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45 साल बाद LAC पर गोलीबारी का दावा, आखिर क्या है ड्रैगन की चाल, जानिए क्यों बढ़ा सीमा पर तनाव

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नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव काफी बढ़ गया है। दोनों देशों के बीच तनाव इस कदर बढ़ गया है कि पिछले 45 वर्षों में जिस एलएसी पर कभी गोली नहीं चली थी, वहां पहली बार गोली चली है। हालांकि इस गोलीबारी में दोनों ही देशों को किसी भी तरह की जानमाल की हानि नहीं हुई है, लेकिन यह अपने आप में बड़ी घटना है। समझने वाली बात यह है कि आखिर दोनों ही देश इस बात से क्यों इनकार कर रहे हैं कि गोली उनकी ओर से पहले चलाई गई। एक तरफ जहां भारत ने साफ किया है कि चीन की ओर से एलएसी पर गोली चलाई गई, लेकिन भारत की ओर से संयम बरता गया और गोली नहीं चलाई गई है। जबकि चीन भारत पर एलएसी पर वॉर्निंग फायरिंग का आरोप लगा रहा है।

1975 के बाद पहली बार गोलीबारी का दावा

1975 के बाद पहली बार गोलीबारी का दावा

गौरतलब है कि इसके पहले 1975 में अरुणाचल प्रदेश में गोलियां चली थी, चीन के कुछ जवान एलएसी पार कर भारत की सीमा में आए और चार भारतीय जवानों को गोली मार दी थी, जिसके बाद चारो जवान शहीद हो गए थे। दरअसल 1975 में सिक्किम भारत का हिस्सा बन चुका था, जिससे चीन बेहद नाराज था और उसने अरुणाचल प्रदेश में गोलीबारी की थी। 1975 के बाद पहली बार है कि जब एलएसी पर गोलीबारी की घटना सामने आई है। हालांकि भारत ने अपनी ओर से गोलीबारी से इनकार किया है, लेकिन बावजूद इसके चीन अंतरराष्ट्रीय प्रोपेंगेंडा के तहत इस बात पर अडिग है कि भारत की ओर से गोलीबारी की गई है। चीन की ओर से बयान आया कि पैंगोंग सो लेक के पास भारत के जवानों ने वार्निंग शॉट फायर किया, जिसके जवाब में चीन की ओर से भी वॉर्निंग शॉट फायर किया गया, स्थिति काफी तनावपूर्ण है।

कैसे बढ़ा तनाव

कैसे बढ़ा तनाव

पैंगोग सो लेकर भारत और चीन दोनों के लिए काफी अहम है। पैंगोग सो लेक के साउथ बैंक के पास बहुत ही अहम पोस्ट ब्लैकटॉप पोस्ट को 29 से 30 अगस्त के पास भारत ने कब्जा कर लिया था। इसके बाद चीन काफी नाराज था, जिसके बाद चीन ने 2-3 तीन बार ब्लैकटॉप पर कब्जा करने की कोशिश की। अहम बात यह है कि ब्लैकटॉप पोस्ट पर चीन के अहम उपकरण कैमरा आदि थे, जिसे भारतीय सेना ने उखाड़ फेंका था। जिसके बाद चीन के जवानों ने फिर से कोशिश की कि वह ब्लैकटॉप के आस-पास के इलाके पर कब्जा करे।

चीन का प्रोपेगेंडा

चीन का प्रोपेगेंडा

चीन का कहना है कि हमारे जवान अपनी जगह थे, जबकि भारत के जवानों ने एलएसी को पार किया और वॉर्निंग शॉट फायर किए गए। हालांकि चीन की ओर से यह नहीं कहा गया है कि भारतीय जवानों ने चीन के जवानों को गोली मारने की कोशिश की, बल्कि उन्होंने वॉर्निंग शॉट फायर किए। चीन का कहना है कि हमे भी वॉर्निंग शॉट फायर किए। चीन की ओर से इस आधिकारिक बयान के बाद चीन के माउथपीस ग्लोबल टाइम्स की ओर से एक प्रोपेगेंडा चलाया गया और कहा गया कि हमे भी भारत को चेतावनी देनी चाहिए, आपने एलएसी पार किया, आपके यहां राष्ट्रवाद उबाल पर है। ग्लोबल टाइम्स की ओर से भारत पर आरोप लगाया गया कि भारत की ओर से उकसाने की कार्रवाई की गई है।

चीन के प्रोपेगेंडा पर भारत का पलटवार

चीन के प्रोपेगेंडा पर भारत का पलटवार

चीन की ओर से इन तमाम बयानबाजी का भारत की ओर से भी पलटवार किया गया और चीन के इस प्रोपेगेंडा का मुंहतोड़ जवाब दिया गया। भारत की ओर से कहा गया कि हम डिसइंगेजमेंट और डीइस्कलेशन को लेकर प्रतिबद्ध हैं। लेकिन चीन बार-बार चीन ऐसी कार्रवाई कर रहा है जिससे एलएसी पर तनाव बढ़ रहा है। भारत ने साफ किया है कि हमारी ओर से एलएसी को पार नहीं किया गया। यही नहीं भारत की ओर से कहा गया कि हमने ना फायरिंग की और ना ही कोई भड़काऊ कार्रवाई की है, चीन अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। चीन की सेना की ओर से हवाई फायरिंग की गई है, लेकिन हमारी ओर से गोली नहीं चलाई गई।

गलवान की घटना के बाद उठे थे सवाल

गलवान की घटना के बाद उठे थे सवाल

बता दें कि जून माह में गलवान में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमे भारत के कई जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे, जबकि चीन के तकरीबन 35 जवान मारे गए थे। इस घटना के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि आखिर हमारे जवानों के पास हथियार क्यों नहीं था। राहुल गांधी के इस सवाल का जवाब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया था।

एलएसी पर गोलीबारी ने दो अहम समझौते का किया उल्लंघन

एलएसी पर गोलीबारी ने दो अहम समझौते का किया उल्लंघन

राहुल गांधी के सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि हमारे जवानों के पास हथियार थे, लेकिन भारत-चीन के बीच एक समझौता हुआ है, एक समझौता 1996 और दूसरा 2005 में हुआ है, जिसमे यह करार हुआ था कि दोनों ही देश के जवान एलएसी पर गोलियां नहीं चलाएंगे। यही वजह है कि इस 45 साल बाद एलएसी पर जो गोलियां चली हैं, चीन यह चाहता है कि वह भारत पर दोनों समझौते का दोषी ठहराए, जबकि भारत की ओर से बयान जारी करके साफ किया गया है कि गोली भारत की ओर से नहीं चली है, बल्कि चीन ने समझौते का उल्लंघन किया है।

क्या टूट गया 1996-2005 का समझौता?

क्या टूट गया 1996-2005 का समझौता?

हालांकि चीन और भारत दोनों ही देशों ने इस बात से इनकार किया है कि एलएसी पर उनकी ओर से पहले गोली चलाई गई है। लेकिन यहां यह बात स्पष्ट है कि एलएसी पर 45 सालों में पहली बार गोली चली है और 1996 व 2005 में भारत और चीन के बीच हुए समझौते का उल्लंघन हुआ है। लिहाजा यह देखना अहम है कि क्या एलएसी पर फिर से गोलीबारी शुरू होगी और पहले के किए गए समझौते को खत्म कर दिया जाएगा, या फिर दोनों ही देश एक बार फिर से शांति के लिए कोई नया समझौता करते हैं या पुराने समझौते पर कायम रहते हैं। फिलहाल एक बात स्पष्ट है कि एलएसी पर माहौल काफी तनावपूर्ण है और इस बात की पुष्टि खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी की है।

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English summary
India china standoff claim of firing at LAC after 45 year here is full detail
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