पाकिस्तान से लौटी गीता को दो साल बाद मिल सकते हैं माता-पिता, झारखंड के बुजुर्ग का बड़ा दावा
पाकिस्तान से लौटी गीता को दो साल बाद मिल सकते हैं माता-पिता, झारखंड के बुजुर्ग का बड़ा दावा
नई दिल्ली। दो साल पहले पाकिस्तान से लौटी मूक-बधिर लड़की गीता के माता-पिता मिलने की उम्मीद एक बार फिर जगी है। झारखंड के एक ग्रामीण दंपति ने गीता को अपनी खोई बेटी बताया है। इस दावे की सच्चाई को परखने के लिये दंपती को इंदौर में गीता से मिलवाने की तैयारी की जा रही है। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया है कि गीता को झारखंड के गढ़वा जिले के बांदू गांव के रहने वाले परिवार से मिलवाया जाएगा ताकि उनके दावे की सच्चाई का पता चल सके। गीता को इस परिवार से 27 अक्टूबर को मिलावाया जाएगा।
गीता ने हाथ पर लिखा था बंदो
गीता के माता-पिता को खोजने में मदद कर रहे सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित का कहना है कि गीता जब पाकिस्तान में थी, तब उसने अशुद्ध हिन्दी में कागज पर बंदो लिखा था। गीता को बेटी बताने वाली दंपति के गाव का नाम भी बंदू है। ऐसे में इसे यहां से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
डीएनए के नमूने लिए जाएंगे
गढ़वा जिले के आला अफसरों ने बताया है कि जरूरत पड़ने पर गीता और ग्रामीण दंपति के परिवार के सभी सदस्यों के डीएनए नमूने भी लिये जा सकते हैं, ताकि इनका मिलान करके खून के रिश्ते की पुष्टि की जा सके। अधिकारियों को कहना है कि जरूरत पड़ने पर डीएनए के नमूनों को जांच के लिए दिल्ली भेजा जाएगा।
अभी तक नहीं माता-पिता का पता
पाकिस्तान से लौटने के बाद गीता इंदौर में मूक-बधिरों के लिए चलायी जाने वाली एक गैर सरकारी संस्था के आवासीय परिसर में रह रही हैं। पाकिस्तान से स्वदेश लौटे दो साल पूरे हो गए हैं। सरकार की ओर से कई प्रयासों के बावजूद उसके माता-पिता का अब तक पता नहीं चल सका है।
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