिमी दो सीटें हैं. पश्चिमी सीट पर मुसलमान का वोट 80 हज़ार है और यहाँ से असदुद्दीन ओवैसी ने अपना उम्मीदवार उतारा है.

शहर के पत्रकारों का कहना है कि पश्चिम से सरयू राय के हटने से कांग्रेस की उम्मीद थी लेकिन ओवैसी ने उम्मीदवार खड़ा कर कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है और बीजेपी की जीत यहाँ पक्की कर दी है.

70 साल के सरयू राय से पूछा कि पार्टी ने आडवाणी को भी टिकट नहीं दिया था और उन्होंने कोई विरोध नहीं किया. आप इस उम्र में बाग़ी बनकर क्या हासिल कर लेंगे? इस पर उन्होंने कहा, "आडवाणी से अपनी तुलना मैं नहीं कर सकता. वो विष पीना भी जानते हैं पर मैं इतना महान नहीं हूँ."

BBC Hindi
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English summary
Jharkhand: How strong are Saryu Rai and Gaurabh Vallabh in front of Raghuvar Das
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