हरियाणा अपने 50% हिस्से को NCR से क्यों करना चाहता है बाहर? जानिए
नई दिल्ली, 4 जुलाई: हरियाणा अपने लगभग 12,266 वर्ग किलो मीटर के क्षेत्र को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) से बाहर निकालना चाहता है। अगर इसपर मुहर लग गई तो एनसीआर के क्षेत्र का बड़ा हिस्सा कम हो जाएगा। इसके अलावा 2041 के लिए इसकी क्षेत्रीय योजना में और भी कई बड़े बदलाव प्रस्तावित हैं। प्रस्तावित 'रीजनल प्लान फॉर द एनसीआर-2041' को इसी हफ्ते मंजूरी मिल सकती है और तभी यह साफ हो पाएगा कि वन और हरित क्षेत्र को लेकर भी आने वाले वर्षों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की क्या नीतियां रहने वाली हैं। क्योंकि, पिछली योजना की तुलना में इसबार इस दिशा में भी काफी बदलाव की संभावना है।
वन क्षेत्र का दायरा बढ़ाने पर खास फोकस नहीं-रिपोर्ट
प्रस्तावित 'रीजनल प्लान फॉर द एनसीआर-2041' को इसी हफ्ते मंजूरी मिलने की संभावना है। लेकिन, बड़ी बात ये है कि इसमें वन क्षेत्र बढ़ाने को लेकर कोई खास लक्ष्य नहीं रखा गया है। जबकि, पिछले दोनों क्षेत्रीय योजना में इसे 10% रखना तय किया गया था। गौरतलब है कि 2001 और 2021 की योजनाओं में फॉरेस्ट कवर बढ़ाने के लिए खास लक्ष्य निर्धारित किए गए थे और इसके लिए विशेष क्षेत्र भी तय किए गए थे। लेकिन, टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा योजना में ऐसा को जिक्र नहीं है।
मौजूद योजना में वन क्षेत्र के बारे में क्या कहा गया है ?
प्रस्तावित 'रीजनल प्लान फॉर द एनसीआर-2041' के बारे में जानकारी है कि इसमें वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए यह जरूर सुझाव दिया गया है कि आरक्षित और संरक्षित वनों में फॉरेस्ट कवर को बढ़ाया जाना चाहिए। लेकिन, सबसे चौंकाने वाला प्रस्ताव हरियाणा का है, जो अपने लगभग आधे इलाके को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के दायरे से बाहर निकालना चाहता है। अगर यह प्रस्ताव मंजूर होता है तो एनसीआर क्षेत्र का बहुत बड़ा हिस्सा इससे बाहर जा सकता है।
फाइनल ड्राफ्ट में मौजूदा वन क्षेत्र 1,551 वर्ग किलोमीटर
वैसे प्रस्तावित योजना में बर्बाद हो चुके जंगलों को फिर से कायम करने पर प्रोत्साहन देने पर विचार किया जा सकता है। इससे ग्रामीण रोजगार के अवसर पैदा होने की भी उम्मीद है। एनसीआर राज्यों को जो फाइनल ड्राफ्ट प्लान दिया गया है, उसके मुताबिक इसके चारों राज्यों में मौजूदा वन क्षेत्र करीब 1,551 वर्ग किलोमीटर है, जो कि पूरे एनसीआर का लगभग 4.2% हिस्सा है। पहले ड्राफ्ट प्लान में यह वन क्षेत्र 1,801 वर्ग किलोमीटर (3.3%) था। प्रस्तावित वन क्षेत्र में यह कमी इसलिए नजर आ रही है, क्योंकि हरियाणा सरकार ने अपने एनसीआर क्षेत्र को कम करने का प्रस्ताव दिया है।
हरियाणा 50% हिस्सा एनसीआर से करना चाहता है बाहर
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अभी हरियाणा का जितना इलाका है, उसमें से वह लगभग आधे हिस्सा कम करना चाहता है। सूत्रों के मुताबिक एनसीआर में शामिल बाकी राज्यों के संबंध में ऐसे किसी बदलवा का प्रस्ताव नहीं है। इस समय हरियाणा का कुल 25,327 वर्ग किलोमीटर हिस्सा एनसीआर का पार्ट है। लेकिन, अब राज्य इसमें आने वाले 12,266 वर्ग किलो मीटर के क्षेत्र को उससे बाहर निकालना चाहता है।
हरियाणा ऐसा क्यों चाह रहा है
हरियाणा का तर्क है कि इतना बड़ा इलाका एनसीआर में आने की वजह से वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रशासनिक सीमा में आ जाता है। इसके चलते निर्माण से जुड़े मामलों में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पाबंदियां लागू होती हैं। यही नहीं इसके चलते योजनाओं को पूरा करने के संबंध में भी उससे जुड़ी आवश्यकताएं ही लागू होती हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिल्ली के अलावा, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के इलाके शामिल हैं।