ट्रंप-किम समिट के बाद नॉर्थ कोरिया-पाकिस्तान के 'न्यूक्लियर रिलेशन' की भी पोल खुलनी चाहिए- भारत
नई दिल्ली। कोरिया प्रायद्वीप में शांति और स्थिरता के लिए ट्रंप और किम की एतिहासिक समिट का भारत ने स्वागत किया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने आशा जताते हुए कहा कि अब नॉर्थ कोरिया के न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी उपलब्ध करवाने वालों की भी पोल खुलनी चाहिए। भारत शुरू से कहता आया है कि नॉर्थ कोरिया को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी उपलब्ध करवाने में पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन का हाथ है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'सिंगापुर में हुई अमेरिका-नॉर्थ कोरिया समिट का भारत स्वागत करता है। यह एक सकारात्मक कदम है। कोरियाई प्रायद्वीप में बातचीत व कूटनीति के जरिए शांति और स्थिरता के लिए भारत ने हमेशा समर्थन किया है। हम आशा करते हैं कि कोरियाई प्रायद्वीप का प्रस्ताव में नॉर्थ कोरिया के न्यूक्लियर वेपंस में भारत के पड़ोसी देशों के लिंक पर भी विचार किया जाएगा।'
कोरियाई प्रायद्वीप में शांति वार्ता के लिए किम-ट्रंप समिट तय होने के बाद नॉर्थ कोरिया का दौरा करने वालों में अमेरिका, साउथ कोरिया और सिंगापुर के साथ-साथ भारत भी शामिल है। पिछले माह (15-16 मई) भारत के राज्य विदेश मंत्री वीके सिंह ने नॉर्थ कोरिया का दौरा कर किम जोंग उन के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी।
वीके सिंह ने जब नॉर्थ कोरिया का दौरा किया था, तब प्योंगयांग ने कहा था कि एक मित्र देश होने के नाते ऐसे किसी भी गतिविधि को अनुमति नहीं देगा, जिससे भारत की सुरक्षा को खतरा महसूस हो। बता दें कि नॉर्थ कोरिया के न्यूक्लियर प्रोग्राम को खड़ा करने में पाकिस्तान के वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान की बहुत बड़ी भूमिका मानी जाती है, बदले में नॉर्थ कोरिया ने इस्लामाबाद को मिसाइल टेक्नोलॉजी उपलब्ध करवाई थी।