हैदराबाद के पुजारी तोड़ेंगे 2700 साल पुरानी परंपरा, दलित भक्त को कंधे पर उठा कराएंगे मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश
हैदराबाद। हैदराबाद के श्रीरंगनाथन मंदिर के पुजारी ने छूआछूत के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए दलित भक्त के कंधे पर बैठाकर मंदिर के गृभ ग्रह में प्रवेश करने का ऐलान किया है। मंदिर के पुजारी सोमवार (16 अप्रैल) को ये करेंगे। मंदिर के पुजारी ने देश में पिछड़ों और दलितों के खिलाफ भेदभाव और हालिया वक्त में इस तबके के साथ जाति के आधार पर हुई घटनाओं के बाद ये फैसला किया है। पुजारी ने कहा है कि देश एकता की भावना को मजबूत करने के लिए वो ये कर रहे हैं।
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच होगा प्रवेश
60 साल के पुजारी सीएस रंगराजन एक स्थानीय दलित भक्त आदित्य पारसरी को कंधे पर बैठकर में प्रवेश करेंगे। रंगराजन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मंदिर में प्रवेश करेंगे और दलित भक्त को गृभ ग्रह तक लेकर जाएंगे और इसके बाद पूजा होगी। हैदराबाद के जियागुडु स्थित मंदिर में ये कार्यक्रम सोमवार शाम चार बजे होगा।
2700 साल बाद पुरानी है परंपरा
पुजारी दलित भक्त को मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश कराकर करीब 2700 साल पुरानी परंपरा को तोड़ेंगे। यहां मंदिर के गर्भ गृह में दलितों को प्रवेश नहीं करने दिया जाता है। मंदिर के पुजारी और तेलंगाना मंदिर संरक्षण समिति के अध्यक्ष रंगराजन कहते हैं कि कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों की समानता का प्रचार करना है। उन्होंने कहा कि हम वैष्णव संत रामानुचार्य की 1000 वीं जयंती समारोह पर ये अनुष्ठान कर रह हैं, जिन्होंने मनुष्यों की समानता का प्रचार किया था।
मुनिवाहन सेवा के नाम से जाना जाता है अनुष्ठान
इस पूजा को 'मुनिवाहन सेवा' के नाम से जाना जाता है। ये अनुष्ठान सबसे पहले तमिलनाडु में किया गया था, जब वैष्णव पुजारी लोक सरंगा ने कावेरी नदी के किनारे श्रीरंगम स्थित श्री रंगनाथ मंदिर में अपने कंधे पर बैठाकर एक पानार युवको को मंदिर में प्रवेश कराया था।
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