भारत पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी बन सकता है: मोदी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अगुवाई करने के लिए तैयार है, लेकिन इसे स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के लिए पर्याप्त परमाणु ईंधन नहीं मिलता। इस दो दिवसीय सम्मेलन में सभी राज्यों के पर्यावरण एवं वन मंत्री हिस्सा ले रहे हैं।
मोदी ने कहा कि हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अगुवाई करने के लिए तैयार हैं, लेकिन हमें पर्यावरण पर भाषण देने और स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल करने वाले लोग हमें परमाणु ईंधन नहीं देते। मोदी ने कहा कि ये दोहरे मापदंड हैं।" उन्होंने कहा कि भारत को पर्यावरण संरक्षण के तरीकों के बारे में सोचना होगा।
उन्होंने कहा, "हम पर्यावरण संबंधी समस्याओं से निबटने के लिए पारंपरिक तरीकों के बारे में सोचें। हमारी सदियों पुरानी परंपराओं में उपयोगी समाधान हो सकते हैं।" प्रधानमंत्री ने भारत के बारे में बना ली गई उस गलत अवधारणा को भी दूर करने पर जोर दिया, जिसके अनुसार, भारत पर्यावरण संबंधी मुद्दों को लेकर गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि इस देश में ऐसी संस्कृति है, जिसमें प्रकृति ईश्वर के समान है।
मोदी ने कहा, "हम ऐसी परंपराओं में पले-बढ़े हैं, जहां प्रकृति को पूजा गया है और जहां प्रकृति का संरक्षण बहुत अहम है।" उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति के दोहन का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, "यह हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है।" प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि प्रकृति को लेकर भारत सर्वाधिक संवेदनशील देशों में से एक है। उन्होंने कहा, "भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन बहुत कम है।"
मोदी ने नगर निकायों से ठोस कचरा प्रबंधन पर गौर करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "हम अगर उर्वरक या खाद बनाते हैं और उन्हें गांवों में भेजते हैं, तो हमें शहरों से अच्छी गुणवत्ता वाली व सस्ती सब्जियां मिल सकती हैं।"