क्या चीन में वापस लौट रहा है Coronavirus,5 हफ्ते बाद सबसे ज्यादा केस
नई दिल्ली- चीन में कोरोना वायरस के 108 नए मामले सामने आए हैं। वहां के डॉक्टरों की ओर से दूसरे अटैक की चेतावनियों और डर के बीच पांच हफ्ते बाद यह सबसे ज्यादा संख्या है। चीन के नजरिए से सबसे बड़ी चिंता की बात ये हो सकती है कि इनमें से 90 फीसदी से ज्यादा मामले उन संक्रमित लोगों के हैं जो यातायात पर लगी पाबंदियां खत्म होने के बाद विदेश खासकर रूस से वहां लौटे हैं। दरअसल, चीन ने हाल में कोरोना वायरस पर स्थानीय स्तर पर काबू पा लेने के दावों के साथ ही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ताबड़तोड़ पाबंदियां हटानी शुरू कर थी। इसकी वजह से टूरिस्ट स्पॉट पर भी भारी भीड़ जुटने शुरू हो गए थे, जिसके खिलाफ खुद वहीं के विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस के दे दूसरे वेब आने की आशंकाएं जतानी शुरू कर दी थी।
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5 हफ्ते बाद सबसे ज्यादा मामले सामने आए
रूस से सटी चीन की उत्तर-पूर्वी सीमा इस वक्त कोरोना वायरस के चीन में वापस लौटने का सबसे आसान जरिया बन गया है। जबसे चीन को कोरोना संक्रमण के मामलों में दोबारा तेजी से इजाफे का एहसास हुआ है, उसने रूस से सटी 2,670 मील लंबी अपनी सीमा पर एंट्री और एग्जिट बंद कर दिया है। क्योंकि, सीमा से सटे सुइफेन्हे शहर वायरस के लिए हॉटस्पॉट बन गया है। 5 हफ्ते बाद अचानक से नए मामलों में आई उछाल ने चीन सरकार का माथा ठनका दिया है। रविवार को 108 नए मामले सामने आए हैं, जबकि शनिवार को 99 केस मिले थे। यह उछाल 5 मार्च के बाद सबसे ज्यादा है। 5 मार्च को वहां 143 नए केस आए थे, लेकिन उसके बाद यह संख्या लगातार घटती चली गई थी और 13 मार्च को तो सिर्फ 11 नए केस ही सामने आए थे। हालांकि बाद में ऐसे दिन में गुजरे जब एक भी नए केस नहीं आए।
शंघाई में भी बढ़ गए नए मामले
चीन के तटीय शहर सुइफेन्हे की आबादी 70,000 है और ये राजधानी बीजिंग से 1,000 मील दूर है। यहां संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए पिछले 8 अप्रैल की सुबह से ही फुल लॉकडाउन लागू कर दिया गया है। यहां जितने भी नए मामले आ रहे हैं, उनमें से बाहर से आए मामलों की संख्या ज्यादा है। स्थानीय लोगों को डर लग रहा है कि अब तक वे खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे थे, लेकिन अचानक हालात बदतर हो गए हैं। अब वे अपने ही देश के नागरिकों के आने पर नाखुशी जताने लगे हैं। रूस में चीन के राजदूत जांग हन्हुई का कहना है की मोटे तौर पर 1,60,000 चीनी नागरिकों ने रूस में खुद को होम-क्वारंटीन कर लिया है। यही नहीं चीन के हुक्कमरानों के होश इसलिए भी उड़े हुए हैं कि बाहर से आए संक्रमित मामलों की तादाद शंघाई जैसे शहरों में भी सुनने को मिल रहे हैं। शंघाई म्युनिसिपल हेल्थ कमीशन के प्रवक्ता के मुताबिक 10 अप्रैल को मास्को से आए 60 लोगों को कोरोना है।
मामलों में कमी के बाद चीन ने हटानी शुरू की थी पाबंदी
मार्च में नए मामलों में आई भारी गिरावट ने ही चीन सरकार को इकोनॉमी को पटरी पर लाने के लिए पाबंदियों को हटाने का हौसला दे दिया था। पाबंदियां हटाने को लेकर चीन कितना उतावला है यह वुहान को देखकर ही पता चलता है जिसके इस महामारी की जन्मस्थली होने के बावजूद वहां भी सबकुछ सामान्य करने की कोशिशें कई दिनों पहले से ही जारी हैं। हालांकि, चीन के अधिकारी लगातार पाबंदियों में छूट और कोरोना वायरस के सेकंड वेब के बीच एक सीधी लाइन खींचने की लगातार चेतावनी देते रहे हैं। इससे पहले चीन जो दावा करता रहा है, उसके मुताबिक वह कोविड-19 के प्रकोप को अपनी जमीन पर आमतौर पर नियंत्रित कर चुका है। हालांकि, वहां महामारी की अबतक की पूरी स्थिति और जानकारियों को लेकर हमेशा से संदेह रहा है, क्योंकि उसने अधिकतर अहम जानकारियों पर सफेद झूट बोलने की ही कोशिश की है।
एक दिन में 15,000 से ज्यादा मामले भी आ चुके हैं
रविवार तक चीन में कोरोना वायरस के कुल 82,160 मामले सामने आए थे और 3,341 लोगों ने इसकी वजह से दम तोड़ दिया था। चीन के लिए सबसे खराब दिन 12 फरवरी को रहा जब एक दिन में 15,000 से ज्यादा नए मामले सामने आए थे। हालांकि, इसके बाद वहां आंकड़े जुटाने का तरीका ही बदल दिया गया था। 10 मार्च के बाद चीन ने आधिकारिक तौर पर सिर्फ 200 मौत होने का ही दावा किया है और उसका कहना है वहां कोरोना से मौत की दर 10 लाख में सिर्फ 2.4 फीसदी ही रही है। लेकिन, बाद में ऐसे दिन भी गुजरे जब चीन ने एक भी नया मामला नहीं आने का दावा किया और उसके बाद से ही वहां आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी गई।
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