क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

आसनसोल से ग्राउंड रिपोर्ट: 'वो लोग गोली चला रहे थे. हम पत्थर भी न चलाएं'

''मेरा घर बर्बाद हो गया, एक बना-बनाया संसार बर्बाद हो गया. बच्चा लोग को लेकर अब हम कहां जाएंगे? मेरे बच्चों के सब काग़ज़ बर्बाद हो गए. किताब से लेकर हर डाक्यूमेंट बनाकर रखे थे, सब ख़त्म हो गया.''

पश्चिम बंगाल में आसनसोल के श्रीनगर क्षेत्र की रहने वाली सोनी देवी अपना जला हुआ घर दिखाते हुए सुबकने लगती हैं.

एक कमरे के उनके घर में जो कुछ भी था सब राख हो चुका है. 

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
आसनसोल से ग्राउंड रिपोर्ट: वो लोग गोली चला रहे थे. हम पत्थर भी न चलाएं

''मेरा घर बर्बाद हो गया, एक बना-बनाया संसार बर्बाद हो गया. बच्चा लोग को लेकर अब हम कहां जाएंगे? मेरे बच्चों के सब काग़ज़ बर्बाद हो गए. किताब से लेकर हर डाक्यूमेंट बनाकर रखे थे, सब ख़त्म हो गया.''

पश्चिम बंगाल में आसनसोल के श्रीनगर क्षेत्र की रहने वाली सोनी देवी अपना जला हुआ घर दिखाते हुए सुबकने लगती हैं.

एक कमरे के उनके घर में जो कुछ भी था सब राख हो चुका है. वो सिलाई मशीन भी जिससे कपड़े सिलकर वो किसी तरह अपने दो बच्चों का पेट भर रही थीं और उनकी पढ़ाई का ख़र्च उठा रही थीं.

सोनी देवी को सबसे ज़्यादा अफ़सोस अपने बच्चों की किताबें और दस्तावेज़ जल जाने का है.

वो कहती हैं, "मेरी बेटी दसवीं में है. वो बहुत मेहनत से पढ़ रही थी. अपनी किताब-काग़ज़ का पूछ-पूछकर रहो रही है. मैं उसे क्या जवाब दूं."

आसनसोल के श्रीनगर क्षेत्र में बीते मंगलवार को रामनवमी का जुलूस निकलने के बाद तनाव हुआ था.

यहां ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग सरकार की ओर से मिले मकानों में रहते हैं.

तनाव की ख़बर फैली तो लोग अपने घर छोड़कर चले गए. सोनी देवी भी किसी तरह अपने दोनों बच्चों को साथ लेकर सुरक्षित ठिकाने की ओर निकल लीं.

दंगे के दिन को याद करते हुए सोनी देवी कहती हैं, "मैं खाना बना ही रही थी कि ईंटा-पत्थर चलने लगा. मुझे अपने बच्चों को लेकर डर हो गया. मैं बच्चों को लेकर किस तरह से यहां से गई हूं, मेरा दिल ही जानता है."

'पुलिस खड़ी थी और हमारा घर जल रहा था'

श्रीनगर से क़रीब डेढ़ किलोमीटर दूर ठाकुरपाड़ा इलाक़े में सपना चौधरी का संयुक्त परिवार रहता है. यहीं उनकी दुकान और मकान हैं.

सपना और उनके परिवार के बाक़ी लोग मंगलवार को हुए तनाव के बाद डर के माहौल में अपने रिश्तेदारों के घर चले गए थे.

अगले दिन बुधवार को उनके मकान और दुकान को जला दिया गया.

वो इस संवाददाता को अपने घर ले गईं. बरामदे में खड़ी मोटरसाइकिल दंगाइयों ने जला दी थी. अंदर अलमारियों से सामान लूट लिया गया था और जो दंगाई अपने साथ नहीं ले जा पाए उसमें आग लगा दी. अब उनके घर में हर जगह राख और धुएं के निशान ही दिखते हैं.

उनकी चाची अपने जले हुए घर में बैठी सुबक रही थीं. इस संवाददाता को देखकर रोते हुए बोलीं, "मेरा घर लूट लिया. दुकान लूट ली. घर में जवान बहू-बेटी हैं. उनकी जान बचाने के लिए हम मंगल की रात को ही यहां से निकल गए थे. अगले दिन हमारा घर फूंक दिया गया."

सपना चौधरी बताती हैं, "बुधवार दोपहर हमारे घर और दुकान में लूटपाट की गई. उसके बाद शाम को आग लगा दी गई. हमें बुधवार रात पता चला कि हमारा घर जला दिया गया है."

सपना सवाल करती हैं, "तनाव हो जाने के बाद भारी पुलिस बल तैनात किए गए थे. पुलिस खड़ी थी और हमारा घर जल रहा था. पुलिस सिर्फ़ तमाशा देख रही थी. मैं सरकार से बस यही सवाल पूछना चाहती हूं कि इतनी भारी तादाद में पुलिस थी तब भी हमारा घर कैसे जला दिया गया?"

ठाकुरपाड़ा मुस्लिमबहुल मोहल्ला है जहां दस-बारह हिंदू परिवार रहते हैं. शहर में तनाव की ख़बरों के बाद यहां रहने वाले हिंदू परिवार अपने घर छोड़कर चले गए थे.

चुन-चुनकर बनाया गया निशाना

यहीं के एक स्थानीय मुस्लिम युवा ने इस संवाददाता को बताया कि दंगाइयों की भीड़ ने चुनकर इस परिवार के घर को निशाना बनाया.

उस युवा ने कहा, "इनकी गल्ले की दुकान के बगल में ही हिंदुओं की चार-पांच दुकानें हैं, किसी और को निशाना नहीं बनाया गया. सोने की दुकान भी है उसे भी नहीं लूटा गया. भीड़ ने सिर्फ़ इस परिवार को निशाना बनाया."

और कुरेदने पर वो कहते हैं, "दरअसल इस परिवार के युवाओं ने गोलीबारी की थी. जब ये लोग यहां से चले गए तो भीड़ ने इनका घर लूट लिया."

हालांकि सपना और उनके परिवार के लोग इस तरह के सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं. उन्हें अफ़सोस है कि कोई भी पड़ोसी उनके घर को बचाने नहीं आया.

दूसरी ओर श्रीनगर मोहल्ले में अपने घर छोड़कर गए हिंदू और मुसलमान परिवार अब लौटने लगे हैं.

यहां रहने वाली ज़ैनब ज़मा के घर को निशाना बनाकर चलाई गई गोली रसोई में लगी लोहे की खिड़की में छेद करके निकल गई.

वो कहती हैं, ''सीधे हमारे घर पर गोली चलाई गई. क़िस्मत अच्छी है कि गोली किसी को लगी नहीं.''

श्रीनगर कॉलोनी में बीते साल भी रामनवमी के जुलूस को लेकर तनाव हुआ था. इसलिए इस साल पूरा एहतियात बरता गया था कि सब कुछ ठीक से हो जाए.

दंगा करने वाले कौन हैं किसी को नहीं पता

चार दिन बाद अपने घर लौटी अज़मुन्निशा कहती हैं, "हमने जुलूस का पूरे दिल से इस्तकबाल किया और उसे विदा किया. यहां सबकुछ ठीक था. आगे कहीं कुछ हुआ होगा और फिर बवाल यहां तक पहुंच गया."

वो कहती हैं, "हम लोग पांच दिन से घर से बेघर थे. भूखे-प्यासे. किसी ने हाल तक नहीं पूछा. कोई देखने नहीं आया."

मोहम्मद इस्लाम इस साल रामनवमी के जुलूस में शामिल थे, वो कहते हैं, "हम लोग जुलूस के साथ-साथ थे. यहां से जुलूस अच्छे से निकाला था, कहां क्या हुआ ये हमें नहीं मालूम है, मगर चार सौ घर यहां बर्बाद हो गए."

मंगलवार को रामनवमी के जुलूस पर पथराव के बाद आसनसोल में कई तरह की अफ़वाहें फैली और डर और अविश्वास का माहौल बना. इसी माहौल में मिश्रित आबादी में रहने वाले हिंदू-मुस्लिम परिवार अपने घर छोड़ गए थे.

इस्लाम कहते हैं, "अगले दिन बुधवार को सुबह क़रीब साढ़े दस बजे अचानक भीड़ आई और मुसलमानों के घरों को निशाना बनाकर गोलियां चलानी शुरू कर दी. ये लोग कौन थे हम नहीं जानते, लेकिन हमारे पड़ोसी तो नहीं थे."

यहीं रहने वाली एक मुस्लिम महिला ने कहा, "वो लोग गोली चला रहे थे. हम पत्थर भी न चलाएं. ऐसे ही मर जाएं. हमें भी अपने जीवन की रक्षा का हक़ है."

बीपीएल कॉलोनी के मुसलमान परिवारों के घर ख़त्म होते ही पहली बिल्डिंग में सीता देवी का घर है. वो भी तनाव के माहौल में घर छोड़कर चली गईं थीं और रविवार को ही लौटी हैं.

सीता देवी कहती हैं, "हमारे पास रहने वाले मुसलमान अपने घरों से चले गए तो हम लोग भी चले गए. जवान बेटियां साथ हैं, इतने डर के माहौल में हम यहां कैसे रहते."

सीता देवी की बेटी कुसुम दो दिन राहत कैंप में रहने के बाद घर लौट आई हैं. वो कहती हैं, "दंगे में नुकसान एक तरफ़ का नहीं होता है, दोनों तरफ़ का होता है, डर सबको बराबर लगता है. पता नहीं ये सब क्यों हो रहा है."

इस बीपीएल कॉलोनी में अभी तक हिंदू और मुसलमान आपस में मिल जुलकर रहते रहे थे. लेकिन बीते सालों में देश में बढ़ी सांप्रदायिकता यहां तक भी पहुंच गई है और कभी एक दूसरे का साथ रहने वाले ये लोग अब एक दूसरे को डर और शक़ की निग़ाह से देखते हैं.

नवादा से ग्राउंड रिपोर्ट: आख़िर बजरंगबली की मूर्ति किसने तोड़ी?

औरंगाबाद से ग्राउंड रिपोर्ट: आख़िर किस क्रिया की प्रतिक्रिया में हुए दंगे?

आसनसोल से ग्राउंड रिपोर्ट: लोग पूछ रहे हैं, ये रानीगंज को क्या हो गया है?

सीता देवी की एक पड़ोसन मालती देवी कहती हैं, "हम लोग सात-आठ सालों से एक साथ रह रहे हैं. एक-दूसरे का हालचाल पूछते हैं, ज़रूरत पड़ने पर पानी लेते-देते हैं. पता नहीं ये सब कैसे हो गया?"

वो बार-बार ज़ोर देकर ये कहती हैं कि ये दंगा बाहर के लोगों ने भड़काया है. यही बात यहां के मुसलमान भी कहते हैं. ये बाहर के लोग कौन हैं किसी को नहीं पता.

जब मैंने इस्लाम से पूछा कि क्या वो गोली चलाने वालों को पहचानते हैं तो उन्होंने भी यही कहा, ''वो लोग बाहर से आए थे.''

यहां बात करने पर हर कोई ये कहता है कि दंगा बुरा होता है और दंगाई बाहर से आए थे. ये बाहर के लोग कौन थे ये पता करना सरकार की ज़िम्मेदारी है.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Ground report from Asansol Those people were firing We do not run rock
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X