सरकारी नीतियों पर पूर्व RBI गवर्नर सी रंगराजन बोले- प्रवासी मजदूरों के लिए बन सकती थी बेहतर योजना
प्रवासी संकट पर बन सकती थी बेहतर योजना: सी रंगराजन
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के चलते पिछले दो महीने से देशभर में लॉकडाउन लागू है। देशबंदी का सबरे बुरा प्रभाव दिहड़ी मजदूरों पर पड़ा है जो रोजगार की तलाश में अपने गृह राज्य से दूर किसी अन्य स्थान पर जाते हैं। लॉकडाउन के बाद से ही प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है जो कोरोना वायरस ट्रैवलर का भी काम कर रहे हैं। इस मुद्दे पर विपक्ष ने कई बार सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया है, अब इस लिस्ट में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन का भी नाम जुड़ गया है। सोमवार को उन्होंने अपने बयान में कहा, लॉकडाउन के कारण प्रवासी संकट से निपटने के लिए कुछ और उपाए किए जा सकते थे।
अर्थशास्त्री और एक अनुभवी केंद्रीय बैंकर के रूप में जाने जानें वाले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने प्रवासी मजदूरों के पलायन पर केंद्र सरकार को घेरा है। अक्सर सरकार की राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति पर सवाल उवाल उठाने वाले रंगराजन ने लॉकडाउन में प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर दुख जताया है। अपने एक बयान में उन्होंने कहा, प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा बहुत गंभीर है, सड़कों पर चलने वाले प्रवासी श्रमिकों की तस्वीरें सामने आती रहती हैं और ऐसा नहीं है कि कोई उनके साथ नहीं गया हो।
उन्होंने आगे कहा, देशभर के सभी मजदूरों ने अपने गृह राज्य की ओर पलायन कर लिया है। सरकार ने ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से मुफ्त राशन और अतिरिक्त रोजगार प्रदान करने जैसे उपायों की बात की है, लेकिन भोजन और आश्रय के बिना यात्रा करने वाले प्रवासी श्रमिकों को जो प्रदान किया जाना चाहिए था, वह वास्तव में पका हुआ भोजन है, जैसे कि सूखा या बाढ़ के दौरान हम पीड़ितों को सहायता प्रदान करते हैं।
सी रंगराजन ने आगे कहा कि, लंबी दूरी की यात्रा करने वाले श्रमिकों को कुछ नकद सहायता दी जा सकती है। इस संकट की घड़ी में हम उनके लिए बेहतर योजना बना सकते थे और प्रवासी श्रमिकों से संबंधित व्यय को थोड़ा और बढ़ाया जा सकता था। अभी भी इस दिशा में सोचने की जरूरत हैं, जब जब उनकी परिवहन जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त योजनाएं बनाई जा रही हैं।
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