झारखंड चुनाव: ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के रामधीर सिंह और झरिया का चुनाव, 2019 में कौन बनेगा विधायक ?
नई दिल्ली। धनबाद के झरिया विधानसभा सीट पर 16 दिसम्बर को चुनाव है। यहां भाजपा की रागिनी सिंह और कांग्रेस की पूर्णिमा सिंह के बीच मुख्य मुकाबला है। इन दोनों के परिवारों के बीच राजनीति अदावत ऐसी है कि अब तक कई लाशें गिर चुकी हैं। झरिया की राजनीति पर बात होगी तो वासेपुर का भी जिक्र आएगा जिसके नाम पर चर्चित फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर’ बन चुकी है। रागिनी सिंह झरिया के मौजूदा भाजपा विधायक संजीव सिंह की पत्नी हैं। विधायक संजीव सिंह अपने चचेरे भाई नीरज सिंह की हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं। पूर्णिमा सिंह दिवंगत नीरज सिंह की पत्नी हैं। फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में जिस रामधीर सिंह विधायक का जिक्र है वह असल किरदार है। फिल्म में रामधीर सिंह की भूमिका तिग्मांशु धूलिया ने निभायी है। रामधीर सिंह रागिनी सिंह और पूर्णिमा सिंह के चचेरे ससुर हैं। रामधीर सिंह फिलहाल एक हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं। उनके जेल में बंद होने से भाजपा उम्मीदवार रागिनी सिंह को एक कुशल चुनाव प्रबंधक की कमी खटक रही है। संजीव सिंह भी जेल में बंद हैं। इस बार झरिया में भाजपा को कुछ ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है।
झरिया के चुनाव में बाहुबल
झरिया की सियासी किस्मत कोयला के काले कारोबार और माफिय डॉन के खूनी अल्फाजों से लिखी गयी है। यहां की आबोहवा में बारूद की गंध कुछ इस कदर फैली की वह मुम्बई तक पहुंच गयी। रामधीर सिंह कभी विधायक तो नहीं बने लेकिन उन्होंने हमेशा सूर्यदेव सिंह, उनकी पत्नी कुंती देवी और सूर्यदेव सिंह के पुत्र संजीव सिंह को विधायक बनाने के लिए कामयाब रणनीति बनायी। फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में रामधीर सिंह के जरिये सूर्यदेव सिंह का चित्रण किया गया है। कोयला के काले कारोबार पर कब्जा के लिए सूर्यदेव सिंह और वासेपुर के शफीक खान के बीच बहुत दिनों तक खूनी जंग चली थी। सूर्यदेव सिंह और शफीक खान, दोनों मजदूर नेता बीपी सिन्हा के शागीर्द थे। बीपी सिन्हा की हत्या के बाद सूर्यदेव सिंह और शफीक खान में ठन गयी थी। फिल्म में शफीक खान के लिए सरदार खान का चरित्र गढ़ा गया है जिसकी भूमिका मनोज वाजपेयी ने निभायी है।
सूर्यदेव सिंह का उत्थान
सूर्यदेव सिंह पांच भाइयों में सबसे बड़े थे। मजदूर नेता बी पी सिन्हा की तब धनबाद के कोयला कारोबार में तूती बोलती थी। कोयला कारोबार पर अपना दबदबा बनाने के लिए बी पी सिन्हा ने सूर्यदेव सिंह को बलिया से धनबाद बुलाया था। मजबूत कठकाठी के सूर्यदेव सिंह को बीपी सिन्हा का लठैत माना जाता था। बी पी सिन्हा भूमिहार थे लेकिन उन्होंने राजपूत समुदाय के सूर्यदेव सिंह को अपना लेफ्टिनेंट बनाया था। सूर्यदेव सिंह ने अपने चार भाइयों, राजनारायण सिंह उर्फ राजन सिंह, रामधीर सिंह और बच्चा सिंह के बल पर जल्द ही मजबूत हैसियत बना ली थी। एक भाई विक्रमा सिंह बलिया में खेती करने के लिए रह गये थे। कुछ समय बाद बी पी सिन्हा की हत्या हो गयी। हत्या का आरोप सूर्यदेव सिंह पर लगा। फिर सूर्यदेव सिंह कोल किंग बन कर उभरे। वे कोल माफिया से नेता बन गये। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर बलिया के ही रहने वाले थे। उन्होंने सूर्यदेव सिंह को राजनीति में आगे बढ़ाया। सूर्यदेव सिंह झरिया से लगातार चार बार विधायक चुने गये। उन्होंने 1977, 1980,1985 और 1990 में चुनाव जीता था।
सिंह परिवार का पतन
1991 में जब सूर्यदेव सिंह का निधन हुआ था तब वे झरिया के विधायक थे। इसके चलते यहां 1992 में उपचुनाव कराना पड़ा था। उपचुनाव में सूर्यदेव सिंह के छोटे भाई बच्चा सिंह खड़ा हुए। उस समय लालू यादव की चलती थी। जनता दल के दिवंगत नेता राजू यादव की पत्नी आबो देवी ने बच्चा सिंह को हरा कर पहली बार झरिया में सूर्यदेव सिंह का दबदबा तोड़ा था। आबो देवी ने 1995 में भी बच्चा सिंह को हराया था। सूर्यदेव सिंह के गुजरने के बाद उनके भाइयों और भतीजों की एकता भंग हो गयी। सूर्यदेव सिंह और रामधीर सिंह का परिवार सिंह मेंशन में रहने लगा जब कि राजनारायण सिंह उर्फ राजन सिंह ने अपने लिए नया घर बनावा लिया जिसका नाम रघुकुल रखा था। सिंह मेंशन और रघुकुल में वर्चस्व के लिए जंग शुरू हो गयी। राजन सिंह के पुत्र नीरज सिंह और सूर्यदेव के पुत्र संजीव सिंह में राजनीति अदावत शुरू हो गयी।
2019 की चुनावी तस्वीर
2014 के विधनसभा चुनाव में नीरज ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ कर भाजपा के संजीव सिंह को चुनौती पेश की थी। नीरज सिंह चुनाव हार गये थे लेकिन 40 हजार से अधिक वोट लाकर उन्होंने अपनी ताकत दिखा दी थी। बाद में नीरज धनबाद के डिप्टी मेयर भी बने। मार्च 2017 में नीरज सिंह की हत्या हो गयी। हत्या का आरोप चचेरे भाई और विधायक संजीव सिंह पर लगा। नीरज को एके-47 से भून दिया गया था। इस मामले में संजीव सिंह अभी भी जेल में हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने संजीव सिंह के बदले उनकी पत्नी रागिनी सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। रागिनी बाहुबली नेता सूर्यदेव सिंह की बहू हैं और उनकी राजनीति विरासत को आगे बढ़ाने के लिए चुनावी मैदान में हैं। जब कि पूर्णिमा सिंह अपने पति नीरज सिंह की कुर्बानी को याद दिला कर जनता से वोट मांग रहीं हैं। 2019 में सिंह परिवार के प्रभुत्व को तोड़ने के लिए आजसू ने अवधेश कुमार और झाविमो ने योगेन्द्र यादव को मैदान में उतारा है।