ज्ञानवापी विवाद: कोर्ट ने वादी से 1993 तक मस्जिद परिसर में देवी-देवताओं की पूजा के मांगे सबूत
वाराणसी जिला अदालत के न्यायाधीश डॉ. एके विश्वेश ने वादी को सबूत पेश करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि 1993 तक मस्जिद परिसर में देवी-देवताओं की पूजा के दावे की पुष्टि करें।
वाराणसी, 14 सितंबर: वाराणसी जिला अदालत के न्यायाधीश डॉ. एके विश्वेश ने ज्ञानवापी विवाद मामले में वादी को सबूत पेश करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि 1993 तक मस्जिद परिसर में देवी-देवताओं की पूजा के दावे की पुष्टि करे। ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद (एआईएम) की याचिका खारिज करते हुए और पांच हिंदू महिला वादी द्वारा दायर याचिका की स्थिरता को बरकरार रखते हुए जज डॉ. एके विश्वेश ने यह आदेश दिया।
जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में वादी के मुकदमे को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 द्वारा प्रतिबंधित नहीं किया है। उन्होंने मस्जिद के अंदर विभिन्न स्थानों पर पूजा और अनुष्ठानों का इतिहास भी मांगा है। आदेश के पृष्ठ 12 पर न्यायाधीश ने कहा कि वादी की दलील में दावा किया गया है कि 15 अगस्त 1947 के बाद से वर्ष 1993 तक उन्हें मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और के दर्शन और पूजा करने की अनुमति दी गई थी।
पुराने मंदिर की दीवारों में पूजा की थी अनुमति
अन्य दृश्य और अदृश्य देवता जो उत्तर-पूर्व कोने में ज्ञानवापी के भीतर मौजूद हैं, लेकिन उसके बाद वाराणसी जिला प्रशासन ने चैत्र में वसंतिक नवरात्र के चौथे दिन को छोड़कर सभी दिनों में विवादित परिसर के भीतर उनके प्रवेश पर रोक लगा दी। हिंदू भक्तों को मस्जिद परिसर में पुराने मंदिर की दीवारों में पूजा करने की अनुमति थी।
वादी पक्ष के वकील पेश करेंगे सबूत
आदेश में कहा गया है कि इस स्तर पर वादी में किए गए अभिकथनों को देखा जाना है और वादी को अपने दावे को पुख्ता सबूतों से साबित करने का अधिकार होगा। वादी का प्रतिनिधित्व करने वाले हरि शंकर जैन और अन्य वकीलों के अनुसार अदालत के आदेश के आलोक में वे मस्जिद परिसर में विभिन्न स्थानों पर 1993 तक देवताओं के लिए किए जाने वाले पूजा और अनुष्ठान के बारे में गवाहों के माध्यम से अदालत द्वारा आवश्यक सबूत पेश करेंगे।
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