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गुजरात में मोदी का काम बिगाड़ेगी ये तिकड़ी, योगी भी हो सकते हैं बेअसर

गुजरात में राजनीतिक पार्टियां रैली और जनसभा के जरिए माहौल बना रही हैं। गुजरात को बीजेपी का गढ़ माना जाता है लेकिन, बीते दो सालों में जिस तरह तीन युवाओं ने पाटीदार, ओबीसी और दलित समुदायों को प्रभावित किया है।

By Vikashraj Tiwari
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नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनाव इसी साल के अंत में होने हैं जिसको जितने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने पूरी ताकत लगा रखी है। किसी तरह की चूक ना हो जाए इसके लिए उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी योगी आदित्यनाथ को भी मैदान में उतारा जा चुका है। विकास के मुद्दे से लेकर हिंदुत्व के एजेंडे का भी सहारा लिया जा रहा है। इसके बाद भी बीजेपी की जीत में कोई खतरा ना हो इसके लिए शंकर सिंह वाघेला जैसे पुराने कांग्रेसी बीजेपी की मदद कर रहे हैं लेकिन बीजेपी की इन सारी तैयारियों पर एक तिकड़ी पानी फेर सकती है।

ये तिकड़ी बीजेपी के लिए है चुनौती

ये तिकड़ी बीजेपी के लिए है चुनौती

गुजरात में राजनीतिक पार्टियां रैली और जनसभा के जरिए माहौल बना रही हैं। गुजरात को बीजेपी का गढ़ माना जाता है लेकिन, बीते दो सालों में जिस तरह तीन युवाओं ने पाटीदार, ओबीसी और दलित समुदायों को प्रभावित किया है। उससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार गुजरात चुनाव में जातीय समीकरण को पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक अल्पेश ठाकुर प्रभावित करेंगे।

182 विधानसभा सीटों में से 110 सीटों पर हार-जीत प्रभावित हो सकती है

182 विधानसभा सीटों में से 110 सीटों पर हार-जीत प्रभावित हो सकती है

गुजरात की आबादी में ओबीसी का हिस्सा 51 फीसदी है। ऐसे में माना जा रहा है कि कुल 182 विधानसभा सीटों में से 110 सीटों पर हार-जीत प्रभावित हो सकती है। पाटीदार आंदोलन के हार्दिक पटेल पहले ही साफ कर चुके हैं कि जब तक आरक्षण की मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक वह कोई भी राजनीतिक पार्टी ज्वॉइन नहीं करेंगे। पाटीदार समिति ने कई मौकों पर कांग्रेस के प्रति नरम रुख दिखाया है।हार्दिक पटेल और उनके समर्थक ये भी संकेत दे चुके हैं कि विधानसभा चुनाव में वे बीजेपी के खिलाफ वोटिंग करेंगे।

पाटीदारो को लुभाने का बीजेपी प्लान

पाटीदारो को लुभाने का बीजेपी प्लान

बीजेपी की सरकार पाटीदारों का वोट पाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। यहां तक कि पाटीदार नेताओं के खिलाफ केस भी वापस लिए जा रहे हैं।दूसरी ओर, राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक जिग्नेश मेवाणी बीजेपी को आरएसएस की पॉलिटिकल विंग बताते हैं। उनके मुताबिक, बीजेपी के अलावा कोई भी राजनीतिक पार्टी हिंदू राष्ट्र की बात नहीं करती। उनका कहना है कि संविधान की प्रस्तावना में साफ-साफ लिखा है कि भारत एक लोकतांत्रिक, समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र है। संविधान की आत्मा (प्रस्तावना) के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ के खिलाफ आवाज उठाई जाएगी

साथ आ सकते हैं हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकुर?

साथ आ सकते हैं हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकुर?

क्या अपने एक समान लक्ष्य के लिए हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकुर क्या साथ आ सकते हैं? इस सवाल के जवाब में जिग्नेश का कहना है कि दलितों के हितों के लिए अगर ऐसा करना पड़ा, तो वो पीछे नहीं हटेंगे। वहीं, ओबीसी, एससी और एसटी एकता मंच के संयोजक अल्पेश ठाकुर ने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर कोई कमेंट नहीं किया है। उन्होंने कहा कि वो जल्द ही इस बारे में कोई फैसला लेंगे। आपको बता दें कि गुजरात विधानसभा में 182 सीटें है। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 जनवरी 2018 को खत्म हो रहा है।

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English summary
gujarat vidhan sabha assembly election chunav 2017 hardik patel jignesh mewari alpesh thakur plan
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