शोध: ये वैक्सीन लगने से बच्चों को कोरोना संक्रमण होने का खतरा है कम
नई दिल्ली। कोरोना महामारी बीमारी को लेकर अभी वैज्ञानिक शोध में जुटे हुए हैं। बच्चों में कोरोना संक्रमण को लेकर एक्सपर्ट अभी भी चिंतित हैं। इसी बीच एक राहत की खबर सामने आई है। हाल में सामने आए एक अध्ययन में पता चला है कि, जिन बच्चों को मौसमी संक्रमण (फ्लू) से बचने के लिए वैक्सीन दी जाती है वे कोरोना के गंभीर संक्रमण की चपेट में नहीं आते। फिर भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वे पूरी तरह से उसी से सुरक्षित हैं या नहीं।
अमेरिका के मिसौरी-कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन के अनुसार, जिन बच्चों को मौसम में होने वाले संक्रमण से बचने के लिए दवा (वैक्सीन) दी जाती है, उन बच्चों में कोरोना के लक्षण कम दिखाई देते है. यानि किसी बच्चे को मौसम में होने वाली बीमारियों से बचने के लिए टीका लगाया लगा है, तो अगर वो कोरोना की चपेट मे आ जाए तो दूसरे लोगों के मुकाबले उसे कम समस्याएं झेलनी पड़ेगी।
अरकंसास चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल सिस्टम में शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन के अनुसार 905 कोरोना पॉजिटिव बच्चों के एक समूह को मौसमी फ्लू टीकाकरण दिया गया था। जिसमें पता चला कि उनमें से 29 प्रतिशत बच्चों को संक्रमण बढ़ने की संभावना कम हुई थी। इस दौरान उन्होंने पाया कि कोविड-19 वाले जिन बच्चों को न्यूमोकोकल वैक्सीन दी गई थी, उनमें ज्यादातर बच्चे बिना लक्षण वाले संक्रमण से ग्रसित थे।
इसके अलावा, शोधकर्ताओं की टीम ने यह भी पाया कि इन्फ्लूएंजा शॉट्स प्राप्त करने वाले 32% बच्चों को श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा कम था। .शोधकर्ताओं का मानना था कि जिन बच्चों को मौसमी बीमारी का वैक्सीन दिया गया, उन्हें कोरोना के संक्रमण के खिलाफ उस वैक्सीन (फ्लू) से सुरक्षा प्रदान हुई।
यूके की नेशनल हेल्थ सर्विसेज (एनएचएस) के अनुसार, बच्चों में कोविड-19 के मुख्य लक्षण वयस्कों द्वारा सामना किए गए लक्षणों के समान हैं। अध्ययन में बता चला है कि, कोरोना संक्रमित बच्चों में लक्षण कुछ तरह पाए जाते है, जैसे कि लगातार खांसी होना और किसी खाने-पीने में स्वाद नही लगना। इसके अलावा गले में खराश, सर्दी लगना, नाक बहना जैसे लक्षण शामिल है।
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