कैसे खत्म होगा कोरोना और क्या तीसरी लहर की भी आशंका है ? CSIR के DG ने हर चीज बताई
नई दिल्ली, 16 अप्रैल: इस साल की शुरुआत में भारत के लोगों को लगने लगा था कि कोरोना अंतिम सांसें गिन रहा है। किसी को अंदाजा नहीं था कि अप्रैल की तस्वीर इतनी भयावह होगी। उसी तरह से किसी को भी मालूम नहीं कि मई और जून में क्या होने वाला है। पिछले साल लॉकडाउन में गुजार देने वाले लोगों को अब लगने लगा है कि क्या कभी हमें इस आपदा से छुटकारा मिलने वाला भी है या नहीं ? या फिर इस अनदेखे वायरस ने जिंदगी जीने का अंदाज अब हमेशा के लिए बदल दिया है। कौन बच पाएगा, कौन नहीं बच पाएगा ? मन में तरह-तरह के सवाल पैदा होने लगे हैं? इस जानलेवा वायरस के बारे में सीएसआईआर के डीजी ने एक इंटरव्यू में काफी अहम जानकारियां दी हैं।
लोकल लॉकडाउन पर जोर
ऑनलाइन पोर्टल रिडिफ डॉट कॉम ने देश में कोरोना महामारी के मौजूदा स्वरूप और भविष्य में इसको लेकर उठने वाली तमाम आशंकाओं को लेकर काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर शेखर मांडे से बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई है। उनसे सवाल किया गया कि क्या उन्हें लगता है कि इस वायरस को लॉकडाउन से कंट्रोल किया जा सकता है? तो उन्होंने कहा कि 'हां भी और नहीं भी। लॉकडाउन लोगों को दूर करने के लिए लगाया जाता है, जैसे कि पिछले साल नेशनल लॉकडाउन लगा था। लेकिन, इसका अर्थव्यवस्था पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। इसलिए तय यह करना है कि क्या ज्यादा जरूरी है। हमने पूरी दुनिया में देखा है कि वायरस से लड़ाई और इकोनॉमी की रक्षा दोनों में बैलेंस करने की कोशिश की गई है। इसलिए लोगों की आवाजाही पर थोड़ा नियंत्रण किया जा सकता है और पूरे शहर की जगह लोकल लॉकडाउन लगाया जा सकता है।' सवाल हुआ कि लॉकडाउन के बावजूद वायरस जाने का नाम नहीं ले रहा तो वे बोले, 'इसके पीछे आइडिया ये है कि संक्रमण के चेन को जितना हो सके उसे तोड़ा जाय। संक्रमण के चेन का मतलब इंसान से इंसान के बीच सांसों में घुली बूंदों के चेन को ब्रेक करना। जब एक स्थिति पर आप इसे नियंत्रण में ले आएंगे तो लॉकडाउन हटाया जा सकता है।' उन्होंने कहा कि इसके साथ ही जहां भी कोविड केस हैं, उसकी तत्काल टेस्टिंग, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और पॉजिटिव लोगों को आइसोलेट करें। इस तरीके को पहले बहुत ही सफलता के साथ अपनाया जा चुका है। कई बीमारियां पहले इसी तरह से खत्म हो चुकी हैं। जरूरत एक साझा रणनीति की है, जिसमें वैक्सीनेशन के साथ-साथ इंफेक्शन की चेन को ब्रेक करना है।
नाइट लॉकडॉउन या नाइट कर्फ्यू के पीछे क्या तर्क है ?
इस सवाल के जवाब में वो बोले- हमें पता है कि वायरस रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स के जरिए फैलता है, जो बंद कमरों और जहां सही वेंटिलेशन नहीं है, वहां मौजूद रह सकता है। उसमें भी अगर ऐसे बंद कमरों में ज्यादा लोग हैं तो उसमें किसी के संक्रमित रहने की संभावना भी ज्यादा हो जाती है। वहीं, खुली जगहों में यह बूंदें ज्यादा देर तक नहीं पड़ी रहती हैं और वह बहुत तेजी से बिखर जाती हैं। लेकिन, जब दिसंबर और जनवरी में हमने महसूस किया कि केस तेजी से कम होने लगे तो लोगों ने फिर से अपनी गतिविधियां बहुत तेज कर दीं, एक-दूसरे खुलकर मिलने-जुलने लगे, पार्टियां आयोजित होने लगीं और ये सारी ज्यादातर शाम और रात के समय में शुरू हुईं। यानी दिन में अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अगर सबकुछ खुला रखा जाता है तो रात में आकर वही लोग फिर से पार्टियों, पब, रेस्टोरेंट में जाना ना शुरू कर देते हैं, इसलिए वायरस को फैलने से रोकने के लिए नाइट कर्फ्यू की जरूरत है।'
दूसरी और तीसरी लहर ज्यादा भयावह क्यों होती है?
देश में कोरोना की दूसरी लहर में केस तेजी से बढ़ने के बारे में उनका कहना है, 'पहले तो यह समझना जरूरी है कि दूसरी और तीसरी लहर पहली लहर के मुकाबले ज्यादा तीव्र होती है। 1919 के स्पैनिश फ्लू में भी कई लहरें आई थीं और नई लहर उसके खत्म होने तक पहली से ज्यादा तीव्र होती चली गई।' उन्होंने कहा कि 'दूसरी और तीसरी लहर के ज्यादा गंभीर होने के पीछे कई कारण होते हैं। पहली लहर जैसे ही कमजोर पड़ती है, लोग ढीले पड़ जाते हैं, क्योंकि वह नहीं समझ पाते हैं कि संक्रमण का चेन पूरी तरह से नहीं टूटा है। दूसरा कारण ये है कि लोग दोबारा तेजी से आपस में घुलना-मिलना शुरू कर देते हैं। तीसरा कारण म्यूटेशन है। बेशक, हमें अगले दो हफ्तों में पता चलेगा कि क्या दूसरी लहर की तेजी के पीछे यूके का म्यूटेंट बी.1.1.7 है? '
मृत्यु दर में क्यों आई गिरावट ?
यूएन के नोबल एजेंसी के पिछले साल की वह भविष्यवाणी, जिसमें उसने बताया था कि 2021 ज्यादा भयावह होगा, इसपर वो बोले कि 'हर महामारी की दूसरी और तीसरी लहर ज्यादा भयावह होती है। उम्मीद कीजिए कि दूसरी लहर जल्द खत्म हो जाए। हालांकि, इसके बाद भी तीसरी लहर आने की संभावना है। अगर उसमें भी हम ढीले पड़े तो यह हमपर बहुत ही भारी पड़ेगा। इसलिए सबको याद रखना होगा कि महामारियां लहरों में आती हैं और वैक्सीनेशन के बावजूद लोगों को कोविड के अनुकूल व्यवहार करते रहना होगा।' लेकिन, दूसरी लहर में मृत्यु दर कम रहने के बारे में उनका कहना है कि दुर्भाग्य से 65 साल से ज्यादा के लोग और गंभीर बीमारियों वालों में काफी सारे लोगों ने पहली लहर में ही दम तोड़ चुके थे। इसलिए जोखिम वाले ऐसे लोगों की संख्या काफी घटी है और ऊपर से उनमें से कई लोगों को अब वैक्सीन भी लग चुकी है। इन सब चीजों की वजह से मृत्यु दर कम हुआ है। उन्होंने यह भी कहा है कि तीसरी लहर और ज्यादा भयावह हो सकती है, लेकिन एक स्तर के बाद मृत्यु दर में बहुत ही तेजी से गिरावट आ जाएगी।
कोरोना वायरस खत्म कब होगा ?
सबसे बड़ा सवाल कि कोरोना वायरस खत्म कब होगा ? इसपर उन्होंने कहा कि 'म्यूटेशन कभी नहीं रुकेगा यह सामान्य प्रक्रिया है। जेनेटिक ढांचे में म्यूटेशन को कोई भी नहीं रोक सकता, यह होता रहेगा। एक समय के बाद होगा ये कि वायरस कम से कम घातक होता चला जाएगा और आखिरकार एंडेमिक हो जाएगा। शायद इसमें कुछ वर्ष लग सकते हैं।'
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