चीन के करीब हुई IAF के सबसे बड़े ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C-17 की लैंडिंग, जानें इस एयरक्राफ्ट की खूबियां
इंडियन एयरफोर्स ने चीन के करीब अरुणाचल प्रदेश के तूतिंग में सबसे बड़े ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-17 ग्लोबमास्टर की लैंडिंग कराई है। मंगलवार को हुई इस लैंडिंग को आईएएफ और भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है। तूतिंग एयरफील्ड चीन की सीमा के काफी करीब है।
Recommended Video
नई दिल्ली। इंडियन एयरफोर्स ने चीन के करीब अरुणाचल प्रदेश के तूतिंग में सबसे बड़े ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-17 ग्लोबमास्टर की लैंडिंग कराई है। मंगलवार को हुई इस लैंडिंग को आईएएफ और भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है। तूतिंग एयरफील्ड चीन की सीमा के काफी करीब है। सी-17 ग्लोबमास्टर अमेरिकी एयरक्राफ्ट है और इसकी लैंडिंग से आईएएफ के उन ऑपरेशंस को मजबूती मिलेगी जिन्हें चीनी सीमा के करीब सुरक्षा के मकसद से संचालित किया जा रहा है।
तूतिंग में एतिहासिक लैंडिंग
इंडियन एयरफोर्स के प्रवक्ता की ओर से कहा गया है कि सी-17 ग्लोबमास्टर ने तूतिंग की एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड पर एतिहासिक लैंडिंग की। इस मिशन को सी-17 ने बिना किसी गलती के पूरा किया और इसके पूरा होने से आईएएफ पायलट्स की कुशलता का भी पता लगता है। आपको बता दें कि पिछले वर्ष 16 जून से डोकलाम में भारत और चीन की सेनाएं डोकलाम विवाद के बाद आमने-सामने थीं। डोकलाम विवाद 73 दिन के बाद अगस्त में खत्म हुआ था। इसके बाद दिसंबर में भी अरुणाचल के तूतिंग में चीनी मजदूरों और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प हुई थीं। सूत्रों के मुताबिक चीन ने उत्तर डोकलाम में अपनी सेनाओं को तैनात रखा है और साथ ही इस विवादित इलाके में इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बढ़ाया है।
किसी भी एयरफील्ड पर हो सकती है लैंडिंग
इंडियन एयरफोर्स के अलावा रॉयल एयरफोर्स, रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयरफोर्स, रॉयल कनैडियन एयरफोर्स, कतर, यूएई और नाटो की सेनाएं इसका प्रयोग करती हैं। बोइंग के सी-17 ग्लोबमास्टर को दुनिया का सबसे एडवांस्ड मिलिट्री एयरलिफ्ट और कार्गो एयरक्राफ्ट है। चार इंजन वाला यह एयरक्राफ्ट 76,657 किलोग्राम का वजन ले जा सकने में सक्षम है। साइज में बड़ा होने के बावजूद यह किसी भी छोटी एयरफील्ड पर आसानी से लैंड कर सकता है। इसका कॉकपिट पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से लैस है और इंटीग्रेटेड है। तीन क्रू वाले इस एयरक्राफ्ट में एक पायलट, को-पायलट और एक लोडमास्टर होता है।
साल 2010 में हुई अमेरिका से डील
इसका एडवांस्ड कार्गो सिस्टम किसी भी तरह के मिशन में आसानी से ऑपरेट हो सकता है। यह 102 पैराट्रूपर्स या फिर 134 ट्रूप्स को ले जा सकता है। जमीन पर 134 ट्रूप्स आ सकते हैं तो साइड की सीट्स पर 54 ट्रूप्स को ले जाया जा सकता है। इसके अलावा इसमें एक टैंक के अलावा छह हथियारबंद हेलीकॉप्टर तक आ सकते हैं। इसकी फ्यूल क्षमता 134,556 लीटर की है। भारत ने अमेरिका के साथ वर्ष 2010 में 10 सी-17 के लिए इसकी डील फाइनल की थी।
अरुणाचल में लैंड हो चुका है सुखोई भी
इससे पहले साल 2016 में अरुणाचल प्रदेश के मेचुका में भी सी-17 ग्लोबमास्टर ने लैंडिंग की थी है। अरुणाचल के जिस हिस्से में इस एयरक्राफ्ट को लैंड कराया गया वह जगह इंडो-चाइना बॉर्डर से सिर्फ 29 किमी की दूरी पर है। उस समय 6200 फिट की ऊंचाई से ग्लोबमास्टर ने सिर्फ 4200 फीट के बेस पर लैंडिंग की थी। इससे पहले अगस्त में 2016 में ही अरुणाचल के पासीघाट में एडवांस्ड फाइटर जेट सुखोई की लैंडिंग कराई गई थी।