Indian Railways:वरिष्ठ नागरिकों को वापस मिल सकती है रियायत, इन शर्तों के साथ
नई दिल्ली, 27 जुलाई: भारतीय रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को टिकटों में मिलने वाली छूट खत्म करने की दिशा में कदम क्या बढ़ाया, इस फैसले की काफी आलोचना शुरू हो गई। दरअसल,रेलवे पर करीब 2,000 करोड़ रुपये सालाना बोझ इन रियायतों के चलते पड़ रहा है और वह इसी के जाल से छुटकारा चाहता है। लेकिन, आलोचनाओं को देखत हुए रेलवे इस सुविधा को फिर से बहाल करने पर विचार कर रहा है। लेकिन, यह उम्मीद कतई नहीं करनी चाहिए कि पहले की तरह मिलने वाली रियायतें अब पूरी तरह से बहाल हो जाएंगी। रेलवे कुछ संशोधनों के साथ बुजुर्ग नागरिकों को यह सुविधा फिर से देने पर मंथन कर रहा है।
बुजुर्गों को टिकट में रियायत फिर से बहाल करने पर विचार-रिपोर्ट
सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ नागरिकों को ट्रेन टिकटों में मिलने वाली छूट खत्म किए जाने को लेकर रेलवे की चौतरफा हो रही आलोचना के बाद इसपर पुनर्विचार शुरू कर दिया गया है। एक सूत्र ने कहा कि 'हम जानते हैं कि इन रियायतों से बुजुर्गों को मदद मिलती है और हमने कभी नहीं कहा कि हम इसे पूरी तरह से समाप्त करने जा रहे हैं। हम इसकी समीक्षा कर रहे हैं और इस पर फैसला लेंगे।' लेकिन, सूत्र ने स्पष्ट संकेत दिया है कि समीक्षा का मतलब यह नहीं है कि पहले जैसी व्यवस्था फिर से पूरी तरह बहाल हो जाएगी, लेकिन जिन्हें इसकी अत्यधिक आवश्यकता है, रेलवे वैसे वरिष्ठ नागरिकों को निराश भी नहीं करना चाहता।
इन वरिष्ठ नागरिकों को टिकटों पर मिलती थी छूट
कोरोना वायरस महामारी के समय 2020 में जब रेलवे ने सभी ट्रेनों को स्पेशल नाम से चलाना शुरू किया था, उससे पहले 58 साल से ऊपर की महिलाओं और 60 साल या ऊपर के पुरुषों को यात्री किराए में छूट दी जाती थी। महिलाओं को टिकट की कीमत पर 50% की रियायत लेने की छूट थी, लेकिन 60 साल और ऊपर के पुरुषों और ट्रांसजेंडर को सभी श्रेणियों में 40% तक की रियायत लेने की छूट थी। लेकिन, अब रेलवे के सूत्र अपने फैसले की जिस समीक्षा की बात कर रहे हैं, उसमें छूट के इन प्रावधानों में फेरबदल की बात चल रही है।
करीब 70% बुजुर्ग नागरिकों के लिए बहाल हो सकती है व्यवस्था
सूत्रों के अनुसार रेलवे बोर्ड वरिष्ठ नागरिकों को ट्रेन टिकटों में जो फिर से छूट देने पर विचार कर रहा है, उसमें यह सुविधा सिर्फ जनरल और स्लीपर क्लास के यात्रियों को ही दी जा सकती है। यानी वातानुकूलित श्रेणियों के यात्रियों को इस छूट से वंचित रखने पर विचार किया जा रहा है। एक सूत्र ने कहा, 'इसके पीछे लॉजिक ये है कि अगर हम स्लीपर और जनरल श्रेणियों तक इसे सीमित रखते हैं, तो हम 70 फीसदी यात्रियों तक को इसमें कवर कर लेंगे।'
70 साल के ऊपर के बुजुर्गों को ही फायदा देने पर विचार
यही नहीं, नई शर्तों में यह भी व्यवस्था शामिल की जा सकती है कि अब से छूट सिर्फ 70 साल या उससे ऊपर के बुजुर्गों को दी जा सकती है। यानी उम्र की सीमा पहले से ज्यादा करने पर विचार किया जा रहा है। रेलवे नियमों में इस तरह से बदलाव करके कुछ जरूरतमंद बुजुर्गों को फिर से राहत दिए जाने पर विचार कर रहा है। उनका कहना है कि इससे देश के सबसे बड़े ट्रांसपोर्टर पर पड़ने वाला सब्सिडी का भार कुछ कम हो सकता है।
'प्रीमियम तत्काल' सभी ट्रेनों में शुरू करने की चर्चा
रेलवे एक और योजना पर विचार कर रहा है। वह ये है कि सभी ट्रेनों में 'प्रीमियम तत्काल' स्कीम को लागू कर दिया जाए। यह स्कीम अभी लगभग 80 ट्रेनों में ही लागू है। रेलवे इस व्यवस्था से सब्सिडी का कुछ और भार हल्का करना चाहता है। 'प्रीमियम तत्काल' उन यात्रियों के लिए बेहतर विकल्प है, जो आखिरी समय में यात्रा की योजना बनाते हैं। इसमें डायनैमिक फेयर की तर्ज पर टिकटों के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं। इसमें बेसिक किराए के अलावा तत्काल चार्ज देने पड़ते हैं।
2,000 करोड़ रुपये का बोझ कम करने की कोशिश
पिछले दो दशकों में रेलवे के किराए में छूट एक बहुत बड़ी बहस का मुद्दा बन चुका है। कई समितियों ने इसे खत्म किए जाने की सिफारिश की थी। इसके बाद ही जुलाई 2016 में इसे वरिष्ठ नागरिकों के लिए विकल्प के तौर पर दिया जाने लगा था। अलग-अलग तरह के यात्रियों के लिए रेलवे में 50 तरह की छूट की व्यवस्था से इसे हर साल करीब 2,000 करोड़ का बोझ पड़ता है। वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली रियायत उसकी ओर से दी जाने वाली कुल छूट का लगभग 80% होता है। रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को सब्सिडी छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने की भी कोशिश इसी इरादे से की थी, लेकिन इसका कोई खास फायदा नहीं हुआ। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले हफ्ते संसद में भी एक सवाल के जवाब में कहा भी था कि इस तरह की छूट रेलवे पर बहुत भारी पड़ रही है। (इनपुट-पीटीआई)