बेतुका है कार में अकेले होने पर भी मास्क लगाने का आदेश- दिल्ली हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार अपने इस आदेश को वापस क्यों नहीं लेती है। आप अपनी कार में अकेले बैठे हैं और फिर भी आपको मास्क पहनना होगा। ये आदेश वाकई बेतुका है।
नई दिल्ली, 2 फरवरी: दिल्ली हाईकोर्ट ने उस आदेश को लेकर तीखी टिप्पणी की है, जिसमें कहा गया था कि अगर आप अपनी कार में अकेले हैं और ड्राइविंग कर रहे हैं, तब भी आपको कोरोना वायरस से बचाव के लिए मास्क लगाना अनिवार्य है। मंगलवार को एक मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस फैसले को बेतुका बताया और दिल्ली सरकार से पूछा कि अभी तक यह नियम लागू क्यों है? हाईकोर्ट की बेंच ने कहा, 'दिल्ली सरकार अपने इस आदेश को वापस क्यों नहीं लेती है? आप अपनी कार में अकेले बैठे हैं और फिर भी आपको मास्क पहनना होगा। ये आदेश वाकई बेतुका है।'
दरअसल, मंगलवार को दिल्ली सरकार के वकील ने एक मामले पर सुनवाई के दौरान एक घटना का जिक्र किया, जिसमें एक शख्स कार में अपनी मां के साथ बैठा था और गाड़ी के शीशे ऊपर चढ़ाकर कॉफी पी रहा था, इसके बावजूद उसका चालान काट दिया गया। इस दौरान मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विपिन सांघी और जसमीत सिंह की बेंच ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा, 'यह आदेश अब तक लागू क्यों है, इस बारे में सरकार से निर्देश लीजिए।'
'जिस
समय
आदेश
जारी
हुआ,
हालात
अलग
थे'
सुनवाई
के
दौरान
दिल्ली
सरकार
के
वकील
राहुल
मेहरा
ने
हाईकोर्ट
की
सिंगल
बेंच
के
7
अप्रैल
2021
के
उस
फैसले
को
दुर्भाग्यपूर्ण
बताया,
जिसमें
बेंच
ने
कार
में
अकेला
होने
पर
चालान
काटने
के
दिल्ली
सरकार
के
फैसले
में
हस्तक्षेप
से
इनकार
कर
दिया
था।
राहुल
मेहरा
ने
कहा,
'कोई
व्यक्ति
शीशे
ऊपर
चढाकर
अपनी
कार
में
अकेला
बैठा
है
और
उसका
2000
रुपए
का
चालान
काट
दिया
जाता
है।
सिंगल
बेंच
का
वह
आदेश
दुर्भाग्यपूर्ण
था।
जिस
समय
दिल्ली
आपदा
प्रबंधन
प्राधिकरण
ने
यह
आदेश
जारी
किया
था,
उस
समय
हालात
अलग
थे,
लेकिन
आज
महामारी
लगभग
खत्म
हो
चुकी
है।'
'आदेश
बुरा
है
तो
अभी
तक
लागू
क्यों?'
राहुल
मेहरा
की
इस
दलील
पर
जब
हाईकोर्ट
ने
कहा
कि
शुरुआत
में
तो
यह
आदेश
दिल्ली
सरकार
ने
ही
जारी
किया
था,
तो
राहुल
मेहरा
ने
जवाब
दिया
कि
चाहे
आदेश
दिल्ली
सरकार
का
हो,
या
फिर
केंद्र
का,
ये
एक
बुरा
आदेश
है
और
इसपर
फिर
से
विचार
करने
की
जरूरत
है।
राहुल
मेहरा
ने
कहा
कि
बेंच
को
इस
आदेश
को
रद्द
कर
देना
चाहिए।
इसपर
कोर्ट
ने
कहा
कि
वो
इस
मुद्दे
पर
तभी
विचार
कर
सकते
हैं,
जब
उनके
सामने
इसे
रखा
जाएगा।
कोर्ट
ने
कहा
कि
अगर
ये
आदेश
बुरा
है
तो
इसे
अभी
तक
लागू
क्यों
किया
हुआ
है।
ये भी पढ़ें- बढ़ा मौतों का आंकड़ा! कोरोना से 24 घंटों में 1733 लोगों की मौत, 1.61 लाख नए केस