लद्दाख में चीन बॉर्डर पर आक्रामक हुई सेना, चुमार-देमचोक की ऊंची पहाड़ियों से चीन के 219 हाईवे पर नजर
नई दिल्ली। 29 और 30 अगस्त को पूर्वी लद्दाख के चुशुल में चीन की तरफ से हुए घुसपैठ के प्रयास के बाद भारतीय सेना हाई अलर्ट पर है। सेना ने पैंगोंग त्सो के दक्षिण में सभी अहम रणनीतिक पोस्ट्स पर कब्जा कर लिया है। सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि इंडियन आर्मी ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर अपने रुख को और ज्यादा आक्रामक कर लिया है। अतिरिक्त जवानों की तैनाती के साथ ही कई और सहायक उपकरणों को तैनात किया गया है।

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अक्साई चिन में बढ़ी गतिविधियां
इस बीच अक्साई चिन पर पीपुल्स रिपब्लिक आर्मी (पीएलए) की एयरफोर्स की गतिविधियों में तेजी आने की खबरें हैं। सूत्रों की तरफ से जो जानकारी दी गई है उसके मुताबिक सेना ने खुद को दोबारा कई पोस्ट्स पर फिर से मजबूत कर लिया है। इसके अलावा पीएलए के बराबर ही इंडियन आर्मी ने भी अपने जवानों को लद्दाख के सेक्टर्स में तैनात कर दिया है। साथ ही अब स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) जैसे 7 विकास भी लगातार हाई अलर्ट पर है। 30 अगस्त को चीन की तरफ से चुशुल में कब्जे की जो कोशिश की गई है, उसे एसएफएफ ने ही फेल किया था। पैंगोंग के दक्षिणी हिस्से में दो रणनीतिक जगहों पर अब सेना लगातार अपनी पकड़ को मजबूत करती जा रही है।
ल्हासा-काश्गर पर भारत की नजरें
भारत इस समय देमचोक और चुमार इलाके में पूरी मजबूती के साथ मौजूद है। यह वह हिस्सा है जहां से ल्हासा-काश्गर (219) हाइवे पर नजर रखी जा सकती है। ल्हासा-काश्गर वह संवेदनशील रास्ता है जहां से पीएलए के जवानों को साजो-सामान की सप्लाई की जाती है। चुशुल में भारत ने साफ कर दिया है कि अब वह किसी भी तरह से पीएलए के आगे कमजोर नहीं पड़ेगा। मिलिट्री कमांडर्स की मानें तो अब चीन की हर आक्रामकता का जवाब, उसी आक्रामकता से दिया जाएगा। पीएलए लगातार भारतीय सेना को ताजा हालातों के लिए दोष दे रहा है। सेना किसी भी बुरी स्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार है। हेडक्वार्टर्स पर तुरंत फैसले लिए जा रहे हैं और उन्हें आगे बढ़ाया जा रहा है।