जम्मू कश्मीर पुलिस ने की शुजात बुखारी के हत्यारों की पहचान, लश्कर का नावेद जट्ट हत्या में शामिल
एक अहम खुलासे के तहत जम्मू कश्मीर पुलिस ने उन तीन हत्यारों की पहचान कर ली है जिन्होंने 14 जून को राइजिंग कश्मीर के एडीटर शुजात बुखारी की हत्या कर दी थी। पुलिस सूत्रों का कहना है कि दो हमलावर दक्षिण कश्मीर के हैं तो एक पाकिस्तान का नागरिक है।
श्रीनगर। एक अहम खुलासे के तहत जम्मू कश्मीर पुलिस ने उन तीन हत्यारों की पहचान कर ली है जिन्होंने 14 जून को राइजिंग कश्मीर के एडीटर शुजात बुखारी की हत्या कर दी थी। पुलिस सूत्रों का कहना है कि दो हमलावर दक्षिण कश्मीर के हैं तो एक पाकिस्तान का नागरिक है। एक टॉप पुलिस ऑफिसर की ओर से इस बारे में जानकारी दी गई है। 14 जून को श्रीनगर के लाल चौक पर आतंकियों ने उस समय बुखारी को गोली मार दी थी जब वह इफ्तार की पार्टी में शामिल होने के लिए जा रहे थे। बुखारी की हत्या से जुड़े एक टॉप पुलिस ऑफिसर की ओर से कहा गया है कि हमनें हमलावरों की पहचान की ली है। यह पुलिस ऑफिसर जांच से जुड़ा है और इसने जानकारी दी है कि दो आतंकी साउथ कश्मीर के तो एक आतंकी पाकिस्तान का रहने वाला है।
एक आतंकी गिरफ्तार
पुलिस सुत्रों के मुताबिक पाकिस्तान का जो आतंकी बुखारी की हत्या में शामिल है उसका नाम नावेद जट्ट है। ये वही आतंकी है जो फरवरी माह में श्री महाराजा हरि सिंह (एसएमएचएस) हॉस्पिटल से पुलिस की कस्टडी से फरार हो गया था। नावेद पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है। ह त्या में एक आतंकी गिरफ्तार हुआ है उसका नाम जुबैर है और इसे पुलिस ने श्रीनगर के कानीतर से गिरफ्तार किया था। पुलिस को उसके पास से एक पिस्तौल मिली है और कहा जा रहा है कि यह पिस्तौल उसी पीएसओ की है जो बुखारी के साथ मारा गया। एक वीडियो रिलीज किया गया है जिसमें जुबैर मारे गए पीएसओ को चेक कर रहा है कि वह जिंदा है या मर गया। इसी वीडियो में नजर आ रहा है कि जुबैर पीएसओ की पिस्तौल के साथ भागता हुआ नजर आ रहा है।
बुखारी की हत्या के पीछे आईएसआई
49 वर्ष के बुखारी राइजिंग कश्मीर के एडीटर के अलावा जम्मू कश्मीर सरकार में मंत्री बशारत बुखारी के भाई भी थे। आतंकियों ने उन्हें कई गोलियां मारी थीं। उनका ऑफिस श्रीनगर में लाल चौक के करीब प्रेस एवेन्यू में था। शुजात बुखारी की मौत की खबर ने न सिर्फ कश्मीर बल्कि देश के दूसरे हिस्से में बसे तमाम जर्नलिस्ट्स, ब्यूरोक्रेट्स राजनेताओं और यहां तक कि कुछ आर्मी ऑफिसर्स को भी हैरान कर दिया था। उन्हें जानने वाले बताते हैं कि वह न सिर्फ कश्मीर की आवाज उठाने वाले जर्नलिस्ट थे, बल्कि एक बहादुर और जमीन से जुड़े इंसान भी थे।पुलिस का कहना है कि बुखारी की हत्या एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। यह एक आतंकी हमला और इसके पीछे पाकिस्ता की इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई का हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
18 वर्ष पहले भी हुआ था एक हमला
बुखारी पर 18 वर्ष पहले पहली बार आतंकी हमला हुआ था और इसके बाद उन्हें सुरक्षा दी गई थी। उनके साथी, राजनेता और उनके करीबी दोस्त उन्हें कश्मीर में शांति की वकालत करने वाला एक मजबूत शख्स मानते थे। कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ भारत की ओर से अनौपचारिक वार्ता के लिए प्रतिनिधिमंडल पिछले वर्ष दुबई में था और बुखारी इसका हिस्सा थे। इसके अलावा उन्होंने कश्मीर पर शांति के लिए कई तरह की कॉन्फ्रेंसेज का आयोजन भी किया था। बुखारी पाकिस्तान के साथ होने वाली ट्रैक टू डिप्लोमैसी का भी हिस्सा थे। बुखारी, जम्मू कश्मीर सरकार में मंत्री बशारत बुखारी के भाई भी थे। आठ जुलाई 1996 को आतंकी संगठन इख्वान ने घाटी से 19 जर्नलिस्ट्स का अपहरण कर लिया था और बुखारी उनमें से ही एक थे।