चीन अपना स्पेस स्टेशन अब तक कितना तैयार कर चुका है?
चीन ने कहा है कि अगले महीने उसके तीन अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में बन रहे स्पेस स्टेशन पर जाएँगे.
चीन ने कहा है कि वो अगले महीने (जून) अपने तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अपने निर्माणाधीन अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजेगा जो वहाँ तीन महीने तक रहेंगे.
चीन ने ये घोषणा अपने एक मालवाहक अंतरिक्ष यान के अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ने के एक दिन बाद की है.
चाइनीज़ मैन्ड स्पेस एजेंसी के अनुसार, शनिवार को सामानों और उपकरणों को लेकर अपना कार्गो स्पेसक्राफ़्ट तियान्ज़ू-2 स्पेस स्टेशन के लिए रवाना किया गया था जो स्टेशन के मुख्य मॉड्यूल तियानहे से जुड़ गया है.
तियानहे मॉड्यूल में अंतरिक्ष स्टेशन पर काम करने वाले यात्रियों के रहने वाले क्वार्टर बने हैं.
चीन के मानव मिशन से जुड़े एक विभाग के निदेशक और देश के पहले अंतरिक्ष यात्री यांग लिवेइ ने चीन के अगले बड़े अभियान की जानकारी दी.
15 अक्तूबर 2003 को अंतरिक्ष जाकर चीन में इतिहास बनाने वाले यांग ने बताया कि तीनों अंतरिक्ष यात्री जून में शेंज़ू-12 अंतरिक्ष यान से सफ़र की तैयारी कर रहे हैं.
चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार ये अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष स्टेशन पर तीन महीने रहेंगे और इस दौरान वहाँ मरम्मत, मेंटेनेंस के साथ-साथ वैज्ञानिक काम करेंगे.
रिपोर्ट में बताया गया है कि ये यात्री अभी लेवस-2 क्वारंटीन में हैं और इस मिशन से जुड़े काम को अंतिम रूप दिया जा रहा है.
यांग लिवेइ ने ये भी जानकारी दी कि इस मिशन में कोई महिला यात्री नहीं होगी मगर इसके बाद के अभियानों में उनकी भी भागीदारी होगी.
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चीन का अंतरिक्ष स्टेशन
अपने अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के लिए चीन ने 2021 से 2022 के बीच 11 बार अंतरिक्ष यानों को भेजने की योजना बनाई है जिनमें दो अभियान पूरे हो चुके हैं. पिछले शनिवार को उसने तियांज़ू-2 कार्गो शिप को भेजा.
चीनी एजेंसी के अनुसार 11 में से तीन बार उसके यानों से स्टेशन के मॉड्यूल, चार बार कार्गो स्पेसशिप और चार बार अंतरिक्ष यात्री स्टेशन के लिए रवाना होंगे.
चीन आने वाले साल 2022 तक 10 ऐसे ही और मॉड्यूल लॉन्च करना चाहता है जो पृथ्वी का चक्कर लगाएंगे.
सबसे पहले चरण में 29 अप्रैल को चीन ने इस स्टेशन का एक अहम मॉड्यूल भेजा था. तियानहे मॉड्यूल में अंतरिक्ष स्टेशन पर काम करने वाले यात्रियों के रहने वाले क्वार्टर बने हैं.
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यांग लिवेइ ने बताया कि इन केबिनों में रहने वाले अंतरिक्ष यात्री बाहर निकलकर कई काम करेंगे.
उन्होंने कहा, "आगे चलकर केबिनों से अंतरिक्ष यात्रियों का बाहर आना एक नियमित बात हो जाएगी और ऐसे कामों की अवधि भी बहुत बढ़ती जाएगी."
चीन के अंतरिक्ष स्टेशन को पुराने पड़ चुके इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का प्रतियोगी बताया जा रहा है.
चीन को उम्मीद है कि 340 से 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर काटने वाला उसका नया स्पेस स्टेशन 2022 तक बन जाएगा.
अंतरिक्ष में इस वक्त पृथ्वी की कक्षा यानी ऑरबिट में सिर्फ़ एक ही स्पेस स्टेशन स्थित है जिसका नाम है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन और इसमें चीन को शामिल नहीं किया गया है.
अंतरिक्ष की बड़ी ताक़त बनता चीन
अंतरिक्ष विज्ञान में एक बड़ी ताक़त बनते जा रहे चीन ने पिछले साल मंगल अभियान भी शुरू किया था. चीन का एक रोवर अभी मंगल ग्रह के बारे में जानकारियाँ जुटा रहा है.
अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में चीन ने देर से शुरुआत की. उसने पहली बार 2003 में अपने अंतरिक्ष यात्री को ऑर्बिट में भेजा. सोवियत संघ और अमेरिका के बाद ये उपलब्धि हासिल करने वाला वो तीसरा देश था.
अब तक चीन दो स्पेस सेंटर टीयागॉन्ग-1 और टीयागॉन्ग-2 ऑर्बिट में भेज चुका है. हालांकि ये दोनों ही ट्रायल स्टेशन थे जो कुछ देर ही कक्षाओं में टिक सकते थे.
लेकिन तियानहे कम से कम 10 सालों तक कक्षा में काम करता रहेगा.
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन 2024 में काम करना बंद कर देगा. ऐसे में उस वक्त चीन का तियानहे ही शायद इकलौता स्पेस सेंटर पृथ्वी की कक्षा में रह जाएगा.
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