बच्चों में कोविड के लक्षण कैसे पहचानें ? माता-पिता को ये बातें पता होनी चाहिए
नई दिल्ली, 14 मई: 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को कोविड वैक्सीन में एक नई उम्मीद नजर आ रही है। लेकिन, जो बच्चे फिलहाल इस सुरक्षा कवच से महरूम हैं, उनके लिए माता-पिता को सजग रहना बहुत ही जरूरी है। वैसे भी एक्सपर्ट बता रहे हैं कि तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चों पर ही खतरा मंडराने वाला है। इसलिए, बच्चों की सुरक्षा अब हर घर की प्राथमिकता होनी चाहिए। क्योंकि, वो तो इतने मासूम हैं कि उन्हें खुद की हिफाजत के बारे में भी पता नहीं है। इस स्थिति को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कई तरीके और गाइडलाइंस बताए हैं, जिससे बच्चों में कोविड के लक्षण पहचानने में आसानी हो सकती है और ऐसी परिस्थिति पैदा होने पर उन्हें संभालने का रास्ता मिल सकता है। सबसे बड़ी बात जो मंत्रालय ने अपने ट्वीट के जरिए बताया है, वो ये है कि 'कोविड-19 से संक्रमित ज्यादातर बच्चे या तो एसिम्पटोमेटिक होते हैं या उनमें बहुत ही मामूली लक्षण होते हैं। '
बच्चों में कोविड के लक्षण
एसिम्पटोमेटिक होने का मतलब यह है कि व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित तो है, लेकिन उसमें बीमारी के कोई भी लक्षण नहीं दिखाई पड़ते हैं। यह स्थिति 14 दिन तक रह सकती है। मतलब कि एसिम्पटोमेटिक व्यक्ति इतने दिनों तक कई लोगों तक संक्रमण फैला सकता है, जिससे महामारी बढ़ सकती है। इसी तरह प्री-सिम्पटोमेटिक लोगों को खांसी, बुखार या सांस की समस्या हो सकती है, लेकिन टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी शुरू में इनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि बच्चों को होने वाले सामान्य लक्षणों में बुखार, खांसी, सांस फूलना या सांस लेने में परेशानी, थकान, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द, नाक से फ्लूड निकलना, डायरिया, गंध की कमी, स्वाद की कमी शामिल हैं। वहीं कुछ बच्चों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल दिक्कतें भी हो सकती हैं। मंत्रालय ने बच्चों में एक नए सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम को भी लक्षणों में शामिल किया है। ऐसे मामलों में बच्चों को लगातार बुखार रह सकता है।
कोविड पॉजिटिव बच्चों की देखभाल कैसे करें ?
कोविड पॉजिटिव जिन बच्चों में कोई लक्षण नहीं हैं या वो एसिम्पटोमेटिक हैं, उनकी घर पर ही देखभाल की जा सकती है। मंत्रालय के मुताबिक जब परिवार के सदस्य कोविड पॉजिटिव होते हैं तो ऐसे एसिम्टोमेटिक बच्चों का पता लगता है। उनमें उभरने वाले संभावित लक्षणों पर नजर रखने और फिर उसी के मुताबिक इलाज की आवश्यकता है। हालांकि, मामूली तौर पर बीमार बच्चों को गले में खराश, खांसी या सांस संबंधित हल्की परेशानी देखने को मिल सकती है, लेकिन उनकी किसी तरह की जांच की जरूरत नहीं है। मंत्रालय का सुझाव है कि ऐसे बच्चों को घर पर ही होम आइसोलेशन में रखकर और लक्षणों के मुताबिक इलाज की आवश्यकता है।
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एक से ज्यादा बीमारियों (कोमोरबिडिटी) वाले बच्चों का इलाज कैसे हो ?
कुछ छोटे बच्चे भी एक या अधिक बीमारियों से पीड़ित हो सकते हैं। मंत्रालय ने ट्वीट में बताया है कि जिन बच्चों को हार्ट संबंधित परेशानियां हैं या फिर क्रोनिक लंग डिजीज, क्रोनिक ऑर्गन डिस्फंक्शन से जुड़ी दिक्कते हैं उनका इलाज भी घर पर ही डॉक्टरों की देखरेख में कराना बेहतर है।
बच्चों को कब लगेगी वैक्सीन ?
भारत में अभी 18 से 44 साल के उम्र के लोगों के लिए वैक्सीन की किल्लत चल रही है। लेकिन, इसी दौरान भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को 2 से 12 साल के उम्र तक के बच्चों में क्लिनिकल ट्रायल की मिली मंजूरी ने आशा की नई किरण जगा दी है। एक्सपर्ट का मानना है कि बच्चों और किशोरों के लिए वैक्सीन की कुछ रेंज जल्द ही बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। भारत बायोटेक के क्लिनिकल ट्रायल में 18 साल से कम उम्र के 525 स्वस्थ वॉलेंटियर शामिल होंगे। बता दें कि अमेरिका और कनाडा में फाइजर की वैक्सीन को बच्चों को लगाने की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है और इस रेंज में जायडस कैडिला की जायकोवी-डी का भी परीक्षण चल रहा है।