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कैसे भूजल के नाम पर 'जहर' पी रहे हैं हम, सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े, किन बीमारियों का है खतरा ? जानिए

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नई दिल्ली, 2 अगस्त: हम पानी के नाम पर जहर पीते जा रहे हैं और हमें इसका पुख्ता अंदाजा ही नहीं है। सोमवार को राज्यसभा में केंद्र सरकार ने देश में भूजल की स्थिति का जो ब्योरा पेश किया है, वह बहुत ही भयावह है। देश के अधिकांश हिस्सों में पीने का पानी पीने लायक नहीं है। उसमें खतरनाक धातु की मौजूदगी अपेक्षा से कहीं ज्यादा है। इसकी वजह से हम कैंसर समेत तमाम रोगों को स्वयं बुलावा दे रहे हैं। आप पहले आंकड़ा देखिए और फिर यह देखिए कि अस्वच्छ पेयजल की वजह से देश की जनता पर कितना बड़ा संकट मंडराने लगा है।

कैसे भूजल के नाम पर 'जहर' पी रहे हैं हम!

कैसे भूजल के नाम पर 'जहर' पी रहे हैं हम!

केंद्र सरकार ने देश में भूजल की स्थिति को लेकर राज्यसभा में जो लिखित जवाब दिया है, वह डराने वाला है। जल शक्ति मंत्रालय के राज्यमंत्री बिश्वेश्वर टुडु ने जो जानकारी दी है, उससे लगता है कि हम जो भूजल पी रहे हैं, सही मायने में वह हमारे शरीर के लिए किसी 'जहर' से कम नहीं है। क्योंकि, वह बहुत ही खतरनाक पदार्थों से प्रदूषित है, जो अनजाने में हमारे शरीर में जा रहा है। पहले से लगता रहा है कि बड़े शहरों और कस्बों के आसपास औद्योगिक गतिविधियों की वजह से जमीन के अंदर भूजल में खतरनाक केमिकल्स मिल रहे हैं। लेकिन, अब जो जल शक्ति मंत्रालय ने तस्वीर पेश की है, वह बहुत ही भयावह है।

भूजल में पाए गए खतरनाक धातु

भूजल में पाए गए खतरनाक धातु

संसद में पेश गए तथ्यों के मुताबिक जो खतरनाक धातु तय मानक से कहीं ज्यादा भूजल में पाए गए हैं, वह इस तरह से हैं:-

आर्सेनिक: 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 209 जिलों के भूजल में।

यूरेनियम: सरकार के मुताबिक 18 राज्यों के 152 जिलों के भूजल में यूरेनियम मिला है।

सीसा (लीड): 21 राज्यों के 176 जिलों के जमीन के अंदर पानी में पाया गया है।

लौह (आयरन): 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 491 जिलों के भूजल में लोहा पाया गया है।

कैडमियम: 11 राज्यों के 29 जिलों के पानी में कैडमियम मौजूद है।

क्रोमियम: 16 राज्यों के 62 जिलों में क्रोमियम जैसे धातु भूजल में मिले हुए हैं।

जल शक्ति मंत्रालय ने दिए चौंकाने वाले आंकड़े

जल शक्ति मंत्रालय ने दिए चौंकाने वाले आंकड़े

इन आंकड़ों के विस्तार में जाकर जल शक्ति राज्यमंत्री ने यह भी बताया है कि देश में 14,079 लौह-प्रभावित,671 फ्लोराइड-प्रभावित, 814 आर्सेनिक-प्रभावित, 9,930 खारा पानी-प्रभावित, 517 नाइट्रेट-प्रभावित और 111 भारी धातु-प्रभावित स्थान हैं। सोचने वाली बात है कि अमूमन एक स्वस्थ व्यक्ति रोजाना औसत दो से पांच लीटर या उससे भी ज्यादा पानी पीता है। क्योंकि, डॉक्टर भी पेयजल पीते रहने की सलाह देते हैं। ऐसे में हम अनजाने में अपने शरीर में कितने खतरनाक धातु डालते जा रहे हैं, इसका तो हमें अंदाजा ही नहीं है!

'जहरीले' भूजल पीने से किन बीमारियों का है खतरा ?

'जहरीले' भूजल पीने से किन बीमारियों का है खतरा ?

आर्सेनिक: विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पेयजल या खाने में लंबे समय तक आर्सेनिक की मौजूदगी से कैंसर हो सकता है और त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है। यह हृदय रोग और मधुमेह से भी जुड़ा है। गर्भावस्था में या बचपन में इसके संपर्क में आने से भी काफी बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

यूरेनियम: वाटर क्वालिटी एसोसिएशन के मुताबिक लंबे समय तक यूरेनियम वाला पानी पीने से किडनी डैमेज हो सकती है, उसमें सूजन आ सकता है और पेशाब में भी दिक्कतें शुरू हो सकती हैं। ज्यादा वक्त तक यह स्थिति बने रहने से यह कैंसर का भी कारण बन सकता है।

सीसा (लीड): अमेरिकी सीडीसी के मुताबिक सीसा कम मात्रा में भी मानव के शरीर के लिए हानिकारक है। अलग-अलग इंसान में इसका अलग प्रभाव पड़ सकता है। उदाहरण के लिए नवजात को इससे बहुत ही ज्यादा खतरा है। सीसा की अधिक मात्रा नर्वस सिस्टम को भी चौपट कर सकता है।

लौह (आयरन): लोहा शरीर के लिए सीमित मात्रा में आवश्यक भी है। लेकिन, इसकी अधिकता अल्जाइमर और पार्किंसन जैसे रोगों का कारण बन सकता है।

कैडमियम: विशेषज्ञों के मुताबिक पीने के पानी में कैडमियम होने से किडनी, लंग्स और हड्डियों को नुकसान हो सकता है। सिगरेट के धुएं में इसकी प्रचूरता रहती है। ब्लड और पेशाब की जांच से शरीर में इसकी मात्रा का पता चल सकता है।

क्रोमियम: वाटर क्वालिटी एसोसिएशन के अनुसार क्रोमियम की वजह से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से जुड़ी समस्याएं, पेट का अल्सर, त्वचा का अल्सर, एलर्जी जैसी प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं। यह किडनी और लिवर को भी डैमेज कर सकता है। प्रजनन संबंधी दिक्कतें भी पैदा हो सकती हैं। यह फेफड़े और नाक के कैंसर का भी कारण बन सकता है।

जनता को तो स्वच्छ पानी पीने का हक है!

जनता को तो स्वच्छ पानी पीने का हक है!

केंद्र सरकार ने संसद में कहा है कि पानी राज्य का मामला है और लोगों तक पीने का स्वच्छ जल पहुंचाना राज्यों का उत्तरदायित्व है। वैसे केंद्र सरकार का कहना है कि उसकी ओर से भी पीने का स्वच्छ जल लोगों तक पहुंचाने के लिए कई योजनाओं पर काम चल रहा है। हालांकि, जनता इस उलझन को बर्दाश्त नहीं कर सकती है कि यह विषय किसका है ? उसे तो पीने का साफ पानी चाहिए, जो कि उसका हक बनता है।

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पानी के प्रदूषण रोकने का क्या इंतजाम है ?

पानी के प्रदूषण रोकने का क्या इंतजाम है ?

वैसे एक और सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा में ही जल शक्ति राज्यमंत्री प्रल्हाद पटेल ने बताया कि मई के बाद से दक्षिणी दिल्ली में दिल्ली जल बोर्ड की क्वालिटी कंट्रोल लैबोरेटरी में जमा किए गए और परीक्षण किए गए 10,182 नमूने में असंतोषजनक पाए गए नमूनों का प्रतिशत 1.95 से 2.99 रहा, जो कि 2017 के विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से पीने के पानी की गुणवत्ता की गाइडलाइंस के मुताबिक है। पटेल ने ये भी कहा कि 'दूषण रोकने के लिए यदि कोई है, तो स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिड्योर के तहत कार्रवाई शुरू की जाती है। इस मामले में किसी विशेषज्ञ समिति के गठन का कोई प्रस्ताव नहीं है। '

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English summary
Heavy metals are found in the groundwater of most parts of the country. This information has been given by the Union Ministry of Jal Shakti in Parliament. These metals are the cause of many serious diseases
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