देश की शिशु मृत्यु दर में सुधार, केरल सबसे बेहतर, मध्य प्रदेश और यूपी की स्थिति चिंताजनक
नई दिल्ली, 26 अक्टूबर: भारत में शिशु मृत्यु दर की स्थिति में सुधार आया है। नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबक भारत में शिशु मृत्यु दर गिरकर 30 हो गई है। बीते कुछ सालों में इसमें लगातार सुधार देखने को मिल रहा है। हालांकि अलग-अलग राज्यों में इसमें काफी फर्क है। केरल की स्थिति जहां काफी अच्छी है, वहीं मध्य प्रदेश में ये दर काफी ज्यादा है। ये 2019 के आकड़े हैं।
देश में लगातार हो रहा सुधार
1990 में भारत की शिशु मृत्यु दर प्रति 1000 पर 129 थी। 2005 में ये घटकर 58 और 2009 में 50 पर आ गई थी। 2014 में ये प्रति 1000 पर 39 हुई और अब ये गिरकर 30 हो गई है। एसआरएस के आंकड़े कहते है कि केरल की स्थिति अमेरिका जैसी है। वहां शिशु मृत्यु दर 6 है लेकिन मध्य प्रदेश की स्थिति सूडान से भी बदतर है। मध्य प्रदेश में शिशु मृत्यु दर 46 है। उत्तर प्रदेश की हालत भी काफी खराब है। यहां ये दर 41 है।
केरल दिल्ली बेहतर तो एमपी यूपी सबसे खराब
शिशु मृत्यु दर में बिहार, आंध्र, जम्मू और कश्मीर और पश्चिम बंगाल भी काफी सुधार हुआ है। केरल पिछले पांच वर्षों में आईएमआर में 12 से 6 की गिरावट के साथ सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य रहा है। केरल के बाद, दिल्ली ने 11, तमिलनाडु ने 15 के साथ बेहतर प्रदर्शन किया है। सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ हैं। एमपी की स्थिति तो सूडान से भी खराब है।
विश्व स्तर पर बेहतर नहीं स्थिति
विश्व स्तर पर सबसे कम आईएमआर 2 फिनलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, सिंगापुर और जापान में दर्ज किया गया है। भारत की शिशु मृत्यु दर बांग्लादेश और नेपाल की तुलना में अधिक है, दोनों में ये 26 है। बता दें कि शिशु मृत्यु दर को बच्चे के पहले जन्मदिन से पहले होने वाली मृत्यु के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह प्रति 1000 जीवित जन्मे बच्चों पर एक वर्ष या इससे कम उम्र मे मर गये शिशुओं की संख्या है।
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