क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

किसानों का 'गाँव बंद' आंदोलन कितना असरदार

जून की पहली तारीख़ से बुलाया गया गांव-बंद आंदोलन शुरू से ही कुछ सवालों के घेरे में था. 193 किसान संगठनों वाली अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति पहले ही दिन से इससे अलग रही.

गांव-बंद किसान आंदोलन के नेता शिव कुमार शर्मा का कहना था कि 'अलग रहने वाले संगठन या तो वामपंथी विचारधारा वाले हैं या फिर वो योगेंद्र यादव के जय किसान आंदोलन जैसे हैं जिनके लिए राजनीतिक हित सर्वोपरि है.'

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News

पिछले हफ़्ते शुरू हुआ किसानों का 'गांव-बंद' आंदोलन देश के कई हिस्सों में ठंडा पड़ता दिख रहा है और कुछ जगहों बहुत से किसान इससे अलग हो गए हैं.

पंजाब के चार किसान संगठनों ने ख़ुद को इससे अलग कर लिया है, तो छत्तीसगढ़ में ये आंदोलन दो या तीन ज़िलों तक ही सीमित रह गया है.

वहीं महाराष्ट्र में जहाँ कुछ महीने पहले किसान पैदल चलकर पैरों में फफोले लेकर मुंबई पहुँच गए थे, वहाँ भी इसकी धार कम दिख रही है.

लुधियाना के समराला के एक किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने बीबीसी से कहा कि 'कुछ नौजवान आंदोलन को हिंसक बनाने की फिराक में थे.'

उनका कहना था, "कुछ बाहरी नौजवानों ने गोलियां चलाईं, जिसकी वजह से पुलिस में केस दर्ज हो गया है, वहीं उनके संगठन के एक डेयरी मालिक को बंधक बना लिया गया."

बलबीर सिंह राजेवाल के अनुसार भारतीय किसान यूनियन ने आंदोलन से अलग होने की घोषणा की है.



शुरुआत से ही सवाल

जून की पहली तारीख़ से बुलाया गया गांव-बंद आंदोलन शुरू से ही कुछ सवालों के घेरे में था. 193 किसान संगठनों वाली अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति पहले ही दिन से इससे अलग रही.

गांव-बंद किसान आंदोलन के नेता शिव कुमार शर्मा का कहना था कि 'अलग रहने वाले संगठन या तो वामपंथी विचारधारा वाले हैं या फिर वो योगेंद्र यादव के जय किसान आंदोलन जैसे हैं जिनके लिए राजनीतिक हित सर्वोपरि है.'

कक्का जी के नाम से जाने जाने वाले शिव कुमार शर्मा का दावा था कि उन्हें देश भर के 130 किसान संगठनों का समर्थन हासिल है. इन्हीं संगठनों ने फ़ैसला किया कि किसान 10 दिन तक शहरों को दूध, सब्ज़ी, अनाज वग़ैरह की सप्लाई नहीं करेंगे.

कई किसान संगठनों को आंदोलन के तरीक़े पर ऐतराज़ था, उन किसान संगठनों को भी जो आंदोलन की मुख्य मांग यानी क़र्ज़ की माफ़ी और पैदावार के लिए बेहतर मूल्य के समर्थन में हैं.

'जय किसान आंदोलन' से जुड़े अवीक साहा ने इसे 'शहर और गांव में दुश्मनी जैसी स्थिति पैदा करनेवाला' बताया तो राष्ट्रीय मज़दूर किसान संगठन के वीएम सिंह का कहना था 'ये तरीक़ा ग़लत था'.

'जय किसान आंदोलन' स्वराज इंडिया मूवमेंट का हिस्सा है जिसका नेतृत्व योगेंद्र यादव कर रहे हैं.

जबरन फेंके गए दूध और सब्ज़ियां

फ़िरोज़पुर के किसान परमजीत ने कहा, 'आंदोलन करने वालों को ये समझना होगा कि जिनका गुज़ारा ही दूध और सब्ज़ी बेचकर होता है वो कैसे काम चलाएंगे, अगर उनके माल को छीनकर सड़कों पर फेंक दिया जाता है.'

देश के कई हिस्सों में छोटे किसानों का माल जबरदस्ती फेंकने के वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आ रहे हैं जिसकी कुछ हलकों में आलोचना भी हो रही है.

अवीक साहा का कहना था, "गांव-बंद आंदोलन वाले अपने दुश्मन को चिन्हित नहीं कर पाए हैं. उन्हें लगा कि शहर वाले सरकार के लाडले हैं तो हुकूमत उनके आगे झुक जाएगी लेकिन इसके उलट ऐसी स्थिति पैदा हो गई जिसमें शहर वालों को लगने लगा कि गांव वाले उनके दुश्मन हैं.

अवीक साहा कहते हैं कि ये समझना ज़रूरी है कि किसानों की समस्या देश की खाद्य सुरक्षा से जुड़ी है और इसे 'मैं' बनाम 'दूसरे' के खांचे में नहीं डाला जा सकता है.

लेकिन शिव कुमार शर्मा कहते हैं कि जब किसान हर दिन आत्महत्या कर रहे हैं तो उसकी तुलना में चंद दिनों की मुश्किल बर्दाश्त करना बेहतर है.

किसान संघर्ष समन्वय समिति का के मुताबिक़ पिछले 15 सालों में देश भर में साढ़े तीन लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं. समिति का दावा है कि पिछले चार सालों के भीतर यह 50 प्रतिशत ऊपर चला गया है.

'सरकार समर्थित आंदोलन'

राष्ट्रीय मज़दूर किसान संगठन के वीएम सिंह तो पूरे गांव-बंद आंदोलन को 'प्रायोजित' बताते हैं और कहते हैं कि 'इसे सरकारी संरक्षण हासिल था.

उनके मुताबिक़ पूरे आंदोलन में न तो कोई नेता गिरफ़्तार हुआ, न किसी ने कोई मार्च किया, न सरकार को कोई ज्ञापन दिया गया तो फिर किस बात का आंदोलन?!

भटिंडा के किसान संघारा सिंह मान कहते हैं, "सरकार के ख़िलाफ़ जितना ग़ुस्सा किसानों में है, उनके भीतर जितनी बेचैनी है ये उसको ख़ारिज करने का एक तरीक़ा है."

अवीक साहा गांव-बंद किसान आंदोलन के नेतृत्व पर सवाल उठाते हैं. कुछ यही सवाल छत्तीसगढ़ के किसान नेता राजकुमार गुप्ता का भी है जिनके मुताबिक़ किसी ने उनसे आंदोलन को लेकर संपर्क तक नहीं साधा.

जय किसान आंदोलन के नेता आगे कहते हैं, "सरकार इस मामले में आंदोलन भी ख़ुद करना चाहती है और समस्या का समाधान भी."

कार्टून
BBC
कार्टून

आरएसएस से संबंध का दावा

गांव-बंद आंदोलन के मुख्य नेता शिव कुमार शर्मा राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़े रहे हैं.

शिव कुमार शर्मा मानते हैं कि वो आरएसएस के सहयोगी संगठन भारतीय किसान संघ से जुड़े थे लेकिन उनके मुताबिक़ उन्हें इसका इल्म नहीं था कि वह संगठन आरएसएस का हिस्सा है क्योंकि 'उसका पंजीकरण एक स्वंयसेवी संस्था के तौर पर था.'

वो पिछले साल के मंदसौर के किसान आंदोलन के समय धोखा किए जाने की बात करते हैं जिसके बाद वो भारतीय किसान संघ से अलग हो गए और उन्होंने राष्ट्रीय किसान मज़दूर महासंघ की स्थापना की.

किसान नेताओं का एक वर्ग जहां गांव-बंद किसान आंदोलन को सरकार समर्थित बता रहा है, वहीं आरएसएस की सहयोगी संस्था भारतीय किसान संघ ने 'गांव बंद' को राजनीति से प्रेरित क़रार दिया है.

किसान
Getty Images
किसान

पिछले साल 6 जून को मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस की गोली लगने से छह आंदोलनकारी किसानों की मौत हो गई थी.

मंदसौर में राहुल गांधी गोली कांड की बरसी पर किसानों की एक रैली को संबोधित कर रहे हैं. ऐसा लगता है कि 2019 में किसानों का मुद्दा एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
How effective the village bandh movement of farmers
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X