परीक्षा पे चर्चा: छात्रों से बोले PM मोदी, आजादी के 100 साल होने तक अगर मैं जीवित रहा तो....
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में देशभर से आए छात्रों से बात की। उन्होंने छात्रों के सवालों का जवाब दिया। कार्यक्रम के खत्म होने पर प्रधानमंत्री थोड़े भावुक हो गए और उन्होंने छात्रों से अपने मन की बात कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब आजादी को 100 साल पूरे होंगे तब आप ही देश की अगुवाई कर रहे होंगे।
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आजादी के 100वें साल क्या कहेंगे?
उन्होंने छात्रों से कहा, 'जब भारत आजादी के 100 साल पूरे करेगा, यानी आज से 30-40 साल बाद, जब आप सफलता की ऊंचाईयों को चूम रहे होंगे और मैं जीवित रहा.. मैं आपसे कभी मिला तो जरूर कहूंगा कि जो आज देश की अगुवाई कर रहे हैं उनसे मैंने कभी 2020 में बात की थी। मैंने भी उनके दर्शन किए थे।' बता दें प्रधानंमत्री बीते करीब तीन साल से छात्रों से इस तरह संवाद कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में छात्रों ने प्रधानमंत्री से तकनीक और परीक्षा को लेकर सवाल पूछे।
मूड ऑफ क्यों होता है?
इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि जो बात आपके माता -पिता और अध्यापक करते हैं, वही बात मैं करता हूं और अलग तरीके से आपका दोस्त और साथी बनकर करता हूं। क्या कभी हमने सोचा है कि मूड ऑफ क्यों होता है? अपने कारण से या बाहर के किसी कारण से। अधिकतर आपने देखा होगा कि जब मूड ऑफ होता है, तो उसका कारण ज्यादातर बाह्य होते हैं।
मोटिवेशन और डिमोटिवेशन का सवाल
उन्होंने कहा, मोटिवेशन और डिमोटिवेशन का सवाल है, जीवन में कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे ऐसे दौर से ना गुजरना पड़ता हो। चंद्रयान को भेजने में आपका कोई योगदान नहीं था, लेकिन आप ऐसे मन लगाकर बैठे होंगे कि जैसे आपने ही ये किया हो। जब सफलता नहीं मिली तो आप भी डिमोटिवेट हुए। मैं भी तब वहां मौजूद था। मुझे कुछ लोगों ने कहा कि मुझे वहां नहीं जाना चाहिए, क्योंकि मिशन की सफलता की कोई गारंटी नहीं है। तब मैंने उनसे कहा कि इसलिए मैं वहां गया था। मैं कुछ वैज्ञानिकों के साथ वहां बैठा, उन्हें सांत्वना दी।
अभिभावकों और अध्यापकों को सुझाव
प्रधानमंत्री ने अभिभावकों और अध्यापकों को सुझाव देते हुए कहा, जितना ज्यादा आप बच्चे को प्रोत्साहित करोगे, उतना परिणाम ज्यादा मिलेगा और जितना दबाव डालोगे उतना ज्यादा समस्याओं को बल मिलेगा। अब ये मां-बाप और अध्यापकों को तय करना है कि उन्हें क्या चुनना है। मैं प्रोत्साहित करने का रास्ता तय करूंगा। मैं सभी अभिभावकों और अध्यापकों से चाहूंगा कि आपके बच्चों और छात्रों से आपका ऐसा नाता रहना चाहिए कि ऐसी छोटी-छोटी समस्याएं भी वो आपको खुलकर कहें। जितना ज्यादा उनके अंदर खुलापन आएगा, उतना उनके स्वस्थ विकास में काम आएगा।